Wheat Price News: सस्ता होगा गेहूँ, खाद्य तेल का निर्यात भी ऐसे कम करेगा भारत, मिलेगी महंगाई से राहत

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The Chopal, नई दिल्ली: बीते कुछ दिनों से खाद्य तैलों और गेहूं के भावों में भारी उछाल देखा जा रहा है। जिसके चलते इस बार किसानों ने गेहूं और तिलहन फसलों की बुवाई का रकबा अधिक है। चालू रबी सीजन में इस बार बुवाई का रकबा बीते साल के आधार पर 10 % से ज्यादा बाढ़ गया है। शुक्रवार को जारी कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी हमें मिली। रबी सत्र में 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का रकबा 10.50 % बढ़कर 152.88 लाख हेक्टेयर तक हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 138.35 लाख हेक्टेयर तक था। इसी तरह तिलहन का रकबा 25 नवंबर तक 13.58 % बढ़कर 75.77 लाख हेक्टेयर तक हो गया है। देश में मुख्य रबी फसल गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और कटाई मार्च-अप्रैल में शुरू हो जाती है। गेहूं के अलावा, चना और सरसों भी 2022-23 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के रबी मौसम के दौरान उगाई जाने वाली अन्य मुख्य फसलें हैं।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश (6.40 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (5.67 लाख हेक्टेयर), पंजाब (1.55 लाख हेक्टेयर), बिहार (1.05 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.78 लाख हेक्टेयर), जम्मू और कश्मीर (0.74 लाख हेक्टेयर), और उत्तर प्रदेश (0.70 लाख हेक्टेयर) तक के रकबे में गेहूं बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। इस रबी सत्र में 25 नवंबर तक तिलहन का रकबा 13.58 % बढ़कर 75.77 लाख हेक्टेयर तक हो गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 66.71 लाख हेक्टेयर तक था। इसमें से उक्त अवधि के दौरान पहले के 61.96 लाख हेक्टेयर के मुकाबले सरसों की बुवाई 70.89 लाख हेक्टेयर तक रकबे में हो चुकी है।

देश में दलहन का रकबा घटा

दालों के मामले में बुवाई का रकबा कुछ कम भी हुआ है। इस अवधि के दौरान पहले के 94.37 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार 94.26 लाख हेक्टेयर पर ही दलहन बुवाई की गई है। मोटे अनाज की बुवाई 26.54 लाख हेक्टेयर में की गई, जो पहले 26.70 लाख हेक्टेयर में ही की गई थी। जबकि चावल की बुवाई 9.14 लाख हेक्टेयर तक रकबे में हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में 8.33 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस रबी सत्र में 25 नवंबर को सभी रबी फसलों के तहत कुल खेती का रकबा 7.21 % बढ़कर 358.59 लाख हेक्टेयर तक हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 334.46 लाख हेक्टेयर तक था।

आयात पर कम होगी देश की निर्भरता

गेहूं का रकबा बढ़ना भारत के लिए उत्साहजनक भी है। इससे देश में गेहूं के निर्यात पर लगा प्रतिबंध भी हटाया जा सकता है। बता दे कि भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। साथ ही भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर भी है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत में काफी तेजी भी आई थी। इससे स्थानीय बाजार में भी गेहूं की कीमत लगातार बढ़ रही थी। इस कारण भारत ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी भी लगा दी थी। लेकिन इसके बावजूद गेहूं की कीमत में तेजी भी बनी रही। इसी तरह तिलहनी फसलों का रकबा बढ़ने से भारत को मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, रूस और यूक्रेन जैसे देशों से खाद्य तेल का कम आयात भी करना पड़ेगा। भारत दुनिया में कुकिंग ऑयल का सबसे बड़ा आयातक देश है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने वेजिटेबल ऑयल के आयात तक रेकॉर्ड 18.99 अरब डॉलर तक खर्च किए थे।

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