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UP की 2 रेल लाइनें होगी डबल पटरी, बढ़ जाएगी सुपरफास्ट रफ्तार, कैबिनेट से मिली मंजूरी

UP Rail Project: यूपी में रेल की गति को बढ़ाने की योजना पर लगातार काम किया जा रहा है। ट्रेनों को सुपरफास्ट गति में चलाने के लिए ट्रैक को मजबूत करने की योजना पर काम शुरू किया जा रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रदेश की दो परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी है।
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2 railway lines of 198 kilometers in UP will be double track

UP News : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश में रेलवे की गति को तेज करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत दो रेल परियोजनाओं को मोदी कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। यूपी में चोपन-चुनार रेल खंड और गोरखपुर कैंट- बाल्मीकिनगर रेल खंड परियोजना को स्वीकृति दे दी गई है। चोपन से चुनार के बीच 102 किलोमीटर रेलवे लाइन के दोहरीकरण की योजना पर 1553 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। वहीं, गोरखपुर कैंट से बाल्मीकिनगर के बीच 96 किलोमीटर रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना पर 1269.8 करोड़ रुपए खर्च को स्वीकृति दे दी गई है। उत्तर प्रदेश की दोनों रेल लाइन जिनकी पटरी डबल की जाएगी उनकी लंबाई 198 किलोमीटर है.

इन दोनों परियोजनाओं को हरी झंडी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश से बिहार और छत्तीसगढ़ के बीच ट्रेनों की गति को तेज करने में मदद मिलेगी। यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कम समय लगेगा। वहीं, माल की ढुलाई भी तेजी से संभव हो सकेगी। 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली रेलवे लाइन इन रूटों पर बिछाई जाएगी। 2026-27 तक रेल परियोजनाओं को पूरा कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बजट में मिली थी स्वीकृति

रेलवे की ओर से चोपन-चुनार रेलखंड के दोहरीकरण के बजट को स्वीकृति दे दी गई थी। इस 102 किलोमीटर लंबे रेलखंड की डबलिंग का काम 1553 करोड़ रुपए की लागत से होगा। इस रेलखंड के दोहरीकरण से झारखंड और छत्तीसगढ़ जाने वाली ट्रेनों में कम समय में ही अपनी यात्रा पूरी कर लेंगी। भारतीय रेल ने गति शक्ति अभियान के तहत चोपन-चुनार समेत कुल सात प्रोजेक्ट को स्वीकृति और बजट आवंटन दिया गया है। इसमें यूपी की दो परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। पूर्वमध्य रेलवे चोपन के मंडलीय यातायात प्रबंधक अभिषेक विशाल ने इस सुखद खबर को मीडिया से साझा करते हुए कहा कि निश्चित तौर पर यह सोनभद्र और मिर्ज़ापुर जिले के लिए बड़ी उपलब्धि है।

अभिषेक विशाल ने कहा कि भारी मात्रा में कोयले की ढुलाई वाले इस क्षेत्र में सिंगल लाइन होने के कारण न सिर्फ माल ढुलाई प्रभावित होती है, बल्कि यात्री ट्रेनों के संचालन पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस कार्य से न सिर्फ माल ढुलाई सुगम होगी, बल्कि भविष्य में इस रेलखंड पर यात्री ट्रेनों की संख्या भी बढ़ेगी। इससे क्षेत्र के लोगों को बेहतर रेल सेवा भी उपलब्ध हो सकेगी।

गोरखपुर- बाल्मीकिनगर प्रोजेक्ट भी स्वीकृत

गोरखपुर से वाल्मीकि नगर रेलखंड के दोहरीकरण को भी बजट में मंजूरी दी गई थी। इस रेलखंड की लंबाई 96 किलोमीटर है। अब इसके लिए मोदी कैबिनेट ने 1269.8 करोड़ रुपए के बजट का आवंटन किया है। इन दो प्रोजेक्ट के अलावा सोननगर-अडाल खंड पर तीसरी और चौथी लाइन के लिए भी योजना को बजट में स्वीकृति मिली थी। इस योजना से नॉर्थ से ईस्ट की तरफ जाने वाले गुड्स ट्रेन को तेजी से संचालित किया जा सकेगा। रेल लाइन के निर्माण से कंजेशन में कमी आएगी। इससे हावड़ा से प्रयागराज के बीच यात्रा करने वालों के समय में बचत होगी।

चुनार-चोपन रेलखंड पर अभी 14 ट्रेनें

प्रयागराज मंडल के चुनार-चोपन रेलखंड की कुल लंबाई करीब 102 किलोमीटर है। अभी इस रूट पर प्रयागराज से होकर करीब 14 यात्री ट्रेनें गुजरती हैं। इनमें रांची राजधानी, मुरी एक्सप्रेस, त्रिवेणी एक्सप्रेस आदि शामिल हैं। इसके अलावा करीब दो दर्जन मालगाड़ियों का भी इस रूट पर संचालन हो रहा है। रूट के दोहरीकरण से यात्रा के समय में कमी आएगी। इसके अलावा माल ढुलाई में भी वृद्धि होगी। झारखंड से कोयला लेकर आने वाली तमाम मालगाड़ी भी इस रूट से चलती हैं। वे समय पर गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकेंगी।

गंडक पर पुल, नेपाल तक बढ़ेगी कनेक्टिविटी

गोरखपुर कैंट- बाल्मीकिनगर रेलवे लाइन दोहरीकरण की योजना से इस इलाके के लोगों को बड़ा फायदा होगा। इस योजना की मंजूरी से करीब 32 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन होगा। परियोजना में गंडक नदी पर 854 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया जाएगा। इस रूट पर 16 बड़े और 38 छोटे पुल का निर्माण किया जाएगा। इस रूट पर पश्चिम की तरफ गोरखपुर कैंट से पंजाब तक दोहरी लाइन है। वहीं, पूर्व की तरफ बाल्मीकिनगर से मुजफ्फरपुर तक दोहरीकरण का काम किया जा सकता है।

पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक चंद्रवीर रमण का कहना है कि गोरखपुर कैंट से बाल्मीकिनगर के बीच रेल लाइन के दोहरीकरण से नौतनवां, रक्सौल, वीरगंज, जोगबनी से नेपाल तक की कनेक्टिविटी बढ़ सकती है। यह रूट नेपाल सीमा के पास से गुजरती है। नरकटियागंज, दरभंगा और फारबिसगंज होकर नॉर्थ-ईस्ट जाने के लिए यह सबसे छोटा रूट है। दोहरीकरण का काम होने के बाद इस रूट पर 15 अतिरिक्त मालगाड़ियों का परिचालन किया जा सकेगा।

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