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cheque bounce case : चेक बाउंस के केस में मिलती है अलग अलग तरीके की सजा, लेनदेन करने वालों के लिए जरूरी नियम

cheque bounce : हाल ही में बहुत से लोग चेक से भुगतान करने लगे हैं। यह भुगतान करने का एक आसान तरीका है, लेकिन चेक बाउंस होने की स्थिति में चेक जारीकर्ता को एक बड़ी समस्या भी सामने आती है। चेक बाउंस होने पर सजा व जुर्माना भी होता है। यह बताने के लिए कि चेक बाउंस होने पर कई तरह की सजा दी जाती है, आइये जानते हैं क्यों-

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cheque bounce case : चेक बाउंस के केस में मिलती है अलग अलग तरीके की सजा, लेनदेन करने वालों के लिए जरूरी नियम 

The Chopal, cheque bounce : चेक से लेन-देन करना जितना सुरक्षित होता है, उतना ही खतरनाक होता है जब चेक बाउंस हो जाता है। यदि आप भी चेक से भुगतान करते हैं तो यह खबर बहुत महत्वपूर्ण है। दरअसल, चेक बाउंस (Punishment and fine in check bounce) होने पर कानून में अलग-अलग प्रावधान हैं, इसलिए हर किसी को समान सजा नहीं मिलेगी। चेक बाउंस के विशेष मामलों में न्यायालय के फैसले इसे आसानी से समझा सकते हैं।

इन दो बड़े मामलों में सजा अलग-अलग हुई:

दो प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक चेक बाउंस मामलों में फंस गए हैं। महान फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा को एक वित्तीय विवाद में 3 महीने की सजा सुनाई गई है, जबकि दूसरे निर्माता राजकुमार संतोषी को चेक बाउंस के मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई है. राम गोपाल वर्मा ने कई महान फिल्में बनाई हैं।

दोनों मामलों में समान आरोप हैं, लेकिन चेक बाउंस के मामले में सजा में अंतर क्यों है? इसके पीछे कानूनी प्रक्रिया, अपराध की कठोरता और अन्य कारकों का योगदान हो सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि कानून के तहत सजा का निर्धारण कई बातों पर निर्भर करता है। इस तरह के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया के कारणों और स्पष्टता पर विचार करना महत्वपूर्ण है। 

राम गोपाल का मामला कितने समय से चल रहा है?

राम गोपाल वर्मा के खिलाफ करीब सात साल पहले हुआ एक पुराना मामला (Ram Gopal Verma cheque bounse case) सामने आया है। उसमें 2 लाख 38 हजार रुपये का एक चेक बाउंस हो गया क्योंकि खाते में पर्याप्त धन नहीं था। 2018 में वर्मा की कंपनी के खिलाफ एक फिल्म कंपनी ने मामला दर्ज कराया, जिससे यह विवाद शुरू हुआ। इस कंपनी के मालिक महेशचंद्र मिश्र हैं और लंबे समय से यह मामला चल रहा है।

इतने समय तक राम गोपाल को सजा दी गई

हाल ही में राम गोपाल वर्मा को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है, उन्होंने लंबे समय से कोई फिल्म नहीं बनाई है और कोविड के बाद उनका कारोबार प्रभावित हुआ है। उनके कार्यालय को भी बेचना पड़ा। वह हाल ही में चेक बाउंसे के एक कानूनी मामले में मौजूद नहीं थे जब मुंबई की अदालत में सुनवाई हो रही थी। बाद में अदालत ने उनके खिलाफ सजा सुनाई, जिसमें उन्हें तीन महीने की सजा सुनाई गई। राम गोपाल वर्मा की स्थिति और समस्याएं गंभीर हो गई हैं, और अब वह इस मामले में फैसला लेने के लिए अदालत के सामने है।

निजी मुचलके पर जमानत मिल चुकी है—

राम गोपाल वर्मा, एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पर मुकदमा चलाया गया। अदालत ने उनकी गिरफ्तारी के लिए यानी गैर जमानती वारंट जारी किया है। साथ ही, एक और मामले में राम गोपाल वर्मा को शिकायतकर्ता को 3.72 लाख रुपये की बड़ी राशि देने का आदेश दिया गया था। इस आदेश का पालन नहीं करने पर दंड लगाया जाएगा। फिल्म निर्माता को पहले 5,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिली थी, लेकिन अब उनकी स्थिति और कठिन हो गई है। इस घटना पर अभी भी बहस चल रही है।

चेक बाउंस मामले में इस व्यक्ति को मिली सजा—

फिल्म निर्देशक राजकुमार संतोषी को एक कोर्ट ने चेक बाउंस के एक वित्तीय विवाद में दो साल की सजा सुनाई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने एक व्यापारी को 10 लाख रुपये के 10 चेक दिए थे, लेकिन सभी चेक धड़ाधड़ बाउंस हो गए थे। यह मामला एक करोड़ रुपये की बड़ी रकम से जुड़ा था, और अदालत ने उन्हें दो साल की सजा और दोगुनी रकम, यानी 2 करोड़ रुपये की सजा सुनाई। बाद में उन्हें जमानत मिली और वह जेल से छुट्टी मिली। उनके लिए यह मामला एक बड़ा कानूनी विवाद बन गया था, लेकिन राजकुमार संतोषी (Rajkumar Santoshi) ने अंततः इस मामले को हल किया।

चेक बाउंस के विशिष्ट नियम

भारत में चेक बाउंस करना गंभीर अपराध है (check bounce hone par kya kre)। इसके लिए, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा-138 विशेष है, जो चेक से संबंधित विवादों को हल करता है।

चेक बाउंस नियमों का उल्लंघन करने पर आरोपी को दो वर्ष की सजा या जुर्माना या फिर दोनों सजा मिल सकती है। अदालत आरोपी से चेक का दोगुना भुगतान भी कर सकती है। यह एक महत्वपूर्ण मामला है, जिसमें आरोपी को कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।

चेक को मानते हैं गारंटी—

भारत में चेक का उपयोग एक "लिखित वादा" यानी गारंटी के रूप में किया जाता है, जिसमें भुगतान करने वाला व्यक्ति अपनी बैंक में उपलब्ध रकम से चेक का भुगतान करेगा। बैंक चेक जारी करने वाले के खाते में पर्याप्त धन नहीं होता तो चेक को स्वीकार नहीं करता और अस्वीकार कर देता है। ऐसी स्थिति में चेक का भुगतान नहीं हो पाता और भुगतान असफल हो जाता है।