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Income Tax Notice : इनकम टैक्स विभाग 6 धाराओं के तहत भेजता है नोटिस, टैक्स भरने वालों के लिए जरूरी है जानना

Income Tax Rules : देश के वित्त मंत्रालय निर्धारित करता है कि कितनी आय पर टैक्स देना होगा। इसलिए, समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं। आयकर सूचना नियमों के तहत, वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला आयकर विभाग देश में पैसे का प्रवाह नियंत्रित करता है। लोगों से आयकर यही विभाग वसूलता है। आयकर विभाग के नियमों के तहत ही लोगों से कर वसूला जाता है। जब इनकम टैक्स का नोटिस आता है, लोग सोचते हैं कि वे टैक्स नहीं भरेंगे। आपको इनकम टैक्स नोटिस भेजने के लिए नियमों का पता लगाना चाहिए। 

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Income Tax Notice : इनकम टैक्स विभाग 6 धाराओं के तहत भेजता है नोटिस, टैक्स भरने वालों के लिए जरूरी है जानना 

The Chopal, Income Tax Rules : आयकर भरते समय आपकी आय का गुणभाग सुनिश्चित करें। थोड़ी सी गड़बड़ी आपको मुसीबत में डाल सकती है। IRS आपको नोटिस भेज सकता है। गलती से आयकर भरते समय लोग जानबूझकर गलत जानकारी देते हैं। 

विभाग ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर नोटिस (IT Notice) जारी करता है। आयकर विभाग छह नियमों के तहत आपको नोटिस भेज सकता है अगर आपने गलत जानकारी दी है। आपके नोटिस का जवाब कैसे देना चाहिए? ये सब इस लेख में बताया गया है। 

इनकम टैक्स को सही ढंग से कैलकुलेट करें और भुगतान करें

इनकम टैक्स विभाग को कोई सूचना नहीं दी जाएगी। लेकिन फिर भी लोग अनजाने में आयकर विभाग के जाल में फंस जाते हैं। यही कारण है कि जब आप आयकर भर रहे हैं तो अपने टैक्स को भरते समय सही कैलकुलेशन करें। यदि आप ऐसा नहीं करते तो आयकर विभाग आप पर दबाव डाल सकता है। आप नोटिस पा सकते हैं। 

कहाँ नोटिस का जवाब देना चाहिए?

आयकर विभाग आपकी आईटीआर में गड़बड़ करता है या टैक्स नहीं भरता है। इन्कम टैक्स विभाग ने नोटिस का जवाब देने के लिए एक वेबसाइट उपलब्ध कराई है। आयकर विभाग की वेबसाइट आपके पास है। आप इस पर ऑनलाइन जवाब दे सकते हैं।  

छह नोटिस हैं

आयकर विभाग छह अलग-अलग धाराओं में नोटिस जारी करता है, जो आयकर न भरने और आयकर में गड़बड़ मिलने पर लागू होते हैं। आयकर विभाग ने इन नोटिसों को अलग-अलग अर्थ देते हैं। आइए छह अलग-अलग धाराओं का विश्लेषण करें। 

इस इनकम टैक्स नोटिस पर 15 दिन में उत्तर देना होगा

आयकर अधिनियम 139(9) के अधिन दोषपूर्ण रिटर्न (ITR नियम) का मामला है। 139(9) धारा में नोटिस मिलना बताता है कि आईटीआर में कोई गड़बड़ हुई है। या तो कोई जानकारी गलत है या नहीं दी गई है। ये आईटीआर विवरण से मेल नहीं खाते। 15 दिन में इस नोटिस का जवाब देना होगा। ऐसा नहीं करने पर आपका आईटीआर रिटर्न खारिज हो जाएगा। इसलिए इसका सीधा और स्पष्ट उत्तर देना चाहिए।

धारा 143(1) का नोटिस अतिरिक्त और कम भुगतान की जानकारी देता है

आयकर की धारा 143(1) के अधिन का नोटिस सिर्फ जानकारी के लिए है। यदि अधिक टैक्स भुगतान किया गया है, तो इसमें वापसी की सूचना दी जाती है। बकाया की जानकारी दी जाती है अगर टैक्स कम हुआ है।  

ये नोटिस आईटीआर और टीडीएस में अंतर पर आते हैं

आयकर अधिनियम 143(1)(a) के अधिन भी सूचनात्मक नोटिस देता है। जब फॉर्म 16 और 16ए के आईटीआर और टीडीएस सर्टिफिकेट में अंतर दिखाई दे, तो यह नोटिस आता है। इसमें निम्नलिखित विस्तृत विवरण दिखाई देता है। 

 अधिक जानकारी के लिए भी नोटिस

आयकर अधिनियम की धारा 142(1) के अधिन भी नोटिस जारी करता है। यह दिया जाता है जब निर्धारण अधिकारी को आईटीआर के बारे में अधिक जानकारी चाहिए। यदि टैक्सपेयर उक्त वर्ष में आईटीआर नहीं देता है, तो आप इसे भेज सकते हैं। इस नोटिस का उत्तर नहीं देने पर दस हजार रुपये का जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है। 

धारा 156 के अधीन प्रेषित डिमांड नोटिस

आयकर विभाग की धारा 156 के तहत एक डिमांड नोटिस भेजा जाता है। यह नोटिस भेजा जाता है और संबंधित से दंड, जुर्माना और कर की मांग की जाती है। आपको आयकर नोटिस मिलने के तीस दिनों के अंदर टैक्स देना होगा। यदि ऐसा नहीं होता तो कार्रवाई की जाएगी। 

 सेक्शन 143(2) के तहत जांच

आयकर विभाग का नोटिस, सेक्शन 143(2) के अधीन जारी किया गया है। यह जानकारी आदेश नहीं है। आपकी जांच के आदेश इसके तहत हैं। यह तब होता है जब आप आईटीआर नियम नहीं भरते हैं, बहुत कम भरते हैं या बिल्कुल गलत भरते हैं। ये नोटिस गड़बड़ की पुष्टि करते हैं।