ऐसा पौधा जो कहीं भी उग जाता है, फायदे और कीमत जानकर रह जाएंगे दंग

देश के अधिकांश हिस्से में, गलत काम करने वाले को सत्यानाशी कहा जाता है। सत्यानाशी का कोई काम नहीं होता या कोई फायदा नहीं होता। लेकिन एक पौधा है सत्यानाशी, जो कहीं भी उग सकता है।
 

The Chopal - देश के अधिकांश हिस्से में, गलत काम करने वाले को सत्यानाशी कहा जाता है। सत्यानाशी का कोई काम नहीं होता या कोई फायदा नहीं होता। लेकिन एक पौधा है सत्यानाशी, जो कहीं भी उग सकता है। सत्यानाशी पौधे को आप अक्सर सड़क के किनारे, सख्त बंजर जमीन पर, पथरीली जगहों पर, कड़ाके की धूप वाली जगहों पर या सूरज की रोशनी नहीं मिलने वाली जगहों पर देखा हो सकता है।

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इसके पीले फूल को देखकर आम लोग काफी ज्यादा आकर्षित भी होते हैं। लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि सत्यानाशी पौधे से कोई लाभ होता है, तो आप ना में जवाब देंगे। अधिकतर लोग इस पौधे के सेहत के लाभों को नहीं जानते। इस हरे पौधे को लोग अक्सर जंगली झाड़ियों के बीच भूल जाते हैं, जिसकी कांटेदार पत्तियां हैं। इस पौधे को पार्क में, सड़क किनारे या खाल पड़ी जमीन में देखा होगा। याद रखें कि ये कांटेदार पौधा स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। हम आपको इस सुंदर फूल वाले पौधे के कई लाभ बता रहे हैं।

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सत्यानाशी पौधे में कई औषधीय गुण हैं। यह पौधा प्रायः हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। इस पौधे में कई कांटे होते हैं। इसके पत्ते, शाखाएं, तने और फूलों पर कांटे लगे हुए हैं। इसके पीले खिलने वाले फूलों में बैंगनी बीज होते हैं। जब कोई पौधा फूल या फल तोड़ता है, तो उससे सफेद दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है, लेकिन सत्यानाशी के पौधे से फूल तोड़ने पर पीला दूध निकलता है। इसे स्वर्णक्षीर भी कहा जाता है क्योंकि इससे पीला दूध जैसा पदार्थ निकलता है।

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सत्यानाशी के पौधे को स्वर्णक्षीर के अलावा मैक्सिन पॉपी, कटुपर्णी, प्रिकली पॉपी और उजर कांटा भी कहते हैं। यह आम किसानों को बेकार पौधा लगता है, इसलिए इसे काटकर फेंक देते हैं। आयुर्वेद में इसे औषधि की तरह इस्तेमाल कर कई रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में सत्यानाशी पौधे का हर हिस्सा (पत्ते, फूल, तना, जड़ और छाल) बहुत उपयोगी होता है।

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सत्यानाशी पौधे की जड़ को पानी में उबालकर काढ़े की तरह पिया जाए तो सांस लेने में परेशानी या अक्सर खांसी की शिकायत करने वाले लोगों को फायदा मिल सकता है, विशेषज्ञों का कहना है। सत्यानाशी के पीले दूध में घी मिलाकर पीना भी पेट दर्द को दूर कर सकता है। सत्यानाशी के तेल में गिलोय का जूस मिलाकर पीलिया के रोगियों को पिलाने से फायदा हो सकता है। सत्यानाशी के पौधे के किसी भी हिस्से को खाने से पहले किसी चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

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गमले में सत्यानाशी का पौधा लगाया जा सकता है। सत्यानाशी का पौधा भी बहुत सुंदर लगता है अगर आपको कैक्टस के पौधे घर में लगाने का शौक है। उसकी पीली फूल हर किसी को मोहित करती है। सत्यानाशी पौधे के छोटे पौधे या बीज को गमले में लगा सकते हैं। इस पौधे को भी विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। पौधे लगाने के बाद दो से तीन बार दिन में पानी देना चाहिए। सत्यानाशी पौधे को धूप या छांव में कहीं भी लगा सकते हैं।