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क्या होती है चकबंदी, किसानों को फायदा मिलता है या नुकसान, समझिए काम की बात

Chakbandi Kya Hai :चकबंदी (Land Consolidation) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसानों की बिखरी हुई जमीन को एक स्थान पर समेकित किया जाता है। इससे खेती करना आसान हो जाता है और भूमि का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।

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क्या होती है चकबंदी, किसानों को फायदा मिलता है या नुकसान, समझिए काम की बात

Chakbandi Started: किसानों की खेती करने वाली जमीन अक्सर कई भागों में विभाजित होती है। उसकी पूरी जमीन के बराबर एक जगह खेत के लिए उपलब्ध है।  इसे चकबंदी कहते हैं।  किसानों को कभी-कभी इससे कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।  वहीं कभी-कभी किसानों को इससे बहुत फायदा होता है।  चकबंदी में एक ही स्थान पर खेत करने से लागत कम होती है। अगर सही तरीके से लागू किया जाए तो चकबंदी किसानों के लिए एक फायदेमंद प्रक्रिया साबित हो सकती है। इससे उत्पादन बढ़ता है, लागत कम होती है और खेती की आधुनिक पद्धतियों को अपनाने में मदद मिलती है।

भारत गांवों का देश है। आज भी देश की 60% से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है। उनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। देश की बढ़ती जनसंख्या और परिवार के बंटवारे से खेती की जमीन भी बंट जाती है। जिससे खेत छोटे होते हैं।  ऐसे में, चकबंदी एक किसान को एक ही स्थान पर खेती योग्य जमीन देना है। किसानों की आवश्यकताओं को देखते हुए सरकार ने यह नियम बनाया है। उत्तर प्रदेश में अब तक 1,27,225 गांव में पहले और दूसरे चरण की चकबंदी हो चुकी है। अभी भी 4497 गाँवों में चकबंदी की जा रही है।

बिहार के कई जिलों में चकबंदी की प्रक्रिया जारी है। 70 के दशक में राज्य में पहली चकबंदी शुरू हुई थी। बिहार में 1992 में चकबंदी को बंद कर दिया गया था। इसके बावजूद, बाद में न्यायालय के आदेश पर इसे फिर से शुरू किया गया। यह बहुत धीमी गति से काम कर रहा है।

चकबंदी क्या होती है?

जब किसानों की जमीन परिवार में बाँट दी जाती है, तो खेत का आकार कम हो जाता है। जिससे किसान खेती करते समय बहुत मुश्किलों का सामना करते हैं। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की शिकायतें भी बढ़ने लगी हैं।  इसके परिणामस्वरूप सरकार चकबंदी करती है।  हर राज्य का चकबंदी अधिनियम अलग है।  भारत की स्वतंत्रता से पहले 1921 में पंजाब राज्य में सहकारी समितियों ने ऐच्छिक चकबन्दी की शुरुआत की।  मध्य प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल में आज भी ऐच्छिक चकबंदी कानून लागू हैं।  इसमें किसान चाहें तो चकबंदी करा सकते हैं। इससे कोई बहस नहीं होगी।

चकबंदी की वजह

सरकार ने किसानों को एक ही स्थान पर खेत देना शुरू किया। जिन किसानों के पास छोटे-छोटे खेत थे, उन्हें एक ही स्थान पर उतनी ही जमीन मिली। हर राज्य का चकबंदी कानून अलग है। चकबंदी के तहत मिलने वाले खेतों को चक कहते हैं।
 

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