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Property Rights: क्या है पैतृक संपत्ति बेचने का कानून, सेल करने पर किसकी सहमति होना जरूरी

पैतृक संपत्ति बेचने से पहले जानें कानून क्या कहता है। किनकी सहमति जरूरी है, पैतृक और स्वअर्जित संपत्ति में क्या फर्क है, जानें पूरी जानकारी।
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Property Rights: क्या है पैतृक संपत्ति बेचने का कानून, सेल करने पर किसकी सहमति होना जरूरी

TheChopal, Ancestral property rights: संपत्ति को लेकर अक्सर समाज में झगड़े होते रहते हैं, खासकर पैतृक संपत्ति के मामलों में। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि बहुत से लोगों को संपत्ति के कानून और अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं होती।

कई बार झगड़े पैतृक संपत्ति पर हक को लेकर होते हैं, तो कई बार इसे बेचने को लेकर विवाद हो जाता है।
ध्यान रहे, पैतृक संपत्ति को बिना सबकी सहमति के बेचना कानूनी रूप से गलत है।इसमें सहमति लेना जरूरी होता है,  और यह उन लोगों की होती है जिनका उस संपत्ति में कानूनी हक बनता है।

पैतृक और स्वअर्जित संपत्ति में क्या फर्क है?

संपत्ति दो तरह की होती है — स्वअर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति।
स्वअर्जित संपत्ति वो होती है जो किसी व्यक्ति ने अपनी मेहनत और कमाई से खरीदी हो। इसका मालिक उसे किसी को भी बेच सकता है, इसमें किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं होती।

वहीं, पैतृक संपत्ति वो होती है जो आपको आपके पूर्वजों से विरासत में मिली हो। इस पर केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि परिवार की चार पीढ़ियों तक के लोगों का हक होता है।

पैतृक संपत्ति बेचने के लिए क्या नियम हैं?

क्योंकि पैतृक संपत्ति पर कई लोगों का हक होता है, इसलिए इसे बिना सभी हकदारों की मंजूरी के बेचना मुमकिन नहीं है।अगर किसी को ये संपत्ति बेचनी है, तो उसे बेटा, बेटी और बाकी कानूनी वारिसों की सहमति लेनी होगी। साफ शब्दों में कहें तो –पैतृक संपत्ति को तभी बेचा जा सकता है जब परिवार के सभी हकदार सदस्य इससे सहमत हों।

ऐसे फंस सकता है कानूनी झंझट

अगर पैतृक संपत्ति बेचते समय परिवार के सभी हकदारों की सहमति नहीं ली गई, या कोई एक सदस्य भी इस फैसले से नाराज है, तो वो अपने हक का दावा कर सकता है।ऐसे में वो व्यक्ति कोर्ट में जाकर कानूनी नोटिस भेज सकता है और संपत्ति की बिक्री पर स्टे (रोक) भी लगवा सकता है।इससे संपत्ति का सौदा अटक सकता है और कानूनी झंझटों में फंसने का खतरा बढ़ जाता है।

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