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Noida में 1 साल पहले गिराए गए ट्विन टावर का मलबा हुआ साफ, जानें अब यहां क्या बनेगा

Noida News - सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश के बाद नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर्स (Twin Towers) को ध्वस्त कर दिया गया था। ऐसे में अब सवाल ये है कि आखिर यहां अब क्या बनाया जाएगा.. आइए नीचे खबर में जानते है।
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The debris of the twin towers demolished 1 year ago in Noida has been cleared, know what will be built here now

Noida : नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर्स (Twin Towers) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया था. अब एक साल के बाद सेक्टर 93 ए से ट्विन टावर्स के मलबे को पूरी तरह से साफ कर दिया गया है. सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने प्रस्ताव दिया है कि खाली जमीन पर एक पार्क बनाया जाना चाहिए.

मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि पार्क की योजना और डिजाइनिंग का काम एक महीने में शुरू होने की संभावना है. RWA का कहना है कि जमीन एमराल्ड प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसलिए इसपर उसका अधिकार है. 

कितनी खाली है जमीन?

28 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर करीब 100 मीटर ऊंचे ट्विन टार्वस को ध्वस्त कर दिया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, अब पूरी तरह से मलबा साफ कर दिया गया है और दो एकड़ की जमीन खाली पड़ी है. इसलिए यहां बच्चों के खेलने के लिए पार्क और अन्य तरह की चीजों को बनाने की योजना है. फिलहाल खाली जमीन पर किसी भी तरह के कंक्रीट कंस्ट्रक्शन की योजना नहीं है. 

गिराने में आया था इतना खर्च-

भ्रष्टाचार के गगनचुंबी इमारत ट्विन टावर्स को अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से खड़ा किया गया था. सुपरटेक के ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपये का खर्च (Supertech Twin Towers Demolition Cost) आया था. दोनों ही टार्वस में कुल 950 फ्लैट्स बने चुके थे. सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये की लागत से ट्विन टावर का निर्माण किया था.

क्या था पूरा मामला?

नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन का आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी. 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई, लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी. 

सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6,556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया, जिसकी अतिरिक्त लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर के नाम कर दी गई. नक्शा पास होने के बाद दोनों प्लॉट्स को मिलाकर एक ही प्लॉट में तब्दील कर दिया गया और इस पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट को लॉन्च कर दिया. प्रोजेक्ट के अनुसार, ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की थी. उत्तर प्रदेश सरकार 28 फरवरी 2009 को नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया. एफएआर बढ़ने से अब उसी जमीन पर बिल्डर ज्यादा फ्लैट्स बना सकते थे. 

ग्रीन पार्क की जगह खड़ी हुई थी ईमारत

इसके बाद प्लान को तीसरी बार रिवाइज किया गया. इस रिवीजन में बिल्डर को ऊंचाई 121 मीटर तक बढ़ाने और 40 मंजिला टावर बनाने की मंजूरी मिल गई. इसके बाद खरीदारों ने विरोध करना शुरू कर दिया. क्योंकि नक्शे के हिसाब से आज जहां पर 32 मंजिला एपेक्स और सियाने खड़े हैं, वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था.

हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

जब कोई समाधान नजर नहीं आने पर खरीदारों ने 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) का दरवाजा खटखटाया. साल 2014 में हाईकोर्ट ने इन्हें गिराने का आदेश दिया, तब तक बिल्डर ने 32 फ्लोर की इमारत खड़ी कर दी थी. बिल्डर ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुपरटेक ने एक टावर को गिराकर दूसरे को रहने देने की भी भी दलील दी. हालांकि कोर्ट में बिल्डर की कोई भी दलील काम नहीं आई और सुप्रीम कोर्ट ने भी इन्हें गिराने पर हरी झंडी दिखा दी.

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