क्या है आसमान में छाए प्लास्टिक के बादल! कभी भी हो सकती है इस चीज की बारिश

The Chopal News: बारिश की बूंदें सभी को उत्साहित करती हैं। लोग बारिश में भीगना और उसका आनंद लेना चाहते हैं। लेकिन क्या होगा अगर पानी के बूंदों से प्लास्टिक की बारिश बन जाए? तुम बिल्कुल सही सुन रहे हो। जापान में वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक रबर और नौ प्रकार के पॉलिमर को बादलों के बीच तैरते हुए पाया है। विज्ञानी इसे जलवायु परिवर्तन का महत्वपूर्ण संकेत मानते हैं। क्योंकि PLA इकट्ठा होने से धरती का वायुमंडल खतरे में पड़ सकता है। इस तरह की रिपोर्ट पहली बार सामने आई है। वैज्ञानिकों ने इससे चेतावनी दी है।
न् यूयॉर्क पोस्ट ने बताया कि शोधकर्ताओं की टीम ने माउंट ओयामा और माउंट फ़ूजी की चोटियों पर छाई धुंधली धुंध से पानी निकालकर उस पर अध्ययन किया। कंप्यूटर इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके सभी नमूनों का विश्लेषण किया। साइंटिस् ट ने पाया कि बादल से प्राप्त हर लीटर पानी में 6.7 से 13.9 टुकड़े प्लास्टिक थे। इनकी माप 7.1 से 94.6 माइक्रोमीटर थी। इन्हें इंसानों के एक बाल का वजन था।
पानी की इन बूंदों में हाइड्रोफिलिक पॉलिमर की सबसे ज्यादा मात्रा पाई गई, एनवायरमेंटल केमिस्ट्री लेटर्स में पब्लिश रिसर्च के अनुसार। हाइड्रोफिलिक पॉलिमर भारी मात्रा में पानी या जलीय घोल को अवशोषित करके फूल जाते हैं। यह पानी को संभालते हैं। लेकिन सूरज से निकलने वाले यूवी विकिरण इन जहरीले पॉलिमर के बंधन को तोड़ देते हैं, जिससे नाइट्रोजन और कार्बन डाईऑक्साइड जैसे ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ती है। बादलों में इनकी बहुतायत काफी खतरनाक संकेत है।
वासेदा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ लेखक हिरोशी ओकोची ने कहा कि प्लास्टिक के ये कण हमारे वायुमंडल में प्रदूषण के कारण पैदा हुए हैं। ये बारिश का चक्र बिगाड़ सकते हैं अगर इस समस्या से निपटा नहीं गया। भविष्य में यह सूखा पड़ सकता है। इस तरह की रिपोर्ट पहली बार सामने आई है। साइंस्टिस् ट का कहना है कि 5 मिलीमीटर से छोटे कण, माइक्रोप्लास्टिक, काफी घातक होते हैं। यह हमारे भोजन और पीने के पानी से लेकर मानव अंगों और यहां तक कि एक मां के भ्रूण तक जा सकता है। इससे कई बीमारियां हो सकती हैं।
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