The Chopal

RBI की महत्वपूर्ण सूची में SBI, HDFC के बाद ICICI बैंक ने मारी एंट्री, ग्राहक जरूर जाने ताजा अपडेट

RBI : देश में तीन बैंक डूबने का खतरा नहीं उठा सकते हैं। सरकार पहले इन बैंकों को बचाने पर विचार करेगी अगर कुछ हुआ। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ICICI बैंक ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और HDFC Bank के बाद आरबीआई की सूची में जगह बनाई है। नीचे खबर में विस्तार से पढ़ें- 

   Follow Us On   follow Us on
RBI की महत्वपूर्ण सूची में SBI, HDFC के बाद ICICI बैंक ने मारी एंट्री, ग्राहक जरूर जाने ताजा अपडेट

The Chopal : देश में तीन बैंक डूबने का खतरा नहीं उठाया जा सकता है; दूसरे शब्दों में, अगर इन्हें कुछ हुआ तो सरकार खुद बचाने की कोशिश करेगी। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), ICICI Bank और HDFC Bank ने भी 2023 में अपना महत्व दिखाया, जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इन्हें 'टू बिग टू फेल' की श्रेणी में रखा। इन बैंकों को डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट बैंकों (D-SIBs) कहा जाता है, जो घरेलू व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालाँकि ICICI Bank की स्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है, बाकी दोनों बैंकों का लेवल बढ़ा है, यानी वे हाई बकेट में चले गए हैं। 1 अप्रैल 2025 से यह बदलाव लागू होगा।

1 अप्रैल 2025 से क्या बदल जाएगा?

D-SIBs यानी घरेलू सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण बैंकों को एडीशनल कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1) मेंटेन करना होता है। RBI के लेटेस्ट प्रेस रिलीज के मुताबिक एसबीआई को रिस्क-वेटेड एसेट्स के फीसदी के रूप में अतिरिक्त 0.80 फीसदी CET1 के रूप में रखना होगा। वहीं HDFC Bank को अतिरिक्त 0.40 फीसदी और ICICI Bank को अतिरिक्त 0.20 फीसदी मेंटेन करना होगा। हालांकि यह लेवल 1 अप्रैल 2025 से मेंटेन करना है। अभी SBI के लिए यह सरचार्ज 0.60 फीसदी और HDFC Bank के लिए 0.20 फीसदी है।

D-SIBs क्या हैं

ये ऐसे बैंक होते हैं जो सिस्टम के लिए इतने अहम होते हैं कि जिनके डूबने पर पूरे फाइनेंशियल सिस्टम को झटका लग सकता है और अस्थिरता आ सकती है। इस प्रकार के बैंकों पर RBI पर करीबी निगाह रहती है क्योंकि इन्हें टू-बिग-टू-फेल माना जाता है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इस प्रकार के बैंकों पर 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद से ही नजर रखने लगे थे।

ये पढ़ें - प्राइवेट बैंक लगाते हैं सबसे अधिक ग्राहकों को चूना, RBI के महत्वपूर्ण आंकड़े हुए जारी 

RBI ने पहली बार इसका फ्रेमवर्क 22 जुलाई 2014 को जारी किया था। इसके तहत 2015 से RBI को D-SIBs का खुलासा करना होता है यानी कि सिस्टम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बैंकों के बारे में बताना होता है और फिर उनकी महत्ता के हिसाब से उन्हें उचित बकेट में रखना होता है।