Smart meter in UP: स्मार्ट मीटर दौड़ रहे है तेज!, बिजली विभाग घर बैठे इस नए फार्मूले से करेगा समाधान
UP Bijli Bill: राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एक और संघर्ष शुरू किया..। अब प्रदेश में 5 प्रतिशत उपभोक्ताओं में स्मार्ट मीटर और चेक मीटर के रूप में सामान्य मीटर भी लगाए जाएंगे।तीन महीने का समय होगा..।यदि उसके मिलान में कोई चूक हुई तो स्मार्ट मीटरों को बदलने का आदेश जारी किया जा सकता है..।विद्युत उपभोक्ताओं का संदेह स्मार्ट प्रीपेड मीटर से दूर होगा..।

UP Bijli Bill: स्मार्ट प्रीपेड मीटर से उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को भ्रांतियों से छुटकारा मिलेगा। अब साधारण मीटर ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर की तुलना में अधिक तेज होने का भ्रम दूर करेंगे। केंद्रीय सरकार ने ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए बिजली कंपनियों को कहा है कि तीन महीने तक दोनों मीटर की रिडिंग को मिलाया जाए, स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ ही साधारण मीटर को चेक मीटर मानते हुए। कंपनियां इस तरह के चेक मीटर लगाने के लिए ग्राहकों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेंगी।
यदि आप भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदने की सोच रहे हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। यूपी में ग्राहकों को अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदने की लागत नहीं होगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का खर्च कंपनियों को नहीं, बल्कि बिजली उपभोक् ताओं को उठाना होगा। इसमें कहा गया है कि बिजली कंपनियां इस खर्च का भुगतान करने के लिए अपनी राजस्व वसूली प्रणाली को सुधारेंगे।
प्रदेश में अब तक 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए प्रदेश में अब तक लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, लेकिन बहुत से लोगों को शिकायत है कि स्मार्ट मीटर सामान्य मीटर से तेज चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड द्वारा लगाए गए स्मार्ट मीटर से ग्राहकों को होने वाली कई समस्याओं को उठाया। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की एक टीम ने पिछले दिनों प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने वाले विद्युत उपभोक्ताओं से उनकी समझौता करने की कोशिश की।
बिजली कंपनियों को जिम्मेदार ठहराने वाले अधिकांश उपभोक्ता नए स्मार्ट मीटर से खुश नहीं थे। ऊर्जा मंत्रालय ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए बिजली कंपनियों को स्मार्ट मीटर लगाने और उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने की जिम्मेदारी दी है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि पांच प्रतिशत चेक मीटर साधारण मीटर होंगे, लेकिन उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव से कम से कम बीस प्रतिशत चेक मीटर लगाने की मांग की।
इसके साथ निर्देश हैं कि उपभोक्ताओं की संतुष्टि की जांच करने के लिए तीन महीने तक साधारण मीटर और स्मार्ट प्रीपेड मीटर की रिडिंग का मिलान किया जाए। जिन ग्राहकों की शिकायतें होंगी, उनके आसपास मुफ्त चेक मीटर लगाए जाएंगे। साथ ही, मध्यम विद्युत वितरण निगम ने इस संबंध में अपने मुख्य अभियंताओं को आदेश दिया है। गौरतलब है कि बिजली कंपनियां राज्य में तीन करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगाने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये से 3 करोड़ नए मीटर खरीद रही हैं।
25 हजार करोड़ रुपये खर्च
आपको बता दें कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर दोनों ऑनलाइन और डाउनलोड करने के लिए आवश्यक हैं। टैरिफ योजना के अनुसार ही बिजली का उपयोग कर सकते हैं। पैसा खत्म होने पर बिजली आपूर्ति स्वतः रुक जाती थी। दोबारा टैरिफ करने पर बिजली मिलने लगी। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में लगभग 25 हजार करोड़ रुपये के प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।
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