Supreme Court : किराएदार बन जाएगा आपकी संपत्ति का मालिक, अगर कर दी ऐसी गलती
Supreme Court : किराएदार को घर देते समय अक्सर मकानमालिक को पता नहीं होता कि किराएदार भी संपत्ति का मालिक हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में कुछ शर्ते बताए हैं, जिसके चलते किराएदार कब संपत्ति का मालिक बन सकता है। मकानमालिक इन शर्तों को जानना चाहिए।

The Chopal, Supreme Court : कई लोग अपनी संपत्ति को किराए पर देने से भूल जाते हैं, लेकिन ऐसा करना उनके लिए घातक हो सकता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि कब किराएदार प्रापर्टी पर मालिकाना हक (property ownership) का दावा कर सकता है?
यही कारण है कि संपत्ति मालिकों (property news) के लिए इन नियमों को समझना बेहद जरूरी है। आइए खबरों से इन शर्तों को जानें।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित शर्तें-
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय में निजी और निजी दोनों तरह की संपत्ति शामिल हैं। ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने एक संपत्ति केस में दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय में कहा कि जमीन पर बारह वर्ष तक निवास करने वाले व्यक्ति को जमीन का मालिक माना जाएगा। इसके लिए शर्त यह होगी कि उस समय किसी ने मालिकाना हक का दावा नहीं किया होगा।
किराएदार स्वामित्व का दावा कब कर सकता है:
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सरकारी संपत्ति पर लागू नहीं होगा। भारत में संपत्ति की सुरक्षा को नियंत्रित करने के लिए नियम हैं।
जिनमें से एक नियम है कि किराएदारों को 12 साल तक लगातार रहने के बाद संपत्ति पर दावा करने की अनुमति मिलती है, लेकिन ऐसा करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा।
ये शर्तें जानें:
अब आप जानना चाहते हैं कि ये कौन सी शर्ते हैं, तो आपको बता दें कि अगर मकान मालिक या संपत्ति मालिक 12 साल के दौरान कब्जे को लेकर कोई रोक-टोक नहीं करता, तो किराएदार संपत्ति को लेकर दावा कर सकता है। इसके अलावा, किरायेदार बिजली, पानी और प्रॉपटी डीड के बिल को सबूत के तौर पर प्रस्तुत कर सकता है।
साथ ही, यह शर्त है कि पिछले 12 सालों में किराएदार लगातार प्रॉपटी पर कब्जा रखता रहा है, यानी प्रापर्टी से उसका कब्जा नहीं हटा गया है।
प्रोपर्टी विवादों की कानूनी धाराएं जानें-
किराएदार और मकानमालिक के साथ-साथ अक्सर संपत्ति को लेकर बहस होती है। संपत्ति विवादों को हल करने के लिए कई कानूनी धारांओं का उपयोग किया जाता है। कानूनी धारा 406 के अनुसार, कोई व्यक्ति आपके भरोसे का उपयोग करके आपकी संपत्ति को अपने हाथ में लेता है।
पीड़ित इस अनुच्छेद के तहत शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा, आपको बता दें कि कानूनी धारा 467, जो उन मामलों से जुड़ी है, जमीन या अन्य संपत्तियों को अधिग्रहण करने के लिए लोगों द्वारा फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने की अनुमति देती है। बता दें कि यह पहली श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा निपटान किया जाएगा और इस पर कोई समझौता नहीं होगा।
क्या प्रतिकूल कब्जा कानून है?
आज भी बहुत से लोग प्रतिकूल कब्ज़ा कानून (adverse possession law) से परिचित नहीं हैं। ब्रिटिश प्रतिकूल कब्ज़ा कानून के नियमों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति 12 वर्षों तक किसी संपत्ति पर रहता है, तो वह स्वामित्व का दावा कर सकता है।
हालाँकि, इसके लिए उन्हें सबूत के तौर पर आवश्यक डॉक्यूमेंट्स और कई शर्तों को पूरा करना होगा। कानूनी धारा 420 कई प्रकार की धोखाधड़ी और झूठे वादों को कवर करती है जो प्रोपर्टी संपत्ति विवादों (property disputes) से जुड़े हैं। पीड़ितों को ऐसे मुद्दों का सामना करते समय इस धारा के तहत शिकायत दर्ज करनी चाहिए।