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अपनी प्रॉपर्टी बचाने के लिए चला सकते हैं गोली, इस तरह छुड़ाएं कब्जाधारी से जमीन

Land Occupied -हर साल प्रॉपर्टी के रेट में इजाफा होता जा रहा है। चाहे शहर हो या फिर गांव प्रॉपर्टी खरीदना महंगा हो गया है। सालों मेहनत कर लोग जीवनभर की पूंजी लगाकर प्रॉपर्टी खरीदते हैं और ऐसे में कोई प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा कर लेता है तो कानून जमीन से कब्जा हटवाने के लिए प्रॉपर्टी मालिक को कई अधिकार देता है। आईये नीचे जानते हैं प्रोपर्टी मालिक के पास कौन कौन से अधिकार होते हैं और वो कैसे अपनी प्रोपर्टी खाली करवा सकता है।

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अपनी प्रॉपर्टी बचाने के लिए चला सकते हैं गोली, इस तरह छुड़ाएं कब्जाधारी से जमीन

The Chopal : आए दिन की संपत्ति पर अवैध कब्जे के मामले सुनने को मिल जाते हैं। ऐसे में संपत्ति के जायज मालिक के सामने यह सवाल होता है कि कैसे वह अपनी संपत्ति से इस अवैध कब्जे को हटाए। किसी संपत्ति का कानूनी हकदार ना होते हुए भी जब कोई व्यक्ति किसी की संपत्ति पर अवैध तरीके से हक जमा लेता है। अगर आपकी संपत्ति पर किसी ने अवैध कब्जा कर लिया है तो इस स्थिति में आपको कानूनी सहायता लेनी चाहिए।

आपको पुलिस या संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक के पास इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए। लेकिन इसके अलावा प्रॉपर्टी मालिक को कुछ कानूनी अधिकार दिए गए हैं जिसके तहत वह अपनी मेहनत की बनाई पूंजी से खरीदी गई जमीन से अवैध कब्जा हटवा सकते हैं। इसके लिए आप लाठी-डंडे व बंदूक तक इस्तेमाल कर सकते हैं।

दरअसल, भारतीय संविधान हर नागरिक को आत्‍मरक्षा यानी सेल्‍फ डिफेंस का अधिकार देता है. संविधान की धारा 96 से लेकर 106 तक में आत्‍मरक्षा के अधिकार के नियम और प्रावधान बताए गए हैं. इसमें साफ कहा गया है कि कोई भी नागरिक अपनी जान और संपत्ति की सुरक्षा का अधिकार रखता है. यह अधिकार इस कदर आप लागू कर सकते हैं कि अगर कोई जबरदस्‍ती आपको या आपकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो आप उसकी जान तक ले सकते हैं।

अमूमन कोर्ट के जरिये इस विवाद को सुलझाया जा सकता है, लेकिन इसमें लंबा समय लेगा. वहीं, आप सक्षम हैं तो कानून आपको बल प्रयोग के जरिये भी अपनी संपत्ति पाने का अधिकार देता है. अगर आप संपत्ति की सुरक्षा के लिए बल प्रयोग करते हैं तो सामने वाली जान तक ले सकते हैं. यानी आप ताकत के जरिये आपनी संपत्ति को किसी के कब्‍जे से छुड़ा सकते हैं. हालांकि आपको ऐसे विवाद से बचना चाहिए और किसी की जान लेने के बारे में कतई नहीं सोचना चाहिए. इसकी बड़ी वजह ये है कि फिर विवाद और ज्यादा बढ़ सकता है और कुछ भी हो सकता है।

संपत्ति को पाने के लिए बल प्रयोग करने की इजाजत देता है कानून

इस कानून के तहत अगर किसी ने आपकी संपत्ति पर कब्‍जा करके उस पर कोई निर्माण कार्य कर लिया है. साथ ही उसमें अपना सामान लाकर भी रख लिया है तो यह कानून आपको वापस अपनी संपत्ति पाने के लिए बल प्रयोग करने की इजाजत देता है. आप न सिर्फ उसकी संपत्ति को गिराकर यानी ढहाकर उस पर दोबारा कब्‍जा कर सकते हैं, बल्कि उसका सामान भी अपनी संपत्ति से निकालकर बाहर फेंक सकते हैं.

कानून भी लेगा आपका पक्ष

अमूमन किसी की संपत्ति या निर्माण को गिराने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, लेकिन आत्‍मरक्षा के अधिकार के कानून का संरक्षण अगर आपको प्राप्‍त होता है तो ऐसे मामलों में आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. इतना ही नहीं अगर दूसरा पक्ष आपके खिलाफ कोर्ट में या पुलिस में शिकायत करता है तो वहां भी आपके पक्ष में ही सुनवाई की जाएगी।
 
कब्जाधारी से कैसे खाली करवा सकते हैं प्रॉपर्टी- 

यहां ध्‍यान देने वाली बात ये है कि इस कानून के तहत आपको भले ही संरक्षण प्राप्‍त हो और आप अपनी संपत्ति को ताकत के इस्‍तेमाल से बिना कोर्ट का चक्‍कर काटे भी हासिल कर सकते हैं, लेकिन इसकी कुछ पाबंदियां भी हैं. कानून यह तय करता है कि आप उतनी ही ताकत का इस्‍तेमाल कर सकते हैं, जितना कि सामने वाला आपके खिलाफ कर रहा है. यानी अगर आपकी प्रॉपर्टी पर कब्‍जा करने वाले ने आप पर लाठी-डंडों से हमला किया है तो आप भी इसी का इस्‍तेमाल कर सकते हैं. अगर वह आप को गोली मारने की या जानलेवा हथियार से हमला करने की कोशिश करता है तो आप भी अपने बचाव में इसी तरह का घातक बल प्रयोग कर सकते हैं।

अगर प्रॉपर्टी को लेकर पहले से ही मुकदमा चल रहा है यानी आपने उसे खाली कराने के लिए कोर्ट में वाद दायर कर रखा है तो आप बल का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो यह आपके खिलाफ ही जाएगा और आपको भी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।

आपराधिक मामलों से संबंधित आईपीसी की धाराएं-

धारा 406: कई बार लोग उन पर किए गए भरोसे का गलत फायदा उठाते हैं. वे उन पर किए गए विश्वास और भरोसे का फायदा उठाकर जमीन या अन्य सम्पत्ति पर अपना कब्जा कर लेते हैं. इस धारा के अन्तर्गत पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

धारा 467: इस धारा के तहत यदि किसी की जमीन या अन्य संपत्ति को फर्जी दस्तावेज (कूटरचित दस्तावेज) बनाकर हथिया लिया जाता है और कब्जा स्थापित कर लिया जात है,तब इस तरह के मामले में पीड़ित व्यक्ति आईपीसी की धारा 467 के अंतर्गत अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. इस तरह से जमीन या संपत्ति पर कब्जा करने के मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है.इस तरह के मामले एक संज्ञेय अपराध होते हैं और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के द्वारा इन पर विचार किया जाता है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

धारा 420: अलग-अलग तरह के धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े जैसे मामलों से यह धारा संबंधित है. इस धारा के तहत संपत्ति या जमीन से जुड़े विवादों में भी पीड़ित के द्वारा शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

जमीन या अन्य संपत्ति से संबंधित सिविल कानून-

जमीन संबंधी विवादों का निपटान सिविल प्रक्रिया के द्वारा भी किया जाता है. हालांकि कई बार इस इसमें लंबा समय लग जाता है,लेकिन यह सस्ती प्रक्रिया है.किसी की जमीन या संपत्ति पर गैरकानूनी तरीके कब्जा कर लेने पर इसके जरिए भी मामले को निपटाया जाता है. इस तरह के मामले सिविल न्यायालय देखता है।  

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963 

देश की संसद के द्वारा इस कानून को संपत्ति संबंधी मामलों में जल्दी न्याय के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम की धारा-6 के द्वारा किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति को बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के छीन लेने या जबरदस्ती उस पर कब्जा कर लेने की स्थिति में इस धारा को लागू किया जाता है। धारा-6 के तहत पीड़ित व्यक्ति को आसान तरीके से जल्दी न्याय दिया जाता है। हालांकि धारा-6 से संबंधित कुछ ऐसे नियम भी हैं जिनकी जानकारी होना बेहद जरूरी है। 

जानिये, धारा-6 से संबंधित कुछ नियम और महत्वपूर्ण बातें

धारा 6 के मुताबिक न्यायालय के द्वारा जो भी आदेश या डिक्री पारित कर दी जाती है उसके बाद उसपर अपील नहीं की जा सकती।
ये धारा उन मामलों में लागू होती है जिनमें पीड़ित की जमीन से उसका कब्जा 6 महीने के भीतर छीना गया हो.अगर इस 6 महीने के बाद मामला दर्ज कराया जाता है तो फिर इसमें धारा 6 के तहत न्याय ना मिलकर सामान्य सिविल प्रक्रिया के जरिए इसका समाधान किया जाएगा।
इस धारा के अनुसार सरकार के विरुद्ध मामला दायर नहीं आया जा सकता है।
धारा 6 के तहत संपत्ति का मालिक, किराएदार या पट्टेदार कोई भी मामला दायर कर सकता है।