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UP में 3 वर्ष पहले की संपत्तियों की रजिस्ट्री की होगी जांच, इस वजह से लिया गया सख्त फैसला

UP News - हाल ही में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब 3 साल पहले की संपत्तियों की रजिस्ट्री की जांच दोबारा की जाएगी। बता दे कि उत्तर प्रदेश में अब उन संपत्तियों की जांच की जाएगी जिन रजिस्ट्री के समय भौतिक स्टांप का प्रयोग किया गया है। उन स्टांप दर्ज नंबर आदि की पूरी रिपोर्ट तैयार करके कोषागार कार्यालय को भेजी जाएगी। पढ़ें क्या हैं पूरा मामला 

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UP में 3 वर्ष पहले की संपत्तियों की रजिस्ट्री की होगी जांच, इस वजह से लिया गया सख्त फैसला

Uttar Pradesh News : हाल ही में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब 3 साल पहले की संपत्तियों की रजिस्ट्री की जांच दोबारा की जाएगी। उत्तर प्रदेश में फर्जी स्टाफ मामले को लेकर रजिस्टर विभाग में खलबली मच गई है। उत्तर प्रदेश में अब 3 साल पहले की सभी संपत्तियों की दोबारा द्वारा जांच की जाएगी। यूपी में अब भौतिक स्टांप का उपयोग करने वाली सभी संपत्ति की रजिस्ट्री तीन वर्ष पहले की जांच होगी। इसके लिए डीआईजी स्टांप मनोज कुमार शुक्ल ने 15 और 16 अप्रैल को गोरखपुर मंडल के सभी उप निबंधकों की बैठक बुलाई है। उन्हें जांच के तरीके और उस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में इस बैठक में विस्तार से बताया जाएगा।

जांच के दौरान संपत्तियों की रजिस्ट्री में भौतिक स्टांप का उपयोग किया गया है, तो पूरी रिपोर्ट बनाकर कोषागार कार्यालय भेजी जाएगी. इसमें स्टांप पर दर्ज नंबर और अन्य विवरण शामिल हैं। वहां संबंधित स्टांप ट्रेजरी से जारी हुआ होगा। पूरी रिपोर्ट बनाई जाएगी और शासन को दी जाएगी। निर्देश वहां से जारी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालाँकि, आईजी स्टांप प्रदीप राणा ने कहा कि फर्जी स्टांप संपत्ति रजिस्ट्री में पाए जाने पर उनकी वैधता नहीं प्रभावित होगी। यह पूरी प्रक्रिया फर्जी स्टांप खेल में शामिल होने वाले दोषियों तक पहुंचने के लिए है, ताकि इस गिरोह को जड़ से खत्म किया जा सके।

रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गोरखपुर समेत मंडल के लगभग सभी जिलों में संपत्ति आदि की रजिस्ट्री में पिछले दो साल से ई-स्टांप का ही उपयोग किया गया है। सरकारी विभाग या न्यायालय अभी ट्रेजरी में बचे हुए भौतिक स्टांप का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में, दो साल पहले की रजिस्ट्री में अधिक संभावना है कि फर्जी स्टांप का प्रयोग हुआ होगा।

पकड़े गए थे डेढ़ करोड़ के स्टांप-

पिछले सप्ताह सामने आए फर्जी स्टांप मामले में पुलिस ने यूपी के गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर के आरोपितों से स्टांप छापने वाली मशीन, एक करोड़ 52 लाख 30 हजार रुपये का फर्जी स्टांप, यूपी, बिहार के गैर न्यायिक स्टांप, रसीदी टिकट आदि बरामद किए थे। यही नहीं, इन आरोपितों के पास से एक ब्रिटिश स्टांप का बंडल भी मिला। 25 पैसे और 50 पैसे के स्टांप थे। यह आशंका जताई जा रही है कि जालसाजों ने इनका उपयोग बड़े शहरों की महंगी संपत्ति को लेकर न्यायालयों में चल रहे वादों को उलझाने या अपना पक्ष मजबूत करने के लिए फर्जी वसीयत बनाने में किया होगा। इस मामले में अब तक आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।


तीन साल पहले तक भौतिक स्टांप का उपयोग करने वाली सभी संपत्ति की रजिस्ट्री की जांच के आदेश शासन ने दिए हैं, आईजी स्टांप प्रदीप राणा ने बताया। लेकिन ये बहुत कम हैं। पहले इस तरह की रजिस्ट्री की सूची बनाई जाएगी, फिर प्रत्येक स्टांप के नंबरों को देखकर अलग सूची बनाई जाएगी। फिर इसे कोषागार कार्यालय भेजा जाएगा, जिससे पता चलेगा कि संबंधित नंबरों वाले स्टांप वहाँ से ही जारी किए गए हैं या नहीं।