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Supreme court : इस दस्तावेज के बिना मालिकाना हक रहेगा अधूरा, सुप्रीम कोर्ट का आया अहम आदेश

SC decision sale deed : प्रोपर्टी पर मालिकाना हक साबित करने के लिए कई आवश्यक कागजातों की आवश्यकता होती है। एक डॉक्यूमेंट ऐसा भी होता है, जिसके अभाव में मालिकाना हक नहीं मिल सकता है। यह डॉक्यूमेंट बहुत अलग है। इस दस्तावेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय लिया है, वह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय पूरी तरह से पढ़ें।

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Supreme court : इस दस्तावेज के बिना मालिकाना हक रहेगा अधूरा, सुप्रीम कोर्ट का आया अहम आदेश 

The Chopal, SC decision sale deed : Property Ownership साबित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। विशेष दस्तावेज़ की कमी स्वामित्व का दावा खारिज कर सकती है। यह दस्तावेज़ बहुत महत्वपूर्ण है और इसके बिना कोई कानूनी समस्या हो सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में इस दस्तावेज़ के महत्व पर निर्णय दिया है, जो किसी भी संपत्ति के मालिकाना हक को साबित करने में मदद कर सकता है।

क्या मामला है—

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने मालिकत्व पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। इसके अनुसार, कोई व्यक्ति जमीन या अचल संपत्ति बेचने पर पंजीकरण प्रक्रिया (Transfer of Property Act, 1882) के तहत दस्तावेज बनाना होगा।

विशेष रूप से अगर संपत्ति का मूल्य सौ रुपये से अधिक है। पंजीकरण के बिना संपत्ति की बिक्री कानूनी रूप से मान्यता नहीं होगी। यह निर्णय एक पुराने अधिनियम पर आधारित है, जो संपत्ति के हस्तांतरण से जुड़ा है।

अटॉर्नी की शक्ति क्या है?

एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक खरीददार के पक्ष में टिप्पणी की। एक और व्यक्ति ने संपत्ति के हिस्से पर कब्जे का दावा किया, लेकिन उनके पास सही दस्तावेज नहीं थे (संपत्ति खरीदने के टिप्स)। 

यह दावा एक गैर-पंजीकृत समझौते पर आधारित था, जिसे कोर्ट ने नकार दिया, जिसमें एक रजिस्टर्ड "एग्रीमेंट टू सेल" और सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी अधिकार पत्र था। अक्सर लोग बिचौलियों या एजेंट्स से संपत्ति खरीदते हैं, जो बिना सही कानूनी दस्तावेजों के होते हैं। ऐसे मामलों में कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा।

कब अगली सुनवाई होगी? 

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के अधिकारियों की नियुक्ति से जुड़ी प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला संसद के कानून बनाने के अधिकार और अदालत (property pr supreme court ka decision) के बीच संबंध पर आधारित है। 
ताकि किसकी राय अधिक महत्वपूर्ण है, जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी को निर्धारित की है।