House Rent: किराएदारों के लिए जरुरी खबर, मकान मालिक 1 साल में कितना बढ़ाएगा किराया

The Chopal : नौकरी के लिए लोग अपने घर छोड़ते हैं, तो उनके लिए किराए का घर ही सब कुछ होता है। शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, किराएदारों की संख्या बढ़ने से मकान मालिकों की मनमानी बढ़ी है। आज एक अच्छा किराए का मकान पाना बहुत मुश्किल है। आज के समय में जब किराए पर रहना मजबूरी बन गया है, तो किरायेदारों को भी अपने कानूनी अधिकारों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि कोई मकान मालिक उनका शोषण न कर सके।
मकान मालिकों को भी किराया बढ़ाने का नियम है। वे उन्हें अपनी इच्छा से किराया नहीं बढ़ा सकते। यह कानूनी रूप से गैरकानूनी माना जाता है। उसे कुछ विशिष्ट नियमों और स्थानीय कानूनों का पालन करना होगा अगर वह किराया में कोई बदलाव करता है। इसके लिए प्रत्येक राज्य ने अपने खुद के नियम बनाए हैं।
लीज या एग्रीमेंट की शर्तें निम्नलिखित हैं
जब आप एक निश्चित अवधि (जैसे ग्यारह महीने या एक वर्ष) के लिए घर किराए पर लेते हैं, तो घर का मालिक किराया उस अवधि के दौरान नहीं बढ़ा सकता। यह नियम तभी लागू होता है जब समझौते में पहले से किराया बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं लिखा गया हो। यदि एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किराया हर साल 10% बढ़ेगा, तो यह कानूनी तौर पर स्वीकार्य होगा। किराए में बढ़ोतरी केवल इसी शर्त पर ही संभव है, अन्यथा मकान मालिक के पास किराया बढ़ाने का कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं है।
राज्य और स्थानीय कानून-
कुछ राज्यों ने किराया बढ़ाने की सीमा निर्धारित की है। मसलन, रेंट को हर साल सिर्फ 10% बढ़ाया जा सकता है। किराया बढ़ाने पर भी मकान मालिक को पूर्व सूचना दी जानी चाहिए। सूचना के बिना किराया बढ़ाना गैरकानूनी है।
महाराष्ट्र में ये नियम लागू हैं:
31 मार्च 2000 से महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम (Maharashtra Rent Control Act) लागू हो गया है। यह कानून मकान मालिकों को किराया प्रति वर्ष चार प्रतिशत बढ़ाने का अधिकार देता है। यदि मकान मालिक (landlord) मरम्मत या सुधार कार्य करता है, तो वे किराए में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं, लेकिन यह 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।
दिल्ली में यह नियम लागू है
2009 में दिल्ली में रेंट कंट्रोल एक्ट लागू हुआ था। इस कानून के तहत, यदि कोई किरायेदार किसी संपत्ति में निरंतर रहता है, तो मकान मालिक किराया को हर वर्ष 7 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ा सकता। यह कानून किरायेदारों को अतिरिक्त किराए से बचाता है।