Noida Flats : नोएडा में 50 हजार फ्लैट की हुई मौज, मिलने वाला हैं बड़ा फायदा
Noida Flats News: नोएडा में रह रहे बहुत से लोगों के लिए अच्छी खबर है कि वे अपने फ्लैटों को रजिस्ट्री नहीं करा पाए हैं। अमिताभ कांत कमेटी की पॉलिसी सरकार ने मंजूरी दी है।
UP News, नोएडा : प्रदेश सरकार ने गुरुवार को बिल्डर-बायर मुद्दे पर आईएएस अमिताभ कांत कमेटी की नीति का गवर्नमेंट ऑर्डर (GO) जारी किया। इसमें पॉलिसी को लेकर मंजूर किए गए प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है, जिसके आधार पर माना जाता है कि रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे बायर्स को इसके लागू होने से कुछ राहत मिली है। जिन घर खरीदारों पर अथॉरिटी का बहुत अधिक बकाया नहीं है, वे ही रजिस्ट्री से बाहर निकलने के आसार हैं। 50 हजार से अधिक ऐसे बायर्स हैं। अभी भी, बड़े बकाएदार बिल्डर के परियोजनाओं में रजिस्ट्री शुरू होने का बहुत कम अनुमान है। दूसरी ओर, बिल्डरों को छूट देने के जो प्रावधान किए गए हैं.
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बिल्डर पर बकाया राशि का 25 प्रतिशत अथॉरिटी को देने के बाद फ्लैटों की रुकी हुई रजिस्ट्री शुरू हो सकेगी। तीनों अथॉरिटी में पहले से ही यह प्रावधान लागू था, लेकिन पहले बिल्डरों को ब्याज से छूट और तीन साल का फ्री एक्सटेंशन नहीं मिल रहा था। बिल्डर इसके चलते २५ प्रतिशत पैसा नहीं जमा कर पा रहे थे। अब कम फंसे हुए प्रोजेक्टों वाले बिल्डरों को करोड़ों की छूट मिल जाएगी, लेकिन 700 करोड़ से अधिक बकाया वाले बिल्डरों के लिए यह अभी भी मुश्किल है. जानकारों के अनुसार, जिले में लगभग डेढ़ लाख बिल्डर्स रजिस्ट्री शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें लगभग 50 हजार प्लैटों शामिल हैं.
रेजिडेंशियल प्रॉजेक्ट पर लागू होंगी पॉलिसी की शर्ते
यदि बिल्डर काम नहीं कर पा रहा है, तो को-डिवेलपर लाने की प्रक्रिया आसान है। प्रोजेक्ट सरेंडर करना भी बहुत आसान हो गया है। अब इसे पूरा करने के लिए अन्य उपाय आसानी से निकाले जा सकते हैं। बिल्ड़रों की सीधी छूट का सबसे बड़ा प्रावधान तीन साल की फ्री एक्सटेंशन है। इससे बिल्डर सीधे कार्य कर सकेंगे। पहली बार एक्सटेंशन लेने के लिए अथॉरिटी को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े। इसलिए निर्माण कार्य को बीच में छोड़ रहे थे।
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2020 से 2022 तक का जीरो पीरियड, लक्ष्य के अनुसार फ्लैट तैयार करने की शर्त के साथ बिल्डरों को लाभ दिया गया। बिल्डर भी एनजीटी आदेश के समय जीरो पीरियड का लाभ ले सकेंगे। बिल्डरों के लिए मार्जेग की शर्तों को सरल बनाया गया है। इससे बिल्डरों को निर्माण शुरू करने के लिए बैंकों और बाजार से लोन मिलेगा।
अब अतिरिक्त एफएआर भी बिल्डरों के लिए थोड़ा आसान हो गया है, जिससे वे अतिरिक्त फ्लैट बना सकते हैं और उन्हें बेचकर शेष फ्लैटों को पूरा कर सकते हैं। इससे धन की गिरावट कुछ नियंत्रित होगी। बिल्डर को एक वर्ष में 100 करोड़ रुपये की बकाया राशि देने, दो वर्षों में 500 करोड़ रुपये की बकाया राशि देने और पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि देने का प्रावधान है। इससे अथॉरिटी को जल्दी धन देने का दबाव बिल्डरों पर नहीं रहेगा।
पॉलिसी की शर्तें बदल गई हैं
अमिताभ कांत की पॉलिसी में कुल 17 सुझाव हैं, जिनमें से लगभग 40 से 50 प्रतिशत को राज्य सरकार ने संशोधन के साथ स्वीकार किया है। अमिताभ कांत पॉलिसी की सबसे बड़ी सिफारिश थी कि बायर्स को सीधे फायदा पहुंचाने के लिए अथॉरिटियों के बिना किसी हस्तक्षेप के लोगों की रजिस्ट्री होनी चाहिए, लेकिन इसे नहीं माना गया है। निर्माणकर्ताओं को छूटों का लाभ दिया गया है क्योंकि उन्हें अपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने का अवसर मिलेगा। जो लोगों को घर देगा।
बायर्स अपने फ्लैट की रजिस्ट्री करने के लिए तैयार हो सकते हैं
बहुत से बायर वर्षों से अपने घर में रह रहे हैं, लेकिन रजिस्ट्री नहीं कर पाते। अब कम फंसे हुए प्रोजेक्टों में रजिस्ट्री शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है, इसलिए इनमें से कम फंसे हुए प्रोजेक्टों के मालिकों को रजिस्ट्री कराने के लिए आवश्यक धन की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही, स्पोर्ट्स सिटी के परियोजनाओं में फंसे मालिकों को इस पॉलिसी का कोई लाभ नहीं मिलेगा; आम्रपाली, जेपी, यूनिटेक जैसे कंपनियों पर यह लागू नहीं होगी।