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31 मार्च तक अपने PPF, NPS और SSY अकाउंट में सिर्फ इतना पैसा जमा करें, नही तो लगेगा जुर्माना

PPF vs NPS vs SSY Minimum Deposit Money:यदि आप भी PPF, NPS या SSY में निवेश करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत अच्छी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रत्येक वित्त वर्ष के 31 मार्च तक सुकन्या समृद्धि योजना, पब्लिक प्रोविडेंट फंड और राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम में एक निश्चित राशि का निवेश करना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर आप भारी जुर्माना भी भुगतान कर सकते हैं। 

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31 मार्च तक अपने PPF, NPS और SSY अकाउंट में सिर्फ इतना पैसा जमा करें, नही तो लगेगा जुर्माना

The Chopal, PPF vs NPS vs SSY Minimum Deposit Money: सेंविंग आपके भविष्य को सुरक्षित करने का एक साधन है। भारत सरकार ने निवेश करने वालों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। हम टैक्स बचाने के लिए देश भर में कई सरकारी स्कीमों में निवेश करते हैं। राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (NPS), सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) जैसे कार्यक्रमों को हर वित्तीय वर्ष में न्यूनतम निवेश आवश्यक है। ये अकाउंट इनएक्टिव हो सकते हैं अगर कम राशि जमा नहीं की जाती है। आपको पेनल्ट भी देना पड़ सकता है अगर आप हर वित्तीय वर्ष में पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में आवश्यक न्यूनतम राशि नहीं जमा करते हैं।

याद रखें कि इस वित्तीय वर्ष की आखिरी तारीख बहुत जल्द आने वाली है। अगर आपने भी 31 मार्च 2024 तक इन स्कीमों में कम से कम धन नहीं जमा किया है, तो जल्दी से भुगतान करें। PPF, SSY और NPS जैसी स्कीमों को टैक्स बचत में मदद मिलती है। ये स्कीम काफी उपयुक्त हैं अगर आप पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्स पे करते हैं। हम आज आपको बता रहे हैं कि इन स्कीमों में हर साल कम से कम कितना पैसा जमा करना चाहिए ताकि आपका अकाउंट चालू रहे और पेनल्टी नहीं भरनी पड़े।

सुकन्या समृद्धि कार्यक्रम (SSY)

टैक्स बचाने वाली एक और योजना है सुकन्या समृद्धि योजना। ध्यान दें कि योजना को गर्ल चाइल्ड, यानी बेटियों के भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया गया है। सालाना कम से कम 250 रुपये इस स्कीम में डालने की जरूरत है।

यदि आप एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 250 रुपये एसएसवाई अकाउंट में जमा नहीं करते हैं, तो अकाउंट डिफॉल्ट हो जाएगा। यद्यपि, इस कार्यक्रम की एक विशिष्ट विशेषता है कि मैच्योरिटी से पहले इस अकाउंट को कभी भी पुनः आरंभ किया जा सकता है। अकाउंट को हर वर्ष रीएक्टिवेट करने के लिए 50 रुपये डिफॉल्ट शुल्क देना होगा। उन्हें हर डिफॉल्ट वर्ष कम से कम 250 रुपये फी भी देना होगा।

यदि डिफॉल्ट हुए SSY अकाउंट को रिवाइव नहीं किया जाता, तो खाते में मौजूद पैसे को मैच्योरिटी पर ही देना होगा। सुकन्या समृद्धि योजना अकाउंट 21 वर्ष बाद मैच्योर होता है। या फिर बेटी के 18 साल के होने के बाद शादी के समय इस अकाउंट से पूरा धन निकाला जा सकता है।

जनरल प्रोविडेंट फंड

PPF (Public Provident Fund) नियमों के अनुसार, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में पब्लिक प्रोविडेंट फंड में कम से कम 500 रुपये जमा करना चाहिए। यदि आप इस न्यूनतम राशि भी अपने खाते में नहीं जमा करेंगे, तो आपका खाता इनएक्टिव हो जाएगा।

ध्यान दें कि अकाउंट निष्क्रिय होने पर आप लोन और विड्रॉ जैसे फायदे नहीं उठा सकते हैं। याद रखें कि ये सुविधाएं अक्सर खाता खोलने के तीसरे और छठे वर्ष से उपलब्ध होती हैं।

याद रखें कि मैच्योरिटी से पहले निष्क्रिय (deactivated) हुए PPF अकाउंट को फिर से चालू करने के लिए खाताधारक को हर वर्ष 50 रुपये का शुल्क देना होगा। उन्हें हर साल कम से कम 500 रुपये पीपीएफ अकाउंट में भी जमा करने होंगे। यनी पीपीएफ अकाउंट को रीएक्टिवेट करने के लिए अकाउंट होल्डर को हर वर्ष 550 रुपये देना होगा।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) अकाउंट 16 साल बाद खुलता है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में पैसे समय से पहले निकाले जा सकते हैं। फंड को मैच्योरिटी पर ही निकाला जा सकेगा अगर पीपीएफ अकाउंट बंद हो जोता है। और मैच्योर होने पर पांच साल की अवधि को पार नहीं कर सकते।

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS)

बहुत से लोग टैक्स बेनिफिट के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश करते हैं। 50,000 रुपये तक का निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80CCD(1B) के तहत टैक्स छूट मिल सकती है। ध्यान दें कि इनकम टैक्स अधिनियम के सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली छूट के 1.5 लाख रुपये के अलावा यह छूट भी है। NPS नियमों के अनुसार, हर वित्तीय वर्ष में किसी खाताधारक को अपने अकाउंट में कम से कम 1000 रुपये जमा करना होगा।

आपको शायद ही पता होगा कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) खाता फ्रीज़ हो जाता है अगर न्यूनतम डिपॉजिट नहीं किया जाता है। HPT अकाउंट बंद होने पर भी कोई पेनल्टी नहीं लगती। लेकिन कुछ परिस्थितियों में भुगतान करना आवश्यक है।

आयकर अधिनियम (आयकर अधिनियम) की धारा 80CCD(2) के तहत कर्मचारी के NPS Tier-I अकाउंट में मौजूद ग्रॉस टोटल आय से धन निकाला जा सकता है। सैलरी का दस प्रतिशत से अधिक नहीं लिया जा सकता है। वहीं सरकारी कर्मचारियों के लिए यह सीमा १४% है। यह दोनों टैक्स योजनाओं के तहत निकासी की जा सकती है।

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