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Supreme Court Decision : 40 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों को दिलवाया पिता की प्रॉपर्टी से हिस्सा

Supreme Court Decision : प्रॉपर्टी के मामले बहुत कठिन हैं।  कभी-कभी प्रॉपर्टी को लेकर व्यक्तिगत विवाद इतना बढ़ जाता है कि अदालतों तक पहुंच जाता है।  सुप्रीम कोर्ट में मामले निचली अदालतों से पहुंचते हैं।  वहीं, इन केसेज में वर्षों बाद आने वाले निर्णय भी ऐतिहासिक हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।

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40 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों को दिलवाया पिता की प्रॉपर्टी से हिस्सा

The Chopal, Supreme Court Decision : कानून के अनुसार, पिता की प्रॉपर्टी में सभी संतानों को समान हिस्सा मिलता है।  वह बेटा हो या बेटी, सभी की भागीदारी समान होती है।

फिर भी प्रॉपर्टी से जुड़े मामले अदालतों में पहुंचते हैं और वर्षों लग जाते हैं तक कि आप अपना हक पा सकें।  सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में फैसला सुनाया, जिससे चार दशक बाद बेटियों को पिता की प्रॉपर्टी में अधिकार मिला।

बेटियों को प्रॉपर्टी पर अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है।  इसमें, चार दशक बाद, अदालत ने बेटियों को उनके पिता की प्रॉपर्टी पर अधिकार दे दिया है।  सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है।  जिससे बेटियों को उनके पिता की प्रॉपर्टी पर अधिकार प्राप्त हुआ।

दस्तावेज खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा प्रॉपर्टी विवाद में एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए दत्तक पुत्र संबंधी दस्तावेज को खारिज करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।  कोर्ट ने कहा कि इसका उद्देश्य बेटियों को उनके पिता की प्रॉपर्टी प्राप्त करने के अधिकार से वंचित करना है। 

हाई कोर्ट का निर्णय बरकरार रखा

1983 में जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दाखिल दत्तक पुत्र संबंधी दस्तावेज को स्वीकार नहीं किया गया, जो दशकों तक चलने वाली कानूनी लडाई का अंत था।  हाई कोर्ट का निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने कायम रखा है।

शर्तों का पालन नहीं किया गया था

कोर्ट ने निर्णय दिया कि दत्तक पुत्र संबंधी कार्रवाई में आवश्यक शर्तों का पालन नहीं किया गया था।  कानून के अनुसार, बच्चा गोद लेने वाले को अपनी पत्नी की सहमति लेनी होगी।  कोर्ट ने शर्तों का पालन नहीं किया है।

ये मामला अदालत में है

उत्तर प्रदेश की बात है।  शिव कुमारी देवी और हरमुनिया नेश्वर सिंह दोनों उनकी बेटियां हैं।  हरमुनिया मर चुकी है।  मृत्यु के बाद अशोक कुमार ने भुनेश्वर सिंह की प्रॉपर्टी को अपनाने के लिए कोर्ट में याचिका लगाई।  उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दत्तक पुत्र से संबंधित दस्तावेज पेश किए।

कोर्ट में यह दावा

याचिकाकर्ता ने कहा कि भुनेश्वर सिंह ने उनके जैविक पिता सूबेदार सिंह से उनका जन्म लिया था।  अदालत में इससे संबंधित एक चित्र प्रस्तुत किया गया।  11 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट के आदेश के विरूद्ध अशोक कुमार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। 

मामला इतने पुराना है

दरअसल, नौ अगस्त 1967 के दत्तक पुत्र संबंधित दस्तावेज को हाईकोर्ट ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।  कोर्ट ने निर्णय दिया कि अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ है।  सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के निर्णय को कायम रखते हुए चार दशक बाद बेटियों को पिता की प्रॉपर्टी में अधिकार दिया है।

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