अरंडी का तेल नहीं है किसी संजीवनी बूटी से कम, यह तरीका देगा बंपर कमाई

 

The Chopal - भारत में किसान बागवानी के अलावा औषधीय फसलों की भी बड़ी मात्रा में खेती कर रहे हैं। औषधीय फसलों का रकबा इससे ज्यादा बढ़ गया है। विशेष रूप से, औषधीय फसलों की खेती बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक होती है। इससे किसानों को अच्छी आय मिलती है। अरंडी एक बेहतरीन औषधीय जड़ी-बूटी है। इसके तेल की बड़ी मांग है। इसके तेल को कई बीमारियों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।

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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कई राज्यों में अरंडी की खेती पर भी समय-समय पर बंपर सब्सिडी दी जाती है। सरकार के अनुसार अरंडी एक औषधीय फसल है। अरंडी का तेल बहुत महंगा है। अरंडी की खेती करने वाले किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते हैं। अरंडी का यह पौधा झाड़ी की तरह दिखता है। इसके बीज में तेल होता है। अरंडी के तेल से कई तरह की औषधीय दवाइयां बनाई जाती हैं, जो खास है। यह भी साबुन बनाता है। वहीं, इसकी खली को जैविक खाद बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। ऐसे में किसान भाई अरंडी की खेती करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।

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अरंडी की फसल चार से पांच महीने में तैयार हो जाती है।

अरंडी को ऊसर जमीन पर भी लगाया जा सकता है। मिट्टी का pH 6 होना चाहिए। साथ ही, खेत में जल निकासी के लिए बेहतर प्रणाली होनी चाहिए। इसके पौधे आर्द्र और शुष्क तापमान में तेजी से ग्रोथ करते हैं। इसलिए, अधिक गर्मी वाले क्षेत्रों में अरंडी की खेती करना फायदेमंद हो सकता है। अरंडी की बुवाई ऐसे खरीफ फसल चक्र के दौरान ही की जाती है। इसकी खेती के लिए जून से अगस्त का महीना बेहतर है। अरंडी की फसल चार से पांच महीने में तैयार हो जाती है।

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अरंडी की उपज प्रति हेक्टेयर 30 से 40 क्विंटल है।

एक हेक्टेयर में अरंडी की खेती करना चाहने वाले किसान भाई को लगभग 20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी। अरंडी के पौधों को अच्छी पैदावार के लिए 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई भी करनी चाहिए। ध्यान दें कि जापान और चीन में अरंडी की खेती सबसे अधिक होती है। भारत इसके बाद आता है। अरंडी की उपज प्रति हेक्टेयर 30 से 40 क्विंटल है। अरंडी का औसत मूल्य मार्केट में 5400 से 7300 रुपये प्रति क्विटल है। 1 हेक्टेयर में इसकी खेती करने वाले किसान भाई 2 लाख से अधिक की कमाई कर सकते हैं।