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Zojila Tunnel: जोजिला टनल परियोजना का इतना काम पूरा, हर मौसम में जा सकेंगे लेह-श्रीनगर

Jozila Tunnel : श्रीनगर से लेह तक लेकर सुरंग परियोजना का काम आधे से ज्यादा काम पूरा कर लिया गया है। इस प्रोजेक्ट का काम पूरा होने के बाद कश्मीर से लेकर लद्दाख के बीच हर मौसम में सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी।

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Zojila Tunnel: जोजिला टनल परियोजना का इतना काम पूरा, हर मौसम में जा सकेंगे लेह-श्रीनगर

Srinagar-Leh Connectivity : केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले दिनों बताया कि जोजिला सुरंग प्रोजेक्ट का काम 55 फीसदी दी पूरा कर लिया गया है। यह टनल श्रीनगर-कारगिल-लेह नेशनल हाईवे पर 11578 फीट ऊंची जोजिला पहाड़ी पर बना रही है। यहां पर ठंड के मौसम में काफी बर्फबारी होने की वजह से रास्ता बंद रहता है, इस करण रास्ता बंद होने की वजह से कश्मीर लद्दाख इलाके से बंद रहता है। इस सुरंग का निर्माण हो जाने के बाद दोनों इलाकों के बीच आपसी कनेक्टिविटी हर मौसम में बनी रहेगी।

सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री मंगलवार को नई दिल्ली में एसोचैम के वार्षिक इंफ्रास्ट्रक्चर सम्मेलन सीईओ राउंडटेबल चर्चा और अचीवर अवार्ड्स कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग के हितधारकों से इंफ्रा प्रोजेक्टों की लागत कम करने के लिए देश में निर्मित मशीनरी का उपयोग करने का आह्वान किया।

मंत्री ने कहा, भारत में कई निर्माणाधीन सुरंग परियोजनाएं हैं। हमारे पास अच्छी तकनीक होनी चाहिए, लेकिन साथ ही लागत कम करनी होगी। इसलिए देश में निर्मित मशीनरी का इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। यह हमारा सपना है और हम सभी के लिए मिशन भी। लेकिन, गुणवत्ता से समझौता किए बिना परियोजना की लागत कम की जानी चाहिए, क्योंकि पुल और सुरंग परियोजनाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं।

यह एशिया की सबसे लंबी सुरंग होगी

परियोजना पूरी होने पर यह एशिया की सबसे लंबी सुरंग होगी। इससे समुदाय को सीधा लाभ मिलेगा। यह सुरंग 7.57 मीटर ऊंची है। इसे घोड़े के नाल के आकार, एकल ट्यूब, दो-लेन सुरंग के रूप में डिजाइन किया गया है। यह सुरंग हिमालय में जोजिला दर्रे के नीचे से गुजरती है और कश्मीर के गांदरबल को लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास कस्बे से जोड़ती है। सुरंग स्मार्ट टनल प्रणाली से लैस होगी।

इसमें सीसीटीवी, रेडियो नियंत्रण, निर्बाध विद्युत आपूर्ति और वेंटिलेशन जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। इस सुरंग से जोजिला दर्रे के पार यात्रा का समय तीन घंटे से घटकर सिर्फ 20 मिनट होने की उम्मीद है, जिससे ईंधन की भारी बचत होगी।