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राजस्थान में 5 करोड़ से पुनर्जीवित होगी ये नदी, 40 गांवों के खेतों को मिलेगा पानी

Rajasthan News : राजस्थान एक अर्ध-शुष्क राज्य है, और यहाँ सिंचाई के लिए पानी की कमी एक बड़ी चुनौती रही है। राजस्थान में पाटली नदी फिर से पुनर्जीवित होने की कगार पर आ चुकी है। राजस्थान में इस नदी के पूंजीगत होने से सिंचाई सुविधा में काफी ज्यादा सुधार होगा। राजस्थान में सिंचाई के लिए पानी की काफी कमी हैं।

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राजस्थान में 5 करोड़ से पुनर्जीवित होगी ये नदी, 40 गांवों के खेतों को मिलेगा पानी

The Chopal : राजस्थान जैसे अर्ध-शुष्क राज्य में, जहां खेती का बहुत बड़ा हिस्सा मानसून पर निर्भर करता है, वहां पाटली जैसी छोटी मगर महत्वपूर्ण नदियों का पुनर्जीवन सिंचाई की दिशा में क्रांतिकारी कदम हो सकता है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने लगभग क्षतिग्रस्त पाटली नदी की मरम्मत की शुरुआत की है। नदी के किनारों को सुदृढ़ किया जाएगा और मलबे और अपशिष्ट को हटाया जाएगा। इससे आसपास के चालिस गांवों में सिंचाई व्यवस्था में सुधार होगा। आप इस नदी को लेकर सरकार की वर्तमान योजना जानते हैं। 5 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुआ राजस्थान की पाटली नदी का पुनर्जीवितीकरण कामकोटा के जुल्मी में शुरू हुआ हैं। पूरी योजना दो चरणों में पूरी की जाएगी।

पाटली नदी को राजस्थान के कोटा में पुनर्जीवित करने का काम शुरू हो गया है। गुरुवार (13 मार्च) को कोटा के जुल्मी में पाटली नदी की मरम्मत का शुभारंभ शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने किया। 5 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में लगभग 40 मीटर चौड़ी पाटली नदी की तलछट में जमे मलबे, कांच, पत्थर के टुकड़ों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को निकाला जाएगा. इसके किनारों को भी सुदृढ़ किया जाएगा।  नदी का जीर्णोद्धार करने से आसपास के खेतों की फसल बाढ़ के पानी से प्रभावित नहीं होगी। नदी के किनारों पर घाट बनाए जाएंगे, और कुछ जगहों पर जल भराव के लिए बेड बनाए जाएंगे।

परियोजना दो चरणों में पूरी होगी

पूरी योजना दो चरणों में पूरी की जाएगी। विधानसभा क्षेत्र रामगंजमंडी के 21 गांवों का 4380 हेक्टेयर क्षेत्र लिफ्ट द्वारा सिंचाई के लिए उपलब्ध हो सकेगा। दूसरे चरण का समापन होने पर रामगंजमंडी क्षेत्र के 19 गांवों की 2670 हेक्टेयर जमीन को लिफ्ट द्वारा सींचाई की सुविधा दी जाएगी। इस प्रकार, इस परियोजना से चार दर्जन गांवों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। इस प्रकार कुल 40 गांव को इस परियोजना से सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा।

खदानों का अपशिष्ट नदी का बहाव बाधित करता है

Dilawar ने बताया कि पाटली नदी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है। पाटली नदी में आसपास की खदानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ डालने से प्राकृतिक बहाव बाधित हो गया है। इससे आसपास के खेतों में पानी भर जाता है, जो फसल को खराब करता है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की कोशिशों से बजट घोषणा में पाटली नदी को मूल स्वरूप में लाने के लिए पांच करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।

Dilawar ने कहा कि पाटली नदी ताकली नदी से भी बड़ी है।  पाटली नदी मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिले मंदसौर में पहाड़ी से निकलती है और सुकेत कस्बे के पास आहू नदी में मिलती है।  पाटली नदी से पूरी यात्रा लगभग 37.40 किलोमीटर की है। पाटली नदी में आसपास की खदानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों के डालने से प्राकृतिक बहाव बाधित हो गया है।  जिससे बाढ़ के पानी से आसपास के खेतों में फसल खराब हो जाती है।  जिससे नदी अपना प्रारंभिक रंग खो चुकी है।  मुख्यमंत्री ने बजट घोषणा में पाटली नदी को मूल स्वरूप में लाने के लिए 5 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जो स्थानीय विधायक और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के प्रयासों से मिलेगा।