The Chopal

किसानों का 4 रुपए वाला टमाटर बिक रहा 40 रूपए किलो, ना आम जनता को फायदा, आखिर कहां जा रहा पैसा

Jaipur Muhana Mandi Report : आज हम बात करगें जयपुर की मुहाना मंडी से लेकर सब्जी उगाने वाले किसानों और सब्जी बेचने वाले दुकानदारों से बात की, ताकि पूरी गणित को समझ सकें। किरदार, यानी किसान, सबसे पहले शुरू करता है..
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किसानों का 4 रुपए वाला टमाटर बिक रहा 40 रूपए किलो, ना आम जनता को फायदा, आखिर कहां जा रहा पैसा

The Chopal, Rajasthan Mandi Report : टमाटर उगाने की लागत 30 से 40 रुपए प्रति किलो है। किसान का मुनाफा केवल डेढ़ से ढाई रुपये है। 40 रुपये किलो प्याज 5 से 6 रुपये में बिकता है। किसान के हिस्से केवल 3 से 4 रुपए आते हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब किसान को मामूली लाभ होता है तो हमें क्यों सब्जियां 8 से 10 गुना अधिक कीमत पर मिलती हैं? हमने जयपुर की मुहाना मंडी से लेकर सब्जी उगाने वाले किसानों और सब्जी बेचने वाले दुकानदारों से बात की, ताकि पूरी गणित को समझ सकें। किरदार, यानी किसान, सबसे पहले शुरू करता है..

किसान 1: चार साल से खर्च-पानी जेब से दिखता है

पिछले चार साल से चिथवाड़ी में रहने वाली मनभरी देवी सब्जियां बो रही है। खेत में इस बार मिर्ची और टमाटर बोए गए हैं। वह कहती हैं कि जेब से भी खर्चा-पानी दिखता है।

पास खड़े मनभरी के बेटे भगतराम ने बताया कि चार बीघा टमाटर लगभग 90 हजार रुपए में लगाए गए थे। खाद-पेस्ट नियंत्रण पर 30 हजार रुपए खर्च हुए। फिर ड्रिप सिस्टम की सिंचाई में 20000 रुपये खर्च हुए। मां-बेटे और दो मजदूरों की दिहाड़ी 30 हजार रुपये है। चार बीघा खेत में लगभग पांच सौ क्विंटल टमाटर की पैदावार होती है।

हम एक किलो टमाटर के लिए 3 रुपये 40 पैसे से अधिक खर्च कर रहे हैं, लेकिन भाव रुलाने वाले हैं। जयपुर की मंडी में 6 रुपए बिकता है। भाड़ा कम करने के लिए हम सिर्फ चौमूं में 5 रुपए में बेचते हैं।

किसान 2: मिर्च की कीमत देने पर हमारा नसीब

दिसंबर में मनोज कुमार जाट ने चार बीघा में मिर्ची की नर्सरी बनाई। मिर्च की पौध लगभग तीन महीने में तैयार होती है। बोने (पौध, बुआई, कीटनाशक, खाद) में लगभग 1 लाख 20 हजार रुपए खर्च हुए। तीन महीने की सिंचाई पर 15-20 हजार रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा सकता है। 2 लोगों को तीन महीने की मजदूरी 30 हजार रुपये मिलती है।

चार बीघा में लगभग 150 क्विंटल मिर्च का उत्पादन होता है। उन्नत किस्म 180 क्विंटल भी हो सकती है। मिर्च की औसत लागत 8 से 10 रुपए प्रति किलो है। अब इन्हें तोड़ने और मंडी तक ले जाने की मेहनत करना शुरू कर दीजिए। मंडी में हम किसानों से 12 से 15 रुपए प्रति टन मिलते हैं। 18 रुपए मिलने पर आपको लगता है कि यह बहुत अच्छा नसीब है।

मार्च की शुरुआत में 55 से 60 रुपए के अच्छे भाव मिल रहे थे। अब 15 से 20 रुपये है। करीब डेढ़ लाख रुपये की मिर्ची खरीदी गई है। अगर भावना ऐसी ही रहती है, तो खर्च वसूल हो जाएगा। भाव 10 से नीचे चला गया तो नुकसान ही भुगतान करना होगा।

कृषक 3: किसान प्याज 8 से 10 रुपए में बेच रहे हैं

राजस्थान में सीकर, अलवर, नागौर के अलावा कई स्थानों पर प्याज की खेती की जाती है। किसान का प्याज फिलहाल 8 से 10 रुपए में खरीदा जा रहा है। लेकिन इसे 30 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है।

सीकर जिले के किसान विक्रम मीणा पिछले कई वर्षों से प्याज की खेती कर रहे हैं। एक हेक्टेयर में 250 से 300 क्विंटल प्याज का उत्पादन होता है। चार बीघा प्याज बोने का मूल्य लगभग एक लाख 20 हजार रुपए है। इसमें खाद और निराई-गुड़ाई की लागत शामिल है। फसल काटने की मजदूरी अलग से है और सिंचाई पर 25000 रुपए है।

यहां तक 5 से 6 रुपए की लागत होती है। हमारा प्याज मंडी में 8 से 9 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। यहां का प्याज मीठा है और जल्दी खराब हो जाता है, इसलिए इसे स्टोर करके लंबे समय तक नहीं रख सकते। हमें कोई भी कीमत मिलने पर बेचना ही होगा। यदि कीमत नहीं मिलती तो सड़क पर फेंकना पड़ता है।

दलालों का लाभ, मंडियों में भिन्नता

हम जयपुर की मुहाना मंड़ी में महंगाई का खेल जानने गए। वहां विनोद कुमार सैनी ने सीकर से प्याज लाया था। बात करने पर बोले का मूल्य 9 रुपए है। डायरेक्ट प्याज 9 रुपए में किसानों से खरीदते हैं।

जब भी किसान अपने खर्च पर मंडी में जाता है, उसे सिर्फ 9 रुपए मिलते हैं। दैनिक रूप से हम खेतों से दो पिकअप में 70 क्विंटल प्याज जयपुर की मुहाना मंडी में बेचते हैं।

जयपुर मंडी में 12 से 13 रुपए मिलते हैं। यही कारण है कि एक पिकअप पर हमें 12 हजार रुपए का मुनाफा मिलता है। जयपुर से डीजल लाने-लेने में लगभग 3 हजार रुपए खर्च होते हैं। जितने ज्यादा गेप होंगे, उतने ज्यादा खर्च होगा।

दरअसल, किसानों को उचित मूल्य मिलता है अगर वे सीधे ही मंडी तक माल लेकर आते हैं। लेकिन अगर सब्जी किसानों से बड़े किसान या दलाल लाते हैं तो किसान को उचित मूल्य नहीं मिलता। कमीशन के लिए बहुत से लोग किसानों से सब्जी लेकर मंडी में ले जाकर बेचते हैं। इससे सब्जियों का मूल्य भी बदल जाता है।

मुहाना मंडी में किसानों की सब्जी लाने या बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगता है, जैसा कि सब्जी व्यापारी वसीम कुरैशी ने बताया। थोक सब्जी खरीदने पर 7 प्रतिशत टैक्स लगता है, चाहे रिटेलर हो या आम व्यक्ति।

मुहाना मंडी में जय अंबे ट्रेडिंग से जुड़े लाला भैया बताते हैं कि राजस्थान में कम आलू उत्पादन होता है, लेकिन जो उत्पादन होता है, वह वहीं के बाजार में खप जाता है। आगरा मंडी से अधिकांश माल आता है। किलो मूल्य अभी 16 रुपए है। जयपुर से अजमेर, उदयपुर या जोधपुर तक पहुंचने के लिए परिवहन की लागत बढ़ जाती है, जो सब्जी की कीमत पर असर डालता है। दूरी से 3 से 5 रुपए का असर पड़ता है। मार्केट में चेन की संख्या बढ़ने पर रेट भी बढ़ता है।

पिछली बार 200 लोकल टमाटर 4 रुपए में बेचे गए।

टमाटर व्यापारी वसीम कुरैशी ने बताया कि गुजरात से अभी 15 से 18 रुपए प्रति थाेक टमाटर आ रहा है। एक महीने बाद, देशी टमाटर की आवक अगस्त तक बढ़ेगी। यह सिर्फ समय ही बताएगा कि इस बार किलो टमाटर की कीमत क्या होगी, जो पिछली बार 200 रुपए में बेचा गया था। अब स्थानीय टमाटर 7 या 10 रुपये प्रति किलो नहीं है।

खीरा व्यापारी गुड्डू ने बताया कि अभी चाइनीज खीरे का मूल्य दस से बारह रुपए है। भारतीय खीरा 8 से 10 रुपये का है। अब लगभग डेढ़ महीने तक देशी खीरा आ जाएगा। पानीपत और करनाल का खीरा फिर आएगा। वह 15 से 20 रुपये में मिलेगा। देशी मुद्रा कम होने पर विदेशी मुद्रा बढ़ जाती है।

मंडी में लौकी 5 से 8 रुपये प्रति किलो बिकती थी।

व्यापारी सलमान ने बताया कि लौकी 5 से 8 रुपये प्रति किलो बिक रही है। दौसा, चौमूं, बगरू, सांगानेर की लौकी आ रही है। किलो करेला भी 10 रुपए है। जयपुर भी करेला लाता है। गुजरात से भी काफी सामान आता है, लेकिन अभी सिर्फ दो महीने स्थानीय चलेगा।

विजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि महाराष्ट्र से आ रहा टिंडा 20 से 22 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। भारतीय टिंडा कुछ महंगा होगा। महाराष्ट्र से भी 25-30 रुपए प्रति किलो ग्वार की फली आती है। राजस्थान में लोकल ग्वार की फली की उत्पादकता कम है।

व्यापारी रौनक सिंह जादौन ने बताया कि इस बार सीजन में स्थानीय भिंडी लेट है। इसलिए थोड़ा महंगा है क्योंकि यह अभी आने लगा है। मध्यप्रदेश की भिंडी यहां बहुत लोकप्रिय है। अभी प्रति किलो 20 रुपये है। चौमूं, कोटा और जयपुर के आसपास की भिंडी अभी 25 से 30 रुपये प्रति किलो है। देशी ताजा थोड़ा महंगा है क्योंकि यह टूटकर आता है।

4 से 5 रुपये प्रति किलो बैंगन, 16 से 16 रुपये प्रति किलो शिमला, 13 से 16 रुपये प्रति किलो प्याज।

व्यापारी आशीष सैनी ने बताया कि मंडी में दोपहर बाद कोई सामान नहीं बिक रहा है। क्योंकि सीजन की सब्जियां एक साथ शुरू हो गई हैं किलो बैंगन चार से पांच रुपए बिक रहा है। गुणवत्तापूर्ण बैंगन 8 से 10 रुपये है। लोकल खीरा भी चार से दस रुपये में खरीदा जा रहा है। सुबह माल बिकने के बाद बाजार दोपहर तक बंद रहता है। दोपहर के बाद सस्ता बेचना चाहिए। यदि नहीं बेचा गया तो माल फिर कल सुबह आ जाएगा। कहां ले जाएंगे?

व्यापारी महावीर शर्मा ने बताया कि शिमला मिर्च की कीमत 13 से 16 रुपये प्रति किलो है। पंजाब से शिमला मिर्च अभी आ रही है। लोकल शिमला मिर्च की कीमत 35 से 40 रुपये प्रति किलो होती है। लेकिन दिसंबर में उसकी आवक होगी।

व्यापारी नरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि सीकर 10 रुपए से 13 रुपए में बिक रहा है। 12 से 15 नागौर खरीदा जा रहा है। 18 रुपए नासिक बिक रहा है। नासिक प्याज बहुत देर नहीं चलता। अक्टूबर से नवंबर तक अलवर का प्याज आता है। किसान भी सीधे मंडी में माल लाते हैं। व्यापारी भी किसानों से उत्पाद लेकर मंडी तक लाते हैं।

अब रिटेलर की गणना समझें..।

रिटेलर संख्या एक: हमने सोडाला में एक ठेले पर खीरा बेच रहे दिव्यांशु से उनके भावों का पता लगाया। किलो बोला 20 रुपए है। हमने बताया कि मंडी में 8 से 10 रुपए है। बोला कि हम तो प्रति किलो 18 रुपये लाते हैं। हर दिन भाव बदलता है। किराया पर सब्जी लाते हैं और टैक्स देते हैं। टमाटर एक कैरेट में 3 से 4 किलो खराब होता है।

रिटेलर संख्या दो: लालकोठी सब्जी मंडी में सब्जी व्यापारी दिनेश से हमने शिमला मिर्च के मूल्य का पता लगाया। रेट पूछने पर कहा कि खरीदी 50 रुपए की है और हम 80 रुपए बेच रहे हैं। पाव भिंडी 20 रुपये है, एक किलो के 70 रुपये लगेंगे। 50 रुपये हमारी लागत है।

वास्तव में: थोक शिमला मिर्च महज 15 रुपए है मुहाना मंडी में। वहाँ भिंडी 20 से 25 रुपये प्रति किलो मिलती है।

रिटेलर संख्या 3: महेश नगर में 80 फीट की सड़क पर सब्जी बेचने वाली गंगादेवी से हमने टिंडा का मूल्य 250 ग्राम बताया। 250 ग्राम से अधिक नहीं खरीदते क्योंकि महंगाई है। 250 ग्राम करेला 15 बेचती हूँ। 250 ग्राम हरी मिर्च 10 रुपए में मिलती है।

वास्तव में: मुहाना मंडी में सामान्य टिंडा 35-40 रुपए है, जबकि एमपी से आने वाले टिंडा 20-22 रुपए है। 15 से 20 किलो करेला वहाँ बिकता है। हरी मिर्च प्रति किलो 20 रुपये बिक रही है।

जब हमने कहा कि आप सब्जी बहुत महंगी बेच रहे हैं, तो बोलीं, "मैं गंगापुर शहर की हूँ।" मैं किराए पर रहता हूँ। मैं भी बच्चों को पढ़ाता हूँ। किराए से भी सब्जी लाती हूँ। फल भी खराब हो जाते हैं।

अब आपकी रसोई, जहां सब्जियां आकर महंगी हो जाती हैं। रसोई पहले 1500 रुपये में चलती थी, लेकिन अब 4000 रुपये लगते हैं

महेश नगर में रहने वाली रेखा देवी ने कहा कि घर चलाना बहुत मुश्किल हो गया है। किलो आलू 30 रुपये मिल रहे हैं। टिंडे प्रति किलो 80 रुपये मिल रहे हैं। हरी सब्जी 100 रुपए किलो मिल रही है, जो एक बड़ा सीजन है। मैं, मेरा पति और दो बेटे हमारे चार सदस्य हैं। कुछ महीने पहले तक, एक हजार रुपए की एक महीने की सब्जी पर्याप्त होती थी। अब प्रति महीने 2500 रुपये खर्च होते हैं।

मानसरोवर में रहने वाली सीमा कुमावत एक निजी संस्था में काम करती है। बोली: मैं 80 रुपये प्रति किलो करेले लेकर आया हूँ। पहले प्रति किलो 20 रुपये मिलते थे। पहले सब्जी लाते थे। अब कुछ लाओ। किलो आलू पहले 10 रुपए था। अब प्रति किलो 30 रुपए है। खराब होने के डर से सब्जी भी कम ही बनाते हैं। महंगाई पर गुस्सा आता है, लेकिन क्या करना चाहिए? तनख्वाह नहीं बढ़ा, लेकिन सब्जियां बिना काम नहीं चलती। 500 रुपये की सब्जी सिर्फ तीन दिन चल सकती है।