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Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के हक में सुनाया एक बड़ा फैसला, बताए ये अधिकार

Supreme Court Decision : अगर आप कर्मचारी है तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल हाल ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से आया एक फैसला कर्मचारियों के पक्ष में आया है। कोर्ट ने कहा है कि, अगर सेवा की शर्तें वैधानिक आवश्यकता के अनुरूप नहीं हों तो कर्मचारी को इन्हें चुनौती देने का पूरा हक है...
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Supreme Court gave a big decision in favor of employees, tell them these rights

The Chopal : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कर्मचारियों के हित में अहम टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा, अगर सेवा की शर्तें वैधानिक आवश्यकता के अनुरूप नहीं हों तो कर्मचारी को इन्हें चुनौती देने का पूरा हक है। कोर्ट ने कहा, नियोक्ता प्रमुख भूमिका में होता है, लेकिन कर्मचारी से उसका यह हक नहीं छीना जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को किया खारिज-

जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के अगस्त 2013 के एक फैसले को दरकिनार करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने एक विश्वविद्यालय में फार्मा साइंस विभाग के शिक्षकों की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें अगस्त 2011 के विज्ञापन के आधार पर चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे और उसकी नियुक्ति की शर्तों को चुनौती दी थी।

पीठ ने कहा, बेशक नियोक्ता को अपनी शर्तें लगाने का पूरा अधिकार है, लेकिन साथ ही इन शर्तों की खामियों को चुनौती देने के लिए कर्मचारी भी स्वतंत्र है। अगर कर्मचारी द्वारा शर्तों को चुनौती देने से उसकी नौकरी जाती है तो कोर्ट ऐसे मामले में न्यायिक नोटिस भी जारी कर सकता है।

नियोक्ता की दलील कोर्ट ने की खारिज-

विश्वविद्यालय के वकील ने दलील दी कि कर्मचारी ने नियुक्ति पत्र की सभी शर्तों को स्वीकार किया है, इसलिए वह इसे चुनौती नहीं दे सकता। इस पर पीठ ने कहा, आपकी यह दलील इस लिए खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि कर्मचारी को उसकी सेवाओं की शर्तें चुनने का मौका नहीं मिलता। लेकिन जब नियोक्ता को वेतन व अन्य पहलुओं पर मोलभाव का अधिकार है तो कर्मचारी को भी हक है कि अगर उसकी वैधानिक जरूरतें पूरी नहीं होती तो वह इन शर्तों को चुनौती दे सकता है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय के मानक पर मिले मानदेय-

कोर्ट ने पाया कि जनवरी 2009 में इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया था। इसके बाद अगस्त 2011 में विभिन्न विभाग के शिक्षकों की नियुक्ति की गई। लेकिन इन नियुक्ति में यूपी विश्वविद्यालय कानून के आधार पर शर्तें लगाई गईं। कोर्ट ने कहा, इन शिक्षकों के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय के मानक पर मानदेय, सुविधाएं व अन्य शर्तें लागू होनी चाहिए।

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