दारोगा जी रिटायरमेंट के बाद बने 'अंडा देने वाली मुर्गी', घर रखी 'नोट छापने की मशीन'

अब्दुल खां, सीतामढ़ी जिले के कुम्मा गांव के निवासी हैं। वे एक पूर्वी दरोगा थे और सेवानिवृत्त होने के बाद अपने जीवन के अगले चरण में कुछ नया करने का निर्णय लिया।
 

The Chopal: रिटायर होने के बाद आराम से बिताई जाने वाली जिंदगी सबका सपना होता है, लेकिन कुछ विशेष लोग होते हैं जो अपने को रिटायर होने नहीं देते। यहां हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी सुनाएंगे, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद मुर्गी फार्मिंग के माध्यम से अपने जीवन को सफलता की ओर बढ़ाया।

अब्दुल खां का परिचय

अब्दुल खां, सीतामढ़ी जिले के कुम्मा गांव के निवासी हैं। वे एक पूर्वी दरोगा थे और सेवानिवृत्त होने के बाद अपने जीवन के अगले चरण में कुछ नया करने का निर्णय लिया।

मुर्गी फार्मिंग की शुरुआत

अब्दुल खां ने अपने रिटायरमेंट के बाद मुर्गी फार्मिंग का आरंभ किया। प्रारंभ में, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें सफलता की ओर बढ़ने में मदद की।

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मुर्गी फार्मिंग के माध्यम से आय

अब्दुल खां ने शुरुआत में 6000 स्काई लार्क मुर्गियों को पालना शुरू किया, जिन्हें एक स्पेशल कंपनी ने उपलब्ध किया। इसके साथ ही, उन्होंने इन मुर्गियों को खिलाने के लिए आवश्यक दाना भी वहीं से खरीदा। उन्होंने इसी कंपनी के द्वारा प्रदान की जाने वाली दवाओं और टॉनिक का भी उपयोग किया। अगर किसी मुर्गी को बीमारी लग जाती, तो उन्होंने उसका अच्छी तरह से इलाज किया।

उत्पादन और आय

अब्दुल खां के पास लगभग 6000 मुर्गियां हैं, और प्रतिदिन उनकी फार्म से 5 हजार अंडे निकलते हैं। कुछ मुर्गियां रोजाना अंडे नहीं देती हैं, इसलिए औसत उत्पादन 5 हजार अंडे प्रतिदिन है। इस व्यापार के साथ-साथ, उन्होंने कई लोगों को रोजगार देने का भी मौका प्रदान किया है।

अब्दुल खां की कहानी हमें यह सिखाती है कि मनोबल के साथ-साथ सही योजना और कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता के साथ, किसी भी क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने मुर्गी फार्मिंग के माध्यम से न केवल अपने लिए बल्कि अपने समुदाय के लिए भी रोजगार सृजित किया है और अच्छी आय कमाई है।

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