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UP के इन 8 से ज्यादा शहरों में बनेगी टाउनशिप, इस तरीके से होगी सारी रुपरेखा तैयार

UP News: नए शहर (गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, हापुड़, वाराणसी, गोरखपुर, मुरादाबाद आदि) बनाने की अनुमति है। नई टाउनशिप को एकीकृत नीति से बना सकते हैं। टर्नओवर भी बढ़ाया गया है।

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UP के इन 8 से ज्यादा शहरों में बनेगी टाउनशिप, इस तरीके से होगी सारी रुपरेखा तैयार

UP News : अब उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 50 एकड़ से अधिक टाउनशिप के कृषि योग्य जमीन को राज्य में बदलना अथॉरिटी के स्तर पर ही संभव होगा। शासन ने इस अधिकार को अथॉरिटी बोर्ड को दे दिया है। अब जमीन का उपयोग जीडीए के स्तर पर ही बदल सकेगा। इससे शहर बसाना बहुत आसान होगा। नमो भारत कॉरिडोर के किनारे पर शहर बनाने के लिए कुछ बिल्डर काफी समय से जमीन खोज रहे थे। 

यह आदेश अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने जारी किया है। इस आदेश को पूरे राज्य में लागू किया गया है। इससे गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, हापुड़, वाराणसी, गोरखपुर और मुरादाबाद सहित अन्य नगरीय निकायों में नए शहर बनाना काफी आसान हो गया है। नई शहर पॉलिसी के तहत लाइसेंस प्राप्त करने की भी कोशिश की जा रही है।

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यह है नई टाउनशिप

प्रदेश सरकार ने पिछले साल हाइटेक शहर पॉलिसी को समाप्त कर दिया था। इंटीग्रेटेड नीति में पांच सौ एकड़ और हाईटेक में एक हजार एकड़ की आवश्यकता थी। Uttar Pradesh Township Policy-2023 के अनुसार, दो लाख से कम लोगों वाले शहरों में 5 एकड़ से कम जमीन पर कॉलोनियां बसाने की अनुमति है, जबकि अन्य शहरों में 25 एकड़ जमीन पर कॉलोनियां बसाने की अनुमति है। कॉलोनियों के अंदर 12 मीटर और बाहर 24 मीटर की सड़क आवश्यक होगी। 

ग्राम समाज को इस नीति से सीलिंग या अन्य विभागीय जमीन छोड़ने की अनुमति मिलेगी। 50 एकड़ से अधिक कृषि भूमि पर परियोजनाओं को लाइसेंस मिलेगा, जबकि मास्टरप्लान में 50 एकड़ तक आवासीय भूमि पर कॉलोनी बसाने का लाइसेंस मिलेगा।

सीसी जारी किए जाने की परमिशन

निजी क्षेत्रों में बसने वाले नगरों में सेक्टर विशेष, या पार्टवार कंपलीशन सर्टिफिकेट, जारी किया जाएगा. यह एक सेक्टर प्रमाण पत्र होगा, जिसका सिर्फ नक्शा पास किया जाएगा। नक्शा कंपलीशन प्रमाण पत्र के बिना पास नहीं किया जाएगा। अवैध निर्माण पर रोक लगाना इसका उद्देश्य है। टर्नओवर का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है, जिससे निजी क्षेत्र में टाउनशिप बसाने का लाइसेंस मिलेगा। प्रत्येक एकड़ का टर्नओवर 75 लाख रुपये होना चाहिए। पहले पचास लाख रुपये था। आवंटियों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना के कुल क्षेत्रफल की 75% भूमि होगी। पहले यह 60 प्रतिशत था। दुर्लभ परिस्थितियों में रोड नेटवर्क की 20 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।

समय की होगी बचत

बताया जाता है कि पहली बार जमीन का उपयोग बदलने में जीडीए से लेकर शासन तक काफी समय लगता था। जीडीए बोर्ड से इसे अप्रूव करने से पहले शासन को भेजा जाता था। इसमें एक वर्ष से अधिक समय लग गया था। अब इसका अप्रूवल सीधे जीडीए बोर्ड से ही मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ, कुछ बिल्डरों का कहना है कि शासन ने जमीन का उपयोग बदलना आसान है। जीडीए अधिकारियों को निर्णय लेने में बहुत समय लगता है।

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टाउनशिप का क्षेत्रफल 50 एकड़ से अधिक होने पर मास्टर प्लान के तहत कृषि योग्य भू उपयोग में भी लाइसेंस मिलेगा, जैसा कि अपर मुख्य सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया। अब जीडीए बोर्ड को कृषि योग्य जमीन को आवासीय में बदलने का अधिकार होगा। शासन को यह अधिकार मिला है।