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नमामि बंसल बिना कोचिंग लिए ही बनी IAS, पिता चलाते थे बर्तनों की दुकान

IAS Namami Bansal : देश की एक और बेटी ने अपने बाप का नाम रोशन किया, आज हम बात कर रहे हैं IAS नमामी बंसल की, उन्होंने ऑल इंडिया में 17 वी भी रैंक हासिल की है, नमामि बंसल  उत्तराखंड के ऋषिकेश के रहने वाली है,
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नमामि बंसल बिना कोचिंग लिए ही बनी IAS, पिता चलाते थे बर्तनों की दुकान

The Chopal, IAS Namami Bansal : देश की एक और बेटी ने अपने बाप का नाम रोशन किया, आज हम बात कर रहे हैं IAS नमामी बंसल की, उन्होंने ऑल इंडिया में 17 वी भी रैंक हासिल की है, नमामि बंसल  उत्तराखंड के ऋषिकेश के रहने वाली है, नमामि ने पहले भी एक दो बार यूपीएससी सिविल सेवा में सफलता न हासिल होने के बावजूद भी हर नहीं मानी थी. लगातार अच्छी तैयारी करने पर अब उन्होंने यूपीएससी एक्जाम क्लियर कर लिया है.

पिता चलाते थे बर्तन की दुकान

नमामि के घर की आर्थिक स्थिति भी काफी सही नहीं थी. उनके पिता राज कुमार बंसल एक बर्तन की दुकान चलाते थे, जिससे उनके घर का पालन-पोषण होता था. इसके अलावा नमामि के घर में सिविल सर्विसेज में करियर बनाने के लिए कोई अनोखा माहौल या प्रेरणा नहीं थी. हालांकि, वह लगातार अपनी शिक्षा को गंभीरता से लेती रही. उन्होंने स्कूल में हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया था और लगभग हर विषय में अच्छे ग्रेड प्राप्त किये थे. वह पढ़ने-लिखने में काफी होशियार थीं. लेकिन जब उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की, तो उन्हें कई असफलताओं का सामना करना पड़ा. सिविल सेवा परीक्षा में तीन असफल प्रयासों के बाद भी, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने चौथे प्रयास में ऑल इंडिया 17वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास कर डाली.

पहले भी कर चुकी हैं घर वालों का नाम रोशन

नमामि का जन्म ऋषिकेश में हुआ था और उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा वहीं प्राप्त की. उन्होंने कक्षा 10वीं में 92.4, तो 12वीं में 94.8 मार्क्स हासिल किए थे, जिससे उनका पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा था. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के लिए दिल्ली चली आईं. यहां उन्होंने इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की. ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक काम किया और फिर अज्ञात कारणों से उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. 

बिना कोचिंग हासिल किया मुकाम

नमामि की यूपीएससी यात्रा काफी कठिन थी और इसमें सफल होने में उन्हें कई साल लग गए. नमामी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह यूपीएससी की महंगी कोचिंग ले सके, इसलिए उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी बिना किसी कोचिंग के ही की, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अंततः अपने चौथे प्रयास में उन्हें सीधे के आईएएस पद के लिए चुन लिया गया.