The Chopal

UP में नई टाउनशिप विकास के लिए लागू हुआ यह माडल, शासन में मांगा गया GDA

शहरों की बढ़ती आबादी की आवासीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नई टाउनशिप बनाने पर जोर है। मुख्यमंत्री शहर विस्तारीकरण योजना के तहत शासन भी विकास प्राधिकरणों को बजट जारी किया जा रहा है। 
   Follow Us On   follow Us on
This model implemented for new township development in UP, GDA sought in the government

The Chopal - शहरों की बढ़ती आबादी की आवासीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नई टाउनशिप बनाने पर जोर है। मुख्यमंत्री शहर विस्तारीकरण योजना के तहत शासन भी विकास प्राधिकरणों को बजट जारी किया जा रहा है। नए शहर प्राधिकरणों द्वारा बनाए जाएंगे, वहां विकास का गोरखपुर माडल लागू होगा। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने माडल बनाया था, जिसके आधार पर खोराबार टाउनशिप एंड मेडिसिटी योजना शुरू की गई है।

ये भी पढ़ें - Ajab Gajab : आज भी भारत के इस गांव की औरतें नहीं पहनती कपडे, ये है बड़ी वजह

विकासकर्ता फर्म को जीडीए योजना के लिए आरक्षित जमीन का सात प्रतिशत देकर 245 करोड़ रुपये का ढांचागत विकास कार्य कर रहा है। इस योजना को विकसित करने के लिए जीडीए को बाहर से धन नहीं देना होगा। राप्तीनगर विस्तार टाउनशिप (करीब 200 एकड़) और स्पोर्ट्स सिटी और कन्वेंशन सेंटर योजना भी इसी माडल से लांच की जानी है।

ये भी पढ़ें - योगी सरकार का बड़ा फैसला, अक्टूबर से नहीं चलेगें UP में डीजल वाले उपकरण

मुख्यमंत्री ने खोराबार टाउनशिप एंड मेडिसिटी योजना को लांच करते हुए इस माडल की प्रशंसा की थी। 23 अगस्त को आवास विभाग की मासिक बैठक में अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने सभी विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों के सामने इस माडल की जानकारी दी। उन्हें यह माडल पसंद आया और जीडीए उपाध्यक्ष को इसे शासन के पास भेजना कहा। उनका कहना था कि यह माडल सभी विकास प्राधिकरणों को भेजा जाएगा।

गोरखपुर माडल के ये लाभ

ढांचागत विकास आवश्यक है जब भी विकास प्राधिकरण को कोई योजना लांच करनी होती है। ज्यादातर प्राधिकरणों की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं है। एक वर्ष में केवल 20 से 25 करोड़ रुपये दिए जा सकते हैं। इस तरह, एक योजना का ढांचागत विकास धीरे-धीरे किया जा सकता है, और जब तक योजना तैयार होती है, दूसरी ओर से नाली और सड़क टूटने की शिकायतें आने लगती हैं। राप्तीनगर विस्तार योजना (GDA) में यह समस्या सामने आई। योजना को पूरी तरह से बनाने में आम तौर पर दस वर्ष लगते हैं। जीडीए ने विकसित किए गए माडल में ढांचागत परिवर्तन एक साथ पूरा होगा। खोराबार में पूरा विकास ढाई वर्ष में पूरा करने का अनुरोध किया गया है। पांच प्रतिशत की पेनाल्टी को अधिकतम छह महीने के लिए बढ़ाया जाएगा। इस प्रकार, कम से कम तीन वर्ष में ढांचागत विकास होगा। इस माडल के तहत पहले ही प्राधिकरण ने 13 एकड़ जमीन सबसे महंगी दर पर बेची। जीडीए इस योजना से अतिरिक्त आय प्राप्त करता है।

विपरीत जमीन पूलिंग का यह माडल

जीडीए ने इस माडल को रिवर्स लैंड पूलिंग माडल मान लिया है। जब कोई जमीन पूलिंग के तहत 25 एकड़ जमीन देगा, तो उसे 25 प्रतिशत विकसित जमीन मिलेगी। 45 प्रतिशत भूमि विकास में खर्च होगा। जीडीए को सिर्फ 30 प्रतिशत जमीन मिलेगी, जिसे बेचकर खर्च निकालना होगा। विपरीत जमीन पूलिंग (जीडीए) माडल में केवल सात प्रतिशत जमीन दी जाती है, जबकि लगभग 47प्रतिशत विकसित जमीन दी जाती है।

अधिकारी की प्रतिक्रिया क्या है?

खोराबार टाउनशिप एंड मेडिसिटी योजना में भूमि मुद्रीकरण का माडल लागू होगा, जीडीए के उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने कहा। जीडीए से कोई धन इसमें खर्च नहीं किया गया है। बल्कि विकास करने वाली फर्म को जमीन प्रीमियम पर दी गई है। भविष्य में भी यही माडल लागू होगा। दो दिन पहले हुई बैठक में, सभी ने इस माडल की प्रशंसा की है और इसके विवरण की मांग की है।