जनगणना ना होने से छिन रहा 14 करोड़ लोगो का अधिकार, कांग्रेस का सरकार से सवाल

2021 में कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत में अक्सर 10 साल पर दशकीय जनगणना नहीं हुई है। सरकार को विपक्ष लगातार विरोध करता है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना कराने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
 

The Chopal - 2021 में कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत में अक्सर 10 साल पर दशकीय जनगणना नहीं हुई है। सरकार को विपक्ष लगातार विरोध करता है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना कराने में विफल रहने का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि जनगणना को सही समय पर नहीं कराना हमारे देश की इतिहास में एक बड़ी विफलता है। 

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एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयराम रमेश ने कहा, "कोविड-19 के बावजूद लगभग हर दूसरा जी20 देश जनगणना करने में कामयाब रहा है।" इंडोनेशिया, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी इन विकासशील देशों में शामिल हैं। मोदी सरकार की जनगणना करने में असफलता से 14 करोड़ लोग भोजन के अधिकार से वंचित हैं। यह रूस के मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 21 का स्पष्ट विरोध है। 

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रमेश ने कहा, "एनएफएसए के तहत 67% भारतीय भोजन राशन के हकदार हैं।" 2011 की जनगणना के आधार पर, मोदी सरकार केवल 81 करोड़ लोगों को एनएफएसए कवरेज प्रदान करती है, जबकि वर्तमान अनुमानों के अनुसार 95 करोड़ भारतीय एनएफएसए कवरेज के हकदार हैं। नए लाभार्थियों को नहीं जोड़ा जा रहा है और कम से कम दो साल से लोगों को उनके अधिकार नहीं मिल रहे हैं।

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जयराम रमेश ने कहा, “जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर गौर किया और मोदी सरकार को जनसंख्या अनुमान का उपयोग करके इस अस्थिर स्थिति को सुधारने का निर्देश दिया।” लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। यह बड़ी विफलता न केवल सर्वोच्च न्यायालय के प्रति प्रधानमंत्री की अवमानना को दर्शाती है, बल्कि भारतवासियों के संवैधानिक अधिकारों के प्रति उनके तिरस्कार को भी दर्शाती है।