क्या भारत में फिर से होगी नोट बंदी? बदला जाएगा India लिखे नोटों को
The Chopal - राष्ट्रीय मुद्रा देश की संप्रभुता का प्रमाण होती है, इसलिए यदि सरकार ने इंडिया के स्थान पर भारत शब्द को देश के आधिकारिक नाम के तौर पर स्वीकार किया, तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को अपना नाम बदलना होगा।
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राष्ट्रपति ने जी 20 कार्यक्रम के लिए मेहमानों को भेजे गए निमंत्रण पत्र में 'इंडिया' शब्द के स्थान पर 'भारत' शब्द का उपयोग करने पर विवाद हुआ है। भाजपा ने इंडिया गठबंधन से डरकर देश का नाम बदलने का फैसला किया है, जिससे पूरे विपक्ष ने इसका तीव्र विरोध किया है। विरोधी पक्ष इसे संविधान और अंबेडकर का अपमान बता रहा है। यह भी चर्चा हो रही है कि अगले विशेष सत्र में देश का नाम आधिकारिक तौर पर भारत होगा। नई संसद में देश का नाम पुराने गौरव के साथ जोड़कर रखने का कारण बताया जा रहा है और इसका नाम भारत रखने का कारण गुलामी के दिनों से जुड़ा हुआ है।
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इन सबके बीच, एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि अगर सरकार ने भारत को इंडिया के स्थान पर आधिकारिक तौर पर रख दिया तो इसका क्या प्रभाव होगा? क्या सरकार आईआईटी-आईआईएम और सर्वोच्च न्यायालय के नाम भी बदलेगी? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, जो सभी भारतीय रुपयों पर अंकित है, इससे सबसे अधिक प्रभावित होगा। क्या भारत सरकार लिखे सभी पैसे वापस लेगी और इसी बहाने एक बार फिर नोटबंदी लागू करने की योजना बनाई जाएगी? इसी तरह की चिंता आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने व्यक्त की है।
क्या होता है?
डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा, आर्थिक मामलों का विशेषज्ञ, ने बताया कि सरकार ने अभी तक इस बारे में कुछ नहीं बताया है। इसलिए इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस करना उचित नहीं है। लेकिन यदि सरकार यह मान भी ले कि देश का नाम आधिकारिक तौर पर बदल जाएगा, तो भी वह नोटबंदी को फिर से लागू करने का जोखिम नहीं उठाएगी। भारत ने पिछली नोटबंदी का दुष्परिणाम भुगतना पड़ा। ऐसे में देश को फिर से यह खतरा नहीं उठाना चाहिए।
2000 रुपये वापस लेने का प्रस्ताव आ सकता है
सरकार ने पहले की गलतियों से सीख ली है। जब 2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया गया, इसका सीधा असर बाजार पर दिखाई दिया। सरकार ने बैंकों में जमा दो हजार के नोटों को वापस लेना शुरू कर दिया और नए नोट नहीं जारी किए। यह भी दो हजार रुपये का नोट प्रचलन से बाहर कर दिया, लेकिन इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं था।
यदि सरकार ने इंडिया के स्थान पर भारत शब्द को देश का आधिकारिक नाम मान लिया, तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नाम बदलना होगा। क्योंकि देश की मुद्रा उसकी संप्रभुता का प्रमाण होती है, और किसी भी दूसरे शब्द को इसके नाम के स्थान पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
क्योंकि इतनी महत्वपूर्ण प्रक्रिया रातों-रात नहीं होती। इसके लिए बहुत समय लगेगा और बदलावों को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा, इसलिए सरकार को जनता को देने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। धीरे-धीरे चरणबद्ध प्रक्रिया से सभी मुद्राओं को चलन से बाहर किया जा सकता है, और इससे अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान नहीं होगा।