UP - Delhi और हरियाणा के शहरों पर यमुना के कारण गहराएगा संकट, डरा रहा ये अनुमान

Delhi-UP : आपदा और विनाशकारी बाढ़ ने जनजीवन को खतरे में डाला है। चीनी शोध पत्रिका "आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इन जियो साइंसेज" ने यह अध्ययन प्रकाशित किया है। भयानक पूर्वानुमान सामने आया है।

 

The Chopal : यमुना बेसिन, गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी, सूखा या बाढ़ की आशंका है। वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशल इंटलीजेंस (AI) तकनीक से पूर्वानुमान लगाया है, जो यमुना नदी घाटी में बारिश के आंकड़ों पर आधारित है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में इसका सबसे अधिक प्रभाव हो सकता है। 2005 से 2020 तक, देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने यमुना के प्रवाह और वर्षा के आंकड़े जुटाए।

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बाद में AI विश्लेषण से पता चला कि आने वाले दशक में यमुना घाटी में या तो बहुत सूखा पड़ेगा या बाढ़ आएगी। 2020–2022 के मानसून सीजन में मार्कोव चेन और लॉन्ग-शॉर्ट टर्म मैमोरी के परिणामों का विश्लेषण इस अध्ययन में किया गया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी इलाकों में इसे एक चेतावनी के रूप में देखना चाहिए। वैज्ञानिकों का मानना है कि 1950 के बाद जलवायु परिवर्तन ने बादल फटने, भारी बारिश और अन्य प्राकृतिक दुर्घटनाओं को बढ़ा दिया है। हिमालय क्षेत्रों में आने वाले समय में आने वाली चुनौतियों में से एक है। हाल में हुई भारी बारिश से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में भी बाढ़ आई है। आपदा और विनाशकारी बाढ़ ने जनजीवन को खतरे में डाला है। चीनी शोध पत्रिका "आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इन जियो साइंसेज" ने यह अध्ययन प्रकाशित किया है।

बिजली पैदावार पर पड़ेगा असर

हिमालयों में प्राकृतिक संसाधन बहुत हैं। भूस्खलन का खतरा बढ़ेगा क्योंकि मौसम और बारिश के पैटर्न में बदलाव होंगे। बारिश की कमी जल संग्रहण क्षमता पर असर डालेगी। जब बहुत अधिक बारिश होती है, तो गाद टरबाइन की क्षमता और बिजली उत्पादन क्षमता को प्रभावित करेगा। इसलिए बिजली उत्पादन प्रभावित होगा। जलवायु परिवर्तन, बादल फटना, लंबे समय तक बारिश न होना, गर्मी और सर्दी में बारिश का सही पैटर्न न होना और सतत विकास का प्रभावित होना यमुना घाटी क्षेत्र में बदलाव की मुख्य वजह हैं।

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