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Budget 2024 Update : फसलों के नुकसान पर मुआवजे का हो भुगतान, सरकारी पॉलिसी पर चर्चा से किसानों को अब ये उम्मीद

वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। चुनाव से पहले आने वाले इस बजट से किसानों को भी कई उम्मीदें हैं। उनमें उत्पादन लागत को कम करने, फसल की बेहतर कीमतें सुनिश्चित करने और रिलीफ फंड के वितरण में तेजी लाने जैसी मांगें शामिल हैं।
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Budget 2024 Update : फसलों के नुकसान पर मुआवजे का हो भुगतान, सरकारी पॉलिसी पर चर्चा से किसानों को अब ये उम्मीद

The Chopal, Budget 2024 : वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। चुनाव से पहले आने वाले इस बजट से किसानों को भी कई उम्मीदें हैं। उनमें उत्पादन लागत को कम करने, फसल की बेहतर कीमतें सुनिश्चित करने और रिलीफ फंड के वितरण में तेजी लाने जैसी मांगें शामिल हैं। ये किसान सरकार से फसल क्षति के लिए मुआवजे और पॉलिसी के फिर से मूल्यांकन की मांग कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने पिछले महीने कहा था कि इस बजट में बड़े ऐलान नहीं होंगे। 

मुआवजे के जल्द भुगतान की मांग पर किसानों का जोर

किसानों का फसल क्षति के मुआवजे का जल्द से जल्द वितरण किए जाने की मांग पर अधिक जोर है। कई किसान एक वर्ष से अधिक समय से बकाया भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा, वे सरकार की नीतियों की फिर से मूल्यांकन की मांग करते हैं। उन्होंने गेहूं, गैर-बासमती चावल और प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध पर फिर से विचार करने की मांग की। निर्यात पर प्रतिबंध के चलते किसानों की आय के स्रोत कम हो गए हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को कई निर्यात प्रतिबंध लगाने से बचना चाहिए, एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स पर जीएसटी रियायतें देनी चाहिए और उपज के लिए उचित मूल्य की गारंटी देनी चाहिए।

मोदी सरकार के बजट में कृषि को कितनी अहमियत?

2015 में मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के लिए आवंटन 25,460 करोड़ रुपये था। 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर ₹ 1,38,000 करोड़ से कुछ अधिक हो गया। सरकार ने 2022 तक किसान से उनकी आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इसके बावजूद 2023 के बजट में कृषि के लिए आवंटन में मामूली गिरावट देखी गई। बजट 2023 में इसे घटाकर ₹ 1,25,000 करोड़ कर दिया गया।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

अगले आम चुनाव नजदीक आने के साथ किसानों को सरकार से सहयोग की उम्मीद है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि अंतरिम बजट में लॉन्ग टर्म स्ट्रक्चरल बदलवों के बजाए शॉर्ट टर्म उपायों को प्राथमिकता दी जा सकती है। क्रिसिल के डायरेक्टर ऑफ रिसर्च पूषन शर्मा ने कहा, "दस साल पहले बजट में शॉर्ट-टर्म उपाय केवल 10 फीसदी ही थे। पिछले साल यह बढ़कर 90 फीसदी हो गया। किसानों के लिए फौरन रिजल्ट और हाथ में नकदी उपलब्ध कराने के लिए शॉर्ट टर्म उपायों पर अधिक जोर दिया जा रहा है।"

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