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क्यों आम बात होती जा रही है बार बार सूखा पड़ने की, जानिए क्या है कारण

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 सूखा पड़ने की

THE CHOPAL - भारत में इस वर्ष गर्मी अभी सब जगह चरम पर नहीं पहुंची है, कुछ राज्यों में हीट वेव या ग्रीष्म लहर ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर भी दिया है. जम्मूकश्मीर में बर्फबारी का 20 वर्ष का न्यूनतम रिकॉर्ड टूट गया है. इस वजह से भी अनुमान लगाया जा रहा है कि गर्मी के तेवर तीखे जरूर होंगे. हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि तीव्र या त्वरित सूखे, सूखों के नए मानका का रूप लेता जा रहा है.

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फ्लैश या त्वरित सूखों की खासियत उनका अचानक से पनपना और विकसित होना होता हैजिससे कुछ ही हफ्तों में गंभीर सूखे की स्थिति पैदा हो जाती है. इस तरह के सूखे के पीछे कम बारिश और उच्च वाष्पन-उत्सर्जन का मिश्रण है जिससे मिट्टी बहुत तेजी से अपनी नमी खो देती है और ऐसा तेजी से होता है, फिर भी सूखे के हालात महीनों तक रहते हैं।अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम यह तय करने का प्रयास किया है कि क्या परंपरागत धीमे सूखे तीव्र सूखे की ओर बढ़ रहे हैं, और यह चलन कार्बन उत्सर्जन के माहौल में कैसे विकसित हो रहा है. टीम का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने प्रभावी तौर पर सूखे की प्रक्रियाओं को गतिमा किया है और यह अलग अलग क्षेत्रों में विविधता लिए हुए है। 

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शोधकर्ताओं ने पाया कि जहां पूर्वी और उत्तर एशिया, यूरोप, सहारा, दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी छोर, में तीव्र सूखे तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं कुछ इलाकों जैसे उत्तरी अमेरिका दक्षिण पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में तीव्र और धीमे सूखे दोनों में कमी देखने को मिली है, लेकिन सूखे आने की गति में तेजी इन इलाकों में भी बढ़ी है. रोचक बात यह है कि अमेजन और पश्चिमी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में तो तीव्र सूखे जैसे हालात के प्रमाण नहीं दिख रहे हैं.