The Chopal

क्या होता है कपड़ों की दुकान पर बिना बिके कपड़ों के साथ, हैरान रह जाएंगे जवाब सुनकर

एक सोशल मीडिया साइट, अक्सर लोगों से ऐसे सवाल पूछता है जिनका जवाब बहुत कम लोगों को पता है। लेकिन इस प्लेटफॉर्म पर जुड़े यूजर्स ही सभी प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं। यहां एक समान प्रश्न पूछा गया है: "कपड़ों की दुकान पर बिना बिके कपड़ों का क्या होता है,
   Follow Us On   follow Us on
क्या होता है कपड़ों की दुकान पर बिना बिके कपड़ों के साथ, हैरान रह जाएंगे जवाब सुनकर 

What happens to unsold clothes: Quora, एक सोशल मीडिया साइट, अक्सर लोगों से ऐसे सवाल पूछता है जिनका जवाब बहुत कम लोगों को पता है। लेकिन इस प्लेटफॉर्म पर जुड़े यूजर्स ही सभी प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं। यहां एक समान प्रश्न पूछा गया है: "कपड़ों की दुकान पर बिना बिके कपड़ों का क्या होता है, मालिक को क्या नुकसान होता है?"यह सवाल लाख टके का लगता है क्योंकि हर सीजन के अंत में हमेशा कुछ कपड़े बिके रहेंगे। आप हैरान हो जाएंगे कि कई कोरा यूजर्स ने इस सवाल का क्या जवाब दिया है।

कोरा ग्राहकों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि ऐसे कपड़े से निपटने के लिए क्लॉथ स्टोर मालिकों के पास कई विकल्प हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

डिस्काउंट देना  

कई दुकानें इसे टीके मैक्स या आउटनेट जैसे डिस्काउंट स्टोर में बेचते हैं। सुनील वर्मा नामक एक कोरा उपयोगकर्ता ऐसा कहता है। साथ ही, उन्होंने बताया कि कुछ लोग नियमित रूप से आवश्यक वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री करते हैं या उनके पास अपने खुद के आउटलेट स्टोर होते हैं, जहां वे पुराने उत्पादों को कम कीमत पर बेचते हैं। सुनील की बात का कोरा यूजर रमेश चंद्र वार्ष्णेय ने समर्थन किया। “50 प्रतिशत की सेल ऐसे ही कपड़ों की लगाई जाती है,” उन्होंने कहा।"

Also Read: Delhi NCR में हवा पानी से चलेगी ये 15 बसें, 4 सिलेंडर से लैस होंगी ये बस

कपड़े दान करें

सुनील वर्मा ने कहा कि अगर कपड़े बिके रहते हैं, तो वे फाउंडेशन को दान करते हैं, जो उन्हें जरूरतमंद लोगों को फ्री में या बहुत कम कीमत पर बेच देते हैं। एलक्स मैगजीन ने बताया कि ऑक्सफेम और द साल्वेशन आर्मी जैसे कुछ संस्थाएं ऐसा ही करती हैं।

फेस्टिवल सेल में खरीदें

पहले, कपड़े इतनी जल्दी खराब नहीं होते। इसलिए बिके हुए कपड़े भी फेस्टिवल सेल में बेचे जाते हैं। “आज नहीं तो कल ऐसे कपड़े बिक ही जाते हैं,” एक कोरा यूजर निधी जोशी कहती है। अगर फिर भी न बिकें तो छुट्टियों पर सेल लगाओ; भले ही कमाई कम होगी, लेकिन कपड़े बेचे जाएंगे।"

पहले से ही मार्जिन

“दुकानदार कपड़े के काम में इतना मार्जिन लेकर चलते हैं कि बचे हुए कपड़े से लॉस न हो,” कोरा यूजर राज बहादुर सिंह ने कहा। कृष्ण नामक व्यक्ति बताता है, "ग्रामीण इलाकों में या निचले इलाकों में फेरी लगाकर लोग ऐसे ही कपड़ों को बेचते हैं।" फिर भी दस प्रतिशत माल बेकार हो जाता है। ऐसे सामान को बेचते समय दुकानदार उसका मार्जिन भी बढ़ाता है, यानी उसे लाभ मिलता है।"

Also Read: Delhi NCR में हवा पानी से चलेगी ये 15 बसें, 4 सिलेंडर से लैस होंगी ये बस