Edible Oil Price Hike: सरसों तेल के रेटों में आ सकता है उछाल, रसोई खर्च से जेब ज्यादा ढीली होगी

Edible Oil: देश में त्यौहारी सीजन अब शुरू होने वाला है. त्योहारों से पहले फल और सब्जियों के दामों से लेकर अब खाने के तेल की कीमतों में उछाल इन त्योहारों पर आपका जेब का बजट गड़बड़ा सकता है. 

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Edible Oil Price Hike: सरसों तेल के रेटों में आ सकता है उछाल, रसोई खर्च से जेब ज्यादा ढीली होगी

Mustard Oil : इस फेस्टिवल सीजन आपकी जेब पर एक्स्ट्रा बोझ  पड़ने वाला है. त्यौहारी सीजन से पहले खाने की तेल की कीमतों में आया उछाल त्योहारों की रौनक फीकी कर सकता है. आंकड़ों पर नजर डालें तो दाल और सब्जियों की कीमतों में कमी के अलावा खाने के तेल की कीमतों में डबल डिजिट की बढ़ोतरी नज़र आ रही है. सरसों के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा भी अन्य खाद्य तेलों में भी पिछले 1 साल से इजाफा देखने को नजर आ रहा है. 

कीमतों में आया उछाल

खाने के तेल की कीमतों में आया उछाल आपको त्योहारों में आपको रुला सकता है। हम ऐसा कह रहे हैं क्योंकि जून महंगाई के आंकड़ों से पता चलता है कि दालों और सब्जियों की कीमतों में कमी आई है। लेकिन खाद्य तेलों की लागत दो गुना बढ़ी है। जून में खाने के तेल की कीमत 17.75% बढ़ी है.  ऐसे में जानकारों का मानना है कि त्योहारों की शुरुआत से खाने के तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं।

खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा

बीते एक वर्ष में सरसों और अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है। 1 वर्ष पहले वनस्पति तेल की कीमत 124 रुपये प्रति लीटर थी, जो अब 157 रुपये प्रति लीटर हो गई है। खाने की कीमतों पर भी सरकार की ड्यूटी कम होने का कोई असर नहीं दिखाई देता। सूरजमुखी तेल की कीमतों में 31 % और सरसों तेल में 27 % का उछाल हुआ है। सरसों तेल का लीटर मूल्य 178 रुपये है। साल पहले सरसों का तेल 140 रुपये प्रति लीटर था।

जून महंगाई आंकड़ों का प्रदर्शन

साल भर पहले सूरजमुखी तेल की कीमत 122 रुपये प्रति लीटर थी, लेकिन अब 160 रुपये प्रति लीटर है। 1 वर्ष पहले, पाम ऑयल 99 रुपये प्रति लीटर था, लेकिन अब 130 रुपये प्रति लीटर है। साल भर में सोया तेल की कीमत 120 रुपये प्रति लीटर से 146 रुपये प्रति लीटर हो गई है। याद रखें कि जून में रिटेल खाद्य महंगाई 74 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है।  अप्रैल 2019 के बाद यह डिफ्लेशन क्षेत्र में पहली बार आया है। सब्ज़ियां खाने-पीने की कीमतों में गिरावट में सबसे अधिक योगदान देती हैं। सब्ज़ियां पिछले वर्ष की तुलना में 19% सस्ती होंगी। लेकिन खाद्य तेलों की लागत दो गुना बढ़ी है। Jun में खाने के तेल की कीमत 17.75% बढ़ी है।

इन तेलों पर सरकार ने टैक्स कम किया था

कुछ महीने पहले, सरकार ने आम आदमी को महंगाई से राहत देने के लिए बड़ा निर्णय लिया था। केंद्रीय सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों (जैसे सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी) पर लगने वाली बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) को 20 प्रतिशत से 10 प्रतिशत कर दिया है। इस कार्रवाई से आयात शुल्क का अंतर 8.75% से 19.25% हो जाएगा। सितंबर 2024 में, शुल्क वृद्धि और वैश्विक बाजार में बढ़ती कीमतों के कारण देश में खाने के तेल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए यह बदलाव किया गया। सरकार का लक्ष्य था तेल की कीमतें कम करके ग्राहकों को राहत देना।