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UP में देश का सबसे चौड़ा 14 लेन का एक्सप्रेसवे, घंटों के जाम से निजात दिलाकर मिनटों में सफर करवाता है पूरा

Delhi-Meerut Expressway : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को राष्ट्रीय राजमार्ग-3 (National Highway-3) भी कहते हैं। यह गाजियाबाद से डासना के माध्यम से दिल्ली को मेरठ से जोड़ता है, जो भारत का सबसे चौड़ा नियंत्रित-पहुंच एक्सप्रेसवे है। राष्ट्रीय राजमार्ग 9 (NH-9) का पूर्ववर्ती 8 लेन खंड डासना तक 14 लेन कर दिया गया है।
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UP में देश का सबसे चौड़ा 14 लेन का एक्सप्रेसवे, घंटों के जाम से निजात दिलाकर मिनटों में सफर करवाता है पूरा

Uttar Pradesh : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi-Meerut Expressway), जिसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने वाला एक्सप्रेसवे (Expressway that will change the face of Uttar Pradesh) भी कहा जाता है, जो दिल्ली से उत्तर प्रदेश को जोड़ता है और इतना चौड़ा है कि 14 गाड़ियां एक साथ 100 किलोमीटर की स्पीड से गुजर सकती हैं. पहले इस पर गाड़ियां घंटों जाम में फंसी रहती थीं, लेकिन आज वे फर्राटे से चलती हैं। इस एक्सप्रेसवे पर गाड़ियों की स्पीड 70 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा की है।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को राष्ट्रीय राजमार्ग-3 (National Highway-3) भी कहते हैं। यह गाजियाबाद से डासना के माध्यम से दिल्ली को मेरठ से जोड़ता है, जो भारत का सबसे चौड़ा नियंत्रित-पहुंच एक्सप्रेसवे है। राष्ट्रीय राजमार्ग 9 (NH-9) का पूर्ववर्ती 8 लेन खंड डासना तक 14 लेन कर दिया गया है। बाद में मार्ग को नया बनाया गया है, जो मेरठ तक जाता है।

दिल्ली से मेरठ जा सकते हैं, 45 मिनट में

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे ने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और हापुड़ जैसे महत्वपूर्ण शहरों के बीच यातायात में काफी सुधार किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और हरिद्वार जैसे शहरों के बीच यात्री की गति भी इस एक्सप्रेसवे से बढ़ी है। 1 अप्रैल 2021 को चरण 2 और 4 के खुलने के साथ, दिल्ली-मेरठ रोड पर पहले 2.5 घंटे की यात्रा की तुलना में मेरठ और दिल्ली के बीच यात्रा का समय सिर्फ 45 मिनट रह गया है।

सालों का सपना था, यह एक्सप्रेसवे

1999 में पहली बार दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की योजना बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य था एनएच-24 पर यातायात को आसान बनाना। लेकिन तब तक यह नहीं बन सका। इसकी चर्चा कई बार हुई, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। जब 31 दिसंबर, 2015 को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे परियोजना की आधारशिला रखी गई, तो लाखों लोगों का सपना पूरा होने लगा।

दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे बना है, कई फेजों में

1 अप्रैल, 2021 को पूरी तरह से शुरू हुई परियोजना में 14 पुल, 28 किलोमीटर साइकिल ट्रैक, 4.66 किलोमीटर एलिवेटेड स्ट्रेच, 22 वाहन अंडरपास और छह फ्लाईओवर/इंटरचेंज शामिल हैं। Delhi-Meerut Expressway का निर्माण चार चरणों में पूरा हुआ है। दिल्ली-यूपी बॉर्डर से निज़ामुद्दीन ब्रिज का निर्माण पहले चरण में हुआ था। यह भाग 8.7 किमी लंबा है और चार फ्लाईओवर और तीन वाहन अंडरपास है। योजना का उद्देश्य निज़ामुद्दीन ब्रिज से एनएच-24 के मौजूदा दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक एक एक्सप्रेसवे बनाना था। यूपी बॉर्डर से डासना दूसरा भाग था। 19.2 किलोमीटर का है। जिसमें 14 लेन (6 लेन एक्सप्रेसवे, 8 लेन सामान्य राजमार्ग, दोनों तरफ 2.5 मीटर साइकिल ट्रैक), 13 वाहन अंडरपास और 6 पैदल यात्री हैं।

दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे का तीसरा और चौथा चरण

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का तीसरा चरण डासना-हापुड़ खंड (Third phase Dasna-Hapur section) है। जिसमें डासना-हापुड़ NH-24 का 22 किलोमीटर का हिस्सा छह लेन का बनाया गया। इस चरण का उद्घाटन सितंबर 2019 में सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया था, जिसकी लागत 1,000 करोड़ रुपये से अधिक थी। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का चौथा चरण है, जो डासना से मेरठ जाता है। जिसमें डासना-मेरठ एक्सप्रेसवे का छह लेन का 46 किलोमीटर का हिस्सा बनाया गया था। इस चरण का खर्च 2,000 करोड़ रुपये था और 1 अप्रैल, 2021 को आम लोगों के लिए खुला था।

एक्सप्रेसवे पर गति सीमा है, अलग-अलग

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर कई स्थानों पर गति सीमा अलग है। पैकेज 1 दिल्ली की गति सीमा 70 किमी/घंटा, पैकेज 2 गाजियाबाद की गति 100 किमी/घंटा और पैकेज 4 डासना और मेरठ की गति 120 किमी/घंटा है। एक्सप्रेसवे की छह एक्सप्रेस लेन पर ऑटो और बाइक चलाना मना है।

दिल्ली से मेरठ बिना रेड लाइट के सफर

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के निर्माण से पहले, मेरठ से दिल्ली जाना या आना काफी कठिन होता था। दिन भर जाम लगा रहता था। लेकिन इस एक्सप्रेसवे के बनने से यात्रा कुछ मिनटों में पूरी हो जाती है। इसके निर्माण से 31 रेड लाइट्स, जो पहले इस रूट पर थीं, खत्म हो गईं। आज मेरठ से दिल्ली आसानी से सिंग्नल फ्री सफर से पहुंच सकते हैं।

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