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UP का यह गाँव है IAS, IPS की फैक्ट्री, 75 परिवारों में 45 अफसर

यह एक ऐसी परीक्षा है जहां परीक्षार्थी की लेखनी और पर्सनैलिटी दोनों की जाँची जाती है। ऐसे में आवश्यकता है, सही प्लान और सही दिशा में तैयारी की जिसके लिए अक्सर परीक्षार्थी कोचिंग सेन्टर का रूख़ किया जाता हैं। परंतु अगर हम आपको कहें कि बिना कोचिंग की सहायता के माधोपट्टी के धुरंधर सिविल सेवा परीक्षा में झंडे गाड़ रहे हैं
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This village of UP is the factory of IAS, IPS, 45 officers in 75 families

Officer's Village In India: UP के जौनपुर के छोटे से गांव माधोपट्टी (Madhopatti) में सफलता का नया पन्ना लिखा गया है जहां 75 परिवारों ने देश को कुल 47 सिविल सेवा अधिकारी हैं। जहां दिल्ली जैसे महानगर सिविल सर्विस की तैयारी के लिए फेमस हैं वहीं माधोपट्टी भी पूरी तरह दिल्ली को टक्कर देने के लिए तैयारी में है। यूपीएससी यानी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC Civil Services Exam) देश की कठिनतम परीक्षा होती है जिसकी तैयारी करने में परीक्षार्थी दिन-रात एक कर करते हैं। 

यह एक ऐसी परीक्षा है जहां परीक्षार्थी की लेखनी और पर्सनैलिटी दोनों की जाँची जाती है। ऐसे में आवश्यकता है, सही प्लान और सही दिशा में तैयारी की जिसके लिए अक्सर परीक्षार्थी कोचिंग सेन्टर का रूख़ किया जाता हैं। परंतु अगर हम आपको कहें कि बिना कोचिंग की सहायता के माधोपट्टी के धुरंधर सिविल सेवा परीक्षा में झंडे गाड़ रहे हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? यकीनन आपको ये किसी कहानी की तरह प्रतीत होगा परंतु यह सच है।

लखनऊ के पास महज 75 परिवार वाले छोटे से माधोपट्टी ने देश को की आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसर बने हैं। माधोपट्टी के होनहार छात्रों की सफलता केवल सिविल सेवा तक सीमित नहीं हैं बल्कि वे अपनी सेवाएं इसरो और इंटरनेशनल कोर्ट में भी दे दी जा रही हैं। इस गांव के छात्रों के अफसर बनने का सफ़र 1914 में ही शुरू हुआ था जब माधोपट्टी ने मुस्तफा हुसैन के रूप में 1914 में पहला आईएएस अफसर दिया परंतु यह चर्चा में तब आया जब माधोपट्टी ने देश को कुल 47 अफसर बन गए।

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1951 में दूसरा UPSC ऑफिसर: इंदू प्रकाश ने 1951 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएफएस बने थे और दूसरा टॉपर होने का गौरव नाम की था। 1953 में तीसरा सिलेक्शन: 1953 में माधोपट्टी के विद्या प्रकाश और विनय प्रकाश ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त का IAS का पद अपने नाम किया। 1964 में दोबारा यूपीएससी अफसर: 1964 में अजय और छत्रपाल ने UPSC में सफलता प्राप्त कर गांव का गौरव बढ़ाया।

माधोपट्टी के सफल परीक्षार्थियों की सबसे ख़ास बात यह रही कि इस गांव में दूर-दूर तक कोई कोचिंग सेन्टर नहीं होने के कारण भी छात्रों की लगन और मेहनत ने सब कुछ बेहद आसान कर देश की कठिनतम परीक्षा में उन्हें स्थान । जहां कोचिंग को कई लोग यूपीएससी की तैयारी और उसके सफर में एक महत्वपूर्ण फैक्टर मानते हैं वहीं माधोपट्टी ने इस मान्यता को सिरे से खारिज कर सफलता के नए कीर्तिमान लिखे हैं।

बिना कोचिंग, बिना शहरी चार्म के भी ये गांव रौशन है और अफसरों के रूप में उजियारे का काम कर रहा है। माधोपट्टी उन सभी लोगों के लिए मिसाल है जो केवल इस बात से पीछे हट जाते हैं कि वे तो गांव के रहने वाले हैं और गांव से अफसर कैसे पैदा होंगे। लेकिन सच्चाई तो केवल ये है कि मेहनत, लगन और तैयारी किसी गांव या शहर का रूप नहीं देखती। जो मेहनत करता है उसे सफलता ज़रूर मिलती है।

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