Property : पैतृक संपत्ति और दादा की संपत्ति में पोते का कितना अधिकार, जानें क्या है कानून

अपने पिता, दादा या परदादा से विरासत में मिली संपत्ति पैतृक संपत्ति कहलाती है. वहीं, पैतृक संपत्ति पर किसी भी व्यक्ति का हिस्से का अधिकार जन्म के बाद से ही हो जाता है.
 

Ancestral Property : भारत में पैतृक संपत्ति यानी की पूर्वजों की संपत्ति (Ancestral property) को बांटना काफी कठिन प्रक्रिया है. शायद यही वजह है कि देश के न्यायलयों (court) में ज्यादातर मामले पैतृक संपत्ति यानी की पिता या फिर दादा की संपत्ति से जुड़े हुए होते हैं. जिन्हें निपटाना कितना मुश्किल है, यह बात सभी जानते हैं. क्योंकि सालों साल इन मामलों को लेकर मुकदमें चलते ही रहते हैं और उसका हल दूर-दूर तक नहीं हो पाता.

जिसकी वजह से समय की बर्बादी के साथ ही दोनों पक्षों में हालात समय के साथ बिगड़ते चले जाते हैं. वैसे तो बच्चे के जन्म के साथ ही वो अपने पिता की संपत्ति का अधिकारी (property right) बन ही जाता है. लेकिन अगर बात दादा की संपत्ति की हो, तो इसमें पोता या पोती का कितना अधिकार होता है, यह जानना सबके लिए बेहद जरूरी है.

दादा की संपत्ति में पोता या पोती का कितना अधिकार होता है, इसको लेकर सभी जानकारियां आपको जाननी जरूरी है, लेकिन सबसे पहले पैतृक संपत्ति क्या है, आइए जानते हैं.

क्या होती है पैतृक संपत्ति?

अपने पिता, दादा या परदादा (दादा के पिता) से विरासत में मिली संपत्ति पैतृक संपत्ति कहलाती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो पुरुषों को लगभग पिछली चार पीढ़ियों तक की संपत्ति अगर विरासत में मिली है, तो उसे पैतृक संपत्ति कहते हैं. वहीं पैतृक संपत्ति पर किसी भी व्यक्ति का अधिकार जन्म के बाद से ही हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते है संपत्तियों को दो हिस्सों में बांटा जाता है. जिसमें पहली पैतृक संपत्ति होती है और दूसरा खुद कमाई गई संपत्ति. लेकिन उससे पहले जानते हैं दादा की संपत्ति में पोता या पोती का कितना अधिकार होता है.

पैतृक संपत्ति में किसका कितना अधिकार?

पैतृक संपत्ति में पर प्लॉट के हिसाब से ही अधिकार निर्धारित किया जाता है, यानी की किसी व्यक्ति के हिसाब से अधिकार नहीं दिया जाता. वहीं जन्म के बाद ही यह तय हो जाता है. लेकिन अगर बात पीढ़ी की हो, तो यह सब पहले ही निर्धारित हो जाता है. उदाहरण- मान लीजिए एक पीढ़ी में संपत्ति के 5 हिस्से हुए हैं. अब अगली पीढ़ी में उन 5 हिस्सों के भी हिस्से होंगे. यानी उस हिस्से का और विभाजन किया जाएगा. बता दें, यह वही हिस्से हैं जो पिछली पीढ़ी को भी विरासत में मिले थे. अब हिस्से होने के बाद अगली पीढ़ी को भी विरासत के रूप में ही मिला है.

बिना वसीयत लिखे पिता की मौत हो जाए तो…

अगर वसीयत लिखे बिना ही पिता की मृत्यु हो जाए, तो उस स्थिति में कानूनी तौर पर जो उत्तराधिकारी होंगे उन्हें पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा. इसमें उनकी पत्नी, बेटा और बेटी का बराबर का अधिकार होगा, बाकी किसी दूसरे का नहीं.

दादा की खुद की कमाई गई संपत्ति में किसका हक?

पैतृक या पुश्तैनी संपत्ति में बेशक किसी का जन्म के बाद ही अधिकार हो जाए, लेकिन अगर दादा की संपत्ति खुद की कमाई हुई है यानी पैतृक नहीं है. तो उस संपत्ति में पोते का जन्म से अधिकार नहीं होगा, ना ही उसमें अधिकार की मांग की जा सकती है. लेकिन अगर दादा चाहे तो किसी भी व्यक्ति को यह संपत्ति को दे सकते हैं.

नाती-पोते का पैतृक संपत्ति में कितना अधिकार?

दरअसल पैतृक संपत्ति में नाती और पोते का बराबर का हिस्सा होता है, लेकिन अगर कोई पोता दादा के नाती को उसके संपत्ति का हिस्सा देने से इनकार कर दे. तो उस स्थित में नाती मामला दर्ज कर सकता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दादा के पोते को सिर्फ अपने पिता का हिस्सा हासिल करने का हल है. अगर पिता जिंदा है तो किसी को कोई हिस्सा नहीं मिलेगा.

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