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UP में 10 साल में हुई रजिस्ट्रियों की होगी जांच, सामने आने वाला बड़ा खेला

UP News : उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्रीयों को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। उत्तर प्रदेश में साल 2000 के आसपास 10 साल की रजिस्ट्री की दोबारा जांच करने को कहा गया है। उत्तर प्रदेश में इस जांच के दौरान बड़ा खेला सामने आने वाला है। पढ़ें पूरी खबर 

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UP में 10 साल में हुई रजिस्ट्रियों की होगी जांच, सामने आने वाला बड़ा खेला 

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्रीयों को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। उत्तर प्रदेश में साल 2000 के आसपास की 10 वर्ष की रजिस्ट्री की जांच की जाएगी। जेसीपी कानून व्यवस्था ने लखनऊ के विभूतिखंड थाने में दर्ज दो मुकदमों की विवेचना में एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा। रजिस्ट्री दफ्तर में फर्जीवाड़ा करने वाला गिरोह कुछ कर्मचारियों से मिलकर फर्जी रजिस्ट्री कर रहा है और जमीन पर कब्जा कर रहा है। बहुत से मामलों में जमीन पर कब्जा करने की कोशिश अभी भी जारी है। जेसीपी उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने प्रमुख सचिव राजस्व को पत्र लिखकर 2000 के आसपास 10 साल में हुई रजिस्ट्रियों की जांच कराने की मांग की है। इस जांच में और भी बड़ा खेल सामने आया है। इस गिरोह में शामिल हैं वकीलों के वेष में रहने वाली महिलायें भी।

17 फरवरी 2024 को सॉफ्टवेयर इंजीनियर अजय सिंह ने विभूतिखंड कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई कि शिवानी सिंह, मुकेश यादव, रणविजय सिंह, विजय कुमार, फैयाज, राम किशोर तिवारी, बबलू गुप्ता, राजीव भटनागर, अमित और वकील के वेश में आये 15 से 20 लोगों ने उनके प्लाट पर कब्जा करने की कोशिश की। इन लोगों ने डीवीआर भी लूट लिया था। बताया गया है कि 29 अगस्त 2022 को राजकुमार ने इस प्लाट को रजिस्टर किया था। 

जब राजकुमार से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि एलडीए ने उन्हें 12 अक्तूबर 2001 को ये जमीन दी थी। राजकुमार ने तफ्तीश में झूठ बोला था। उसका अभिलेख फर्जी है। सख्ती से पूछताछ में पता चला कि 2022 में फैयाज नामक व्यक्ति ने राजकुमार के नाम पर ये फर्जी रजिस्ट्री की थी। इसमें रजिस्ट्री ने 2001 का वर्ष बताया था। उसके पास दो लाख रुपये देने का लालच था। उसके नाम पर भी खाता खोला गया था। शिवानी का नाम इस फर्जी रजिस्ट्री में लिखा गया था।

एक और फर्जीवाड़ा सामने आया

विशेष रूप से इस मामले में, जमीन के अन्य दस्तावेजों की जांच के दौरान ही की गई थी। इसमें भी ऐसा खेल था। 2001 में 10 दिसंबर को, उपनिबंधक द्वितीय सदर कार्यालय में दो विलेख संदिग्ध पाए गए। दोनों बेचने वाले लेखों की जांच में पता चला कि पृष्ठ 157 से 170 तक प्रस्तुतकर्ता का नाम अमीरा पुनवानी है, और पृष्ठ 31 से 48 तक लेख प्रस्तुतकर्ता क्रेता का नाम नैन सिंह है। इसमें फर्जी रजिस्ट्री भी हुई। 

बड़ा खेल सामने आयेगा

जेसीपी उपेन्द्र अग्रवाल ने प्रमुख सचिव राजस्व को पत्र लिखा है, जिसमें वर्ष 2000 या इसके आसपास के दशक में हुई रजिस्ट्रियों की जांच की मांग की गई है। एलडीए को भी पत्र भेजा गया है। इसमें बड़े खेल की संभावना व्यक्त की गई है।