The Chopal

Sugar Export Ban: बारिश में कमी और चुनावों के चलते चीनी निर्यात पर लगी रोक

सरकारी सूत्रों के अनुसार घरेलू बाजार में चीनी की मांग को पूरा करना और सरप्लस चीनी से एथनॉल बनाना हमारी पहली प्राथमिकता है। हमारे पास आने वाले सीजन के लिए एक्सपोर्ट कोटा के लिए पर्याप्त चीनी नहीं है।
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Restrictions on sugar exports due to lack of rain and elections

The Chopal: गेहूं और चावल के बाद अब केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर भी बैन लगाने की योजना बना रही है। चीनी मिलों के निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय अक्टूबर से शुरू हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो चीनी निर्यात पर बैन लगाना सात वर्षों में पहली बार होगा। गन्ने का उत्पादन इस मानसून में बारिश की कमी से प्रभावित होगा। यही कारण है कि सरकार आने वाले त्योहारी सीजन, इस वर्ष के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए चीनी निर्यात पर रोक लगा सकती है।   

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सरकारी सूत्रों के अनुसार घरेलू बाजार में चीनी की मांग को पूरा करना और सरप्लस चीनी से एथनॉल बनाना हमारी पहली प्राथमिकता है। हमारे पास आने वाले सीजन के लिए एक्सपोर्ट कोटा के लिए पर्याप्त चीनी नहीं है। 

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30 सितंबर तक भारत ने केवल 6.1 मिलियन टन चीनी एक्सपोर्ट की अनुमति दी थी, जबकि पिछले सीजन में 11.1 मिलियन टन चीनी एक्सपोर्ट हुआ था। भारत ने चीनी निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय लिया तो चीनी की कीमतें पूरी दुनिया में बढ़ सकती हैं। लंदन और न्यूयॉर्क में बेंचमार्क कीमतों में उछाल देखने को मिल सकती है, जहां चीनी की कीमतें कई वर्षों से उच्च स्तर पर ट्रेड कर रही हैं। ऐसा हुआ तो खाद्य महंगाई विश्वव्यापी हो सकती है। 

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महाराष्ट्र और कर्नाटक में, जहां गन्ने की खेती की जाती है, मानसून में बारिश में पचास प्रतिशत की कमी हुई है। इन दोनों राज्यों में देश की खुल चीनी उत्पादन का पचास प्रतिशत उत्पादन होता है। बारिश की कमी से अगले सीजन में गन्ने की पैदावार कम हो सकती है। 2020–2024 सीजन में भारत का चीनी उत्पादन 31.7 मिलियन टन रहने का अनुमान है, 3.3 प्रतिशत की कमी के साथ।