The Chopal

कोसी की धार में डूब गई सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी की नाव, लेकिन पार्टी साबित हुई छुपा रुस्तम

सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी ने जब महागठबंधन का साथ छोड़ कर NDA का दामन थामा तो भाजपा ने उन्हें अपने कोटे से 11 सीटें दी थी. तब कई राजनीतिक विश्लेषक चौंक उठे थे कि भाजपा क्यों इस पार्टी को क्यों इतना महत्त्व दे रही है? नतीजे सामने आये तो राजनीतिक विश्लेषकों के मन में
   Follow Us On   follow Us on

सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी ने जब महागठबंधन का साथ छोड़ कर NDA का दामन थामा तो भाजपा ने उन्हें अपने कोटे से 11 सीटें दी थी. तब कई राजनीतिक विश्लेषक चौंक उठे थे कि भाजपा क्यों इस पार्टी को क्यों इतना महत्त्व दे रही है? नतीजे सामने आये तो राजनीतिक विश्लेषकों के मन में उठी शंकाएं गलत साबित हो गई. 11 सीटों में से मुकेश सहनी की पार्टी VIP 4 सीटें निकालने में कामयाब रही. लेकिन खुद पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी की नाव कोसी की धार में डूब गई. मुकेश सहनी खुद सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव हार गए.

सिमरी बख्तियारपुर में मुकेश सहनी का मुकाबला राजद के उम्मीदवार यूसुफ सलाहउद्दीन से था. लेकिन शुरूआती बढ़त बनाने के बाद मुकेश सहनी करीब 3 हज़ार वोटों से चुनाव हार गए. मुकेश सहनी को  73925 वोट मिले जबकि विजयी उम्मीदवार यूसुफ सलाहउद्दीन ने 75684 वोट हासिल किये. मुकेश सहनी की हार के पीछे एक वजह लोजपा भी है. सिमरी बख्तियारपुर में लोजपा उम्मीदवार संजय सिंहने 6,940 वोट काट लिए. अगर लोजपा,NDA के साथ होती तो नतीजे कुछ और होते.

पार्टी ने गौड़ा बौराम, साहेबगंज, अलीनगर और बोचहाँ में जीत दर्ज की. बोचहां से पार्टी उम्मीदवार मुसाफिर पासवान ने आरजेडी के कद्दावर नेता रमई राम को चुनाव हराया है. भले ही मुकेश सहनी खुद हार गए हों लेकिन उनकी पार्टी ने बिहार की राजनीति में अपनी जगह बना ली है. जिस तरह का प्रदर्शन VIP ने किया है, उसे देखते हुए बिहार मंत्रिमंडल में उनकी एक सीट तो पक्की है.

News Hub