Bihar का यह जिला जैविक रूप में पहली बार लगाने वाला है केला और कतरनी

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Bihar का यह जिला जैविक रूप में पहली बार लगाने वाला है केला और कतरनी

The Chopal - जिले ने एक नई जैविक कॉरिडोर योजना शुरू की है। चयनित किसानों को पहली किस्त अनुदान दी गई है। जैविक कतरनी धान और जैविक केले का उत्पादन आधिकारिक तौर पर चिह्नित रकवे में पहली बार होगा। इस योजना में जर्दालू आम भी शामिल है। लेकिन अगले वर्ष जर्दालू आम का जैविक उत्पादन शुरू होगा। पहली किस्त जारी होने के बाद किसानों से जैव इनपुट के लिए सामग्री प्राप्त की जा रही है। जैविक कॉरिडोर के किसानों को इस बार जैविक खाद बनाने के लिए वर्मी पिट बनाना होगा। ऐसा नहीं करने से किसानों की अगली पीढ़ी प्रभावित हो सकती है।

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1168 कृषक जैविक कॉरिडोर में चुने गए

1168 किसान जिले के नए जैविक कॉरिडोर में चुने गए हैं। 1500 एकड़ का नया जैविक कॉरिडोर बनाया गया है। इसके लिए कुल 15 समूह बनाए गए हैं। प्रत्येक समूह को सौ एकड़ जमीन दी गई है। किसानों की संख्या प्रत्येक समूह में अलग है। 2020–2022 और 2024–2025 के लिए योजना बनाई गई है। इस दौरान, जैविक खेती के लिए किसानों को हर साल निर्धारित अनुदान भी दिया जाएगा। ये 15 समूह सात प्रखंडों (जगदीशपुर, नाथनगर, सुल्तानगंज, शाहकुंड, कहलगांव, पीरपैंती और खरीक) में हैं। इससे पहले 2000 एकड़ में एक जैविक कॉरिडोर बनाया गया था, जो सी-3 सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुका है।

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सब्जी, फल और धान की फसल

नए जैविक कॉरिडोर में सब्जी से लेकर कतरनी धान की फसल शामिल हैं। इसमें आम उद्यानिक फसल भी हैं। रतनपुर जैविक कतरनी धान कृषक हित समूह के किसान मनीष सिंह ने बताया कि 100 एकड़ का लक्ष्य है। जगदीशपुर जैविक कतरनी धान उत्पादक समूह भी है। सुल्तानगंज प्रखंड में सबसे अधिक समूह बनाए गए हैं। रतनपुर, किसनपुर, खेरैहिया और असियाचक भी इसमें हैं। नए जैविक कॉरिडोर की योजना का काम भागलपुर में प्रगति पर है, जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव ने बताया। पहली किस्त जारी होने के बाद किसानों को वर्मी पिट बनाना अनिवार्य है। ताकि बाजार जैविक खाद पर निर्भर नहीं रहे।