UP में गंगा एक्सप्रेसवे से रियल एस्टेट बूम, इस जिले में 10 गुना बढ़े जमीन के दाम, 29 गांवों की लगी लॉटरी

UP News: उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार तेज करने के लिए लगातार बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है। इन्हीं में से एक गंगा एक्सप्रेसवे है, जो राज्य के 29 गांवों से होकर गुजर रहा है। एक्सप्रेसवे के निर्माण और उससे जुड़ी योजनाओं के चलते जमीनों की मांग अचानक बढ़ गई है। यही वजह है कि जमीनों के दाम 7 से 8 गुना तक बढ़ चुके हैं।

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UP में गंगा एक्सप्रेसवे से रियल एस्टेट बूम, इस जिले में 10 गुना बढ़े जमीन के दाम, 29 गांवों की लगी लॉटरी  

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में विकास योजनाओं के चलते हुए किसानों से कई जिलों में जमीन अधिग्रहण किया गया है. उत्तर प्रदेश के एक और जिले के 29 गांव से होकर गंगा एक्सप्रेसवे गुजर रहा है. एक्सप्रेस वे गुजरने की वजह से जमीनों की कीमतों में 7 से लेकर 8 गुना तक बढ़ गए हैं. सर्किल रेट से 10 गुना अधिक दाम होने के कारण किसान जमीन देने को तैयार नहीं हैं जिससे कई योजनाएं अधर में हैं। 

जमीनों की कीमतें नई ऊंचाइयों पर

हापुड़ में गंगा एक्सप्रेसवे और ब्रजघाट विकास योजनाओं ने जमीनों की कीमतों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। सर्किल रेट से करीब 10 गुना अधिक दाम मिलने के बावजूद किसान अपनी जमीनें देने को तैयार नहीं हैं। इस कारण कई प्रस्तावित योजनाएं अधर में लटक गई हैं। एक्सप्रेसवे के आसपास औद्योगिक गलियारा और पर्यटन स्थलों का विकास होना था, लेकिन बढ़ी हुई जमीन की कीमतों और किसानों के रुख के चलते भूमि अधिग्रहण बड़ी चुनौती बन गया है।

ब्रजघाट का होगा मिनी हरिद्वार की तरह विकास

हापुड़ तहसील में गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण और तीर्थ नगरी ब्रजघाट को मिनी हरिद्वार की तरह बनाने के प्रयास से जमीन की कीमतों में भारी उछाल आया है। किसान अपनी जमीन को सर्किल रेट से दस गुना अधिक मूल्य पर बेचने से इनकार कर रहे हैं। इससे औद्योगिक गलियारे सहित कई अन्य परियोजनाएं ठप हो गई हैं। गंगा एक्सप्रेसवे गढ़ तहसील क्षेत्र के 29 गांवों से गुजरता है। इस गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू होने से ही क्षेत्र में जमीन की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। तीर्थ नगरी और उसके आसपास के गांवों में जमीन प्रति वर्ग मीटर की जगह बीघा में मिल रही है, जबकि गंगा एक्सप्रेसवे के आसपास की जमीन की कीमतें सात से आठ गुना बढ़ गई हैं।

245 हेक्टेयर भूमि पर दो औद्योगिक गलियारे

गढ़ और तीर्थ नगरी क्षेत्र में विकास की अनेक योजनाओं ने जमीनों की कीमतों को नई उड़ान दे दी है। गढ़ में हेलीपैड (छोटी हवाई पट्टी), तीर्थ नगरी में पर्यटन भवन, गंगा एक्सप्रेसवे किनारे भैना, सदरपुर, चुचावली, जखैड़ा और रहमतपुर में करीब 245 हेक्टेयर भूमि पर दो औद्योगिक गलियारे तथा शंकराटीला के पास 12 हेक्टेयर क्षेत्र में प्लाजा हाउस जैसी परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। इन योजनाओं के चलते जमीनों की मांग तेजी से बढ़ रही है और दाम आसमान छू रहे हैं।

इससे प्रशासन को कई योजनाओं के लिए जमीन चुनने में कठिनाई हो रही है। औद्योगिक गलियारे के लिए अभी तक 35 हेक्टेयर जमीन खरीद ली गई है। यहाँ जमीन की कीमतें सर्किल रेट से दस गुना अधिक हैं, जबकि सरकार चार गुना तक सर्किल रेट से अधिक देती है। किसान ऐसी स्थिति में अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है। इसके परिणामस्वरूप सरकार की कई योजनाएं असफल हो गई हैं।

नौकरी के नए अवसर मिलेंगे 

जिले से हर दिन हजारों युवा एनसीआर क्षेत्र में काम करने जाते हैं। यहां के युवा लोगों को नौकरी के नए अवसर मिलेंगे अगर योजनाएं जल्दी लागू की जाएं।ऐसे में यहां के युवाओं को नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली या गुरुग्राम में काम करने वालों को काफी राहत मिलेगी। कुछ योजनाओं के लिए जमीन खरीदने का काम अभी जारी है।लेकिन जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं, इसलिए कुछ योजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद, इसके योजनाओं के लिए जमीन चुनने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। 

इन योजनाओं को जमीन की उपलब्धता नहीं मिल पा रही है, जिससे विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं

सदरपुर और जखैड़ा के पास 245 हेक्टेयर भूमि पर औद्योगिक गलियारा बनाने की योजना है, लेकिन जमीन नहीं मिल रही।

तीर्थ नगरी में पांच से दस एकड़ भूमि पर पर्यटन स्थल विकसित किया जाना प्रस्तावित है, पर जमीन अधिग्रहण अटका हुआ है।

तीर्थ नगरी के समीप हेलीपैड (छोटी हवाई पट्टी) के लिए पांच हेक्टेयर भूमि की जरूरत है, लेकिन किसान जमीन देने को तैयार नहीं हैं।

शंकराटीला के पास यात्री प्लाजा के लिए 12 एकड़ जमीन प्रस्तावित है, परंतु उपलब्ध नहीं हो पा रही।