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आज रिलीज हुई ‘जीत की जिद’ वेबसीरीज, अमित साध ने कहा सुशांत सिंह दिग्गज कलाकार और अच्छे इंसान

अमित साध की अगली वेब सीरीज ‘जीत की जिद’ 22 जनवरी शुक्रवार को जी5 पर स्ट्रीम हो चुकी है, इसमें उन्होंने मेजर दीपेंद्र सिंह सेंगर की भूमिका निभाते नजर आएंगे, अमित कहते हैं कि इसे स्वार्थ और प्रशंसा सुनने के लिए नहीं बनाया है, इसे देखने के बाद लोगों के मनोबल में सुधार आएगा, दैनिक
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आज रिलीज हुई ‘जीत की जिद’ वेबसीरीज, अमित साध ने कहा सुशांत सिंह दिग्गज कलाकार और अच्छे इंसान

अमित साध की अगली वेब सीरीज ‘जीत की जिद’ 22 जनवरी शुक्रवार को जी5 पर स्ट्रीम हो चुकी है, इसमें उन्होंने मेजर दीपेंद्र सिंह सेंगर की भूमिका निभाते नजर आएंगे, अमित कहते हैं कि इसे स्वार्थ और प्रशंसा सुनने के लिए नहीं बनाया है, इसे देखने के बाद लोगों के मनोबल में सुधार आएगा, दैनिक भास्कर ने किरदार के लिए कड़ी मेहनत करने वाले अमित से सीरीज सहित आर्मी डे, कोरोना वैक्सीन पर भी बात की,

ट्रेलर में सुशांत सिंह आपके सीने पर जुता रखकर मुंह पर थूकते हैं, यह सीन करना कितना मुश्किल रहा?

अमित- यह तो ट्रेलर है, पूरी पिक्चर अभी बाकी है, सुशांत भाई बहुत दिग्गज कलाकार हैं और उससे अच्छे इंसान हैं, यह सीन जहां पर आता है, वहां पर मेरा किरदार मेजर दीप सिंह तमाम कठिनाइयों से जूझ रहा है। दरअसल यह सीन एक दिन बाद शूट होना था. लेकिन सुशांत भाई आकर इसके बारे में बात करने लगे. उस समय हम भी गरम और सीन जोन में थे, क्योंकि जस्ट इंटेंस सीन शूट करके आए थे। फिर डायरेक्टर बोले- अगर कहो, तब अभी शूट कर लेते हैं। मैंने सुशांत भाई से पूछा कि मूड है क्या? उन्होंने कहा- बिल्कुल है. इस तरह यह सीन सिर्फ दो घंटे में यह सीन शूट कर लिया गया, जबकि इस सीन को अगले दिन शूट करना था और इसके लिए पूरा दिन रखा गया था. इसका श्रेय डायरेक्टर को दूंगा. यह सीन बहुत रियल बन पड़ा है। सुशांत इतनी गंभीरता और सच्चाई के साथ शूट करते हैं कि कब सीन शानदार और पूरा हो गया, इसका पता ही नहीं चलता,

मेजर दीप सिंह के रोल के लिए कितनी मेहनत और मशक्कत करनी पड़ी?

अमित- ऐसे किरदार के लिए शारीरिक ताकत को बहुत तवज्जो देते हैं. लेकिन देखा जाए तो सोल्जर को फिजिकल ट्रेनिंग के साथ बहुत टफ मेंटल ट्रेनिंग दी जाती है. इंडियन फोर्सेस का यूनिफॉर्म पहनने की एक जिम्मेदारी होती है, इसलिए उनका एक प्रतिशत भी रियल लगे, ऐसी सोच थी. उसके लिए शारीरिक और मानसिक जो अभ्यास होता है, उसे सच्चाई से निभाने की एक जिद और जुनून था. फिर तो मानसिक तौर पर बहुत तैयारी करनी पड़ी. शूटिंग के दौरान हर दिन चोट लगी है. लेकिन चोट लगने से कोई शिकायत नहीं ना ही परेशानी है. हम सब बक्सर में 12 हजार फीट ऊंचाई पर शूट कर रहे थे. वहां वैसे भी ऑक्सीजन कम हो जाता है. माइनस -7 डिग्री तक तापमान था. उसके ऊपर कपड़े पहनकर गन लादकर, 20 किलो का बक्सा पहनकर ऊपर-नीचे चढ़ना-उरतना, चट्टानों पर भागते समय गिरना-लुढ़कना लगा रहता था. शूटिंग के जोश में दिन में पता नहीं चलता था, पर शाम को लौटने के बाद पता चलता था कि आज घुटना छिल गया, कल कंधा टल गया तो परसों कुछ और हो गया है. अगले दिन एक नई चोट लग जाती थी। यह सिलसिला चलता रहा। फिर भी इसका श्रेय रिसर्च टीम को भी जाता है, क्योंकि उन्होंने इस पर बहुत गहराई में जाकर काम किया है,

रियल और रील लाइफ की क्या जिद है?

अमित- रुकना नही, आगे बढ़ते रहना है. स्वार्थ के लिए जीना नहीं है. थोड़ा अपने, थोड़ा दुनिया और थोड़ा प्रकृति के लिए जीना है। इसी संघर्ष में उलझे रहना है. रील लाइफ की जिद है कि काम मिलता रहे, उसे बखूबी अनुशासन और तमीज से निभाता रहूं. लोगों के साथ अच्छा व्यवहार रखते हुए आगे बढ़ता रहूं.

क्या ट्रेलर देखकर किसी फौजी की खास प्रतिक्रिया मिली है,

अमित- हाँ बहुत लोगों का मैसेज आया है. सबने एक ही बात बोली है कि यह बहुत रियल लग रहा है. इसे देखकर लगता नहीं है कि इसे फिल्मी बनाने की कोशिश की गई है. यह बहुत सच्चा लग रहा है. वह इसे देखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं,

क्या कभी मेजर दीप सिंह से मिलने का मौका मिला है?

अमित- जी हां, मेजर दीप सिंह जी से मिला हूं. उनके साथ में एक इंटरव्यू भी किया है. वे बहुत अमेजिंग हैं, रियल लाइफ हीरो हैं. उन्हें देखने भर से एनर्जी आती है। जिद, जज्बा, जुनून शब्द उनके लिए ही बने हैं,

सुना है कि इसके लिए आपको कई बार वजन घटाना-बढ़ाना पड़ा था,

अमित- यह बिल्कुल सच्ची बात है, यह कोरोना में शूट किया, तब सोचा कि पहले सोल्जर का पार्ट शूट कर लें. फिर थोड़ा गैप लेकर उस पार्ट को शूट करेंगे. जब मेजर को चोट लग जाती है और व्हील चेयर पर चले जाते हैं। लेकिन जब ठीक होते हैं और जब अपाहिज हो जाते हैं, उसे शूट करने बीच में हमें ज्यादा वक्त नहीं मिल पाया. फिर तो हमने एक-एक दिन में दो-दो किलो वजन घटाया-बढ़ाया है. लेकिन इन चीजों से फर्क ही नहीं पड़ता है. अभी तो इतना ही कहूंगा कि मैंने मेहनत किया है. आगे लोगों को अच्छा लगे, तब वह ज्यादा मायने रखता है। इसे शूट करते वक्त 1200 फीट ऊंचाई पर भागना पड़ता था. फोर्सेस की ट्रेनिंग है, ऐसे में अगर खा लेंगे, तब खाना ऊपर आ जाएगा. ऐसे में दिन भर फूड न खाकर नारियल पानी और नींबू पानी पीकर ही दिन बिताया था। रात में जाकर खाता था.

कोविड-19 की वैक्सीन आ गई है, टीका लगवाने की बात हो तो क्या कहेंगे?

अमित- अभी तो बहुत ही फिट हूं. मेरे फैमिली डॉक्टर बॉबी अंकल और डॉ. दुग्गल हैं. वह बच्चा था तब से मुझे देखते आए हैं. उन्होंने हमेशा मुझे तकलीफों से महफूज रखा है. वे जो बोलेंगे, उसे हम कर देंगे,

15 जनवरी को आर्मी डे था, आप मेजर का किरदार निभाया है?

अमित- मैं मिलिट्री स्कूल में पला हूं. परेड और मार्च पास करते हुए, कम्बाइंड ट्रेनिंग कैंप, एनसीसी करते हुए बढ़ा हूं. लेकिन किसी कारणवश आर्मी ज्वाॅइन नहीं कर पाया. लेकिन ऊपर वाले की मुझ पर मेहर है कि इस तरह इंडियन आर्म्ड फोर्सेस का किरदार निभाने का मौका मिल रहा है. आर्मी डे पर कहूंगा कि हमारे देश का हर एक जवान शौर्य और कीर्ति की मिसाल है. वो हैं तो हम हैं और उनकी रखवाली से ही देश का हर नागरिक चैन की नींद सो पाता है. आर्मी डे के अवसर पर उन्हें मेरा सलाम और ढेर सारी शुभकामनाएं।