Income Tax : टैक्सपेयर्स को मिला ताजा अपडेट, इनकम टैक्स भरने में देरी करने वालों को नहीं मिलेगा रिफंड, पढ़िए रूल

The Chopal, Income Tax New Rule : भारत में काम करने वाले लगभग हर व्यक्ति को इनकम टैक्स देना होगा। इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया आईटीआर फाइल करना है। ITR फाइल करने से ही आप इनकम टैक्स का भुगतान करते हैं (ITR filling new rule)। टैक्सपेयर्स अक्सर इनकम टैक्स भुगतान करने में देरी करते हैं। ऐसे में अब इनकम टैक्स के नए कानून में कड़े नियम लागू हैं। अब टैक्स भुगतान करने में देरी करने वालों को रिफंड नहीं मिलेगा।
Taxpayers को अपडेट दिया गया:
इस बदलाव की वजह से टैक् सपेयरों को टैक्स वर्ष में 31 दिसंबर की मौजूदा लास्ट डेट के बजाय निर्धारित डेट से लेट रिटर्न्स फाइल करना होगा, इसलिए इस परिस्थिति में उन्हें कोई रिफंड नहीं मिलेगा। सोशल मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि इससे लोगों की चिंताएं बढ़ सकती हैं।
उनका मानना है कि नए इनकम टैक्स बिल के तहत देर से रिटर्न भरने वालों को टैक्स रिफंड नियम नहीं लागू होंगे। इस नियम को वित्तीय वर्ष 2026-27 से लागू किया जाएगा। हालाँकि, इनकम टैक्स विभाग ने अभी तक इन सभी संदेहों को हल नहीं किया है।
इस अधिनियम के अधीन बनाया गया कानून-
हाल ही में सोशल मीडिया पर जारी की गई जानकारी के अनुसार, आयकर अधिनियम 1961 के तहत देर से टैक्स भुगतान करने वाले टैक्सपेयर को रिर्टन की अनुमति नहीं मिलेगी। आयकर विधेयक 2025 में एक नया नियम आया है जो देर से रिटर्न दाखिल करने वालों को कोई रिफंड नहीं देगा।
विभाग ने स्पष्ट किया—
जवाब में इनकम टैक्स विभाग ने कहा कि रिफंड नियमों में अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। आयकर विभाग ने बताया कि आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act 1961) के अध्याय XIX के तहत रिफंड चाहने वालों को धारा 239 के तहत आयकर रिटर्न देना बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। विधेयक की धारा 263(1)(ix) इस आवश्यकता को शामिल करेगी।
समयसीमा में बदलाव के निम्नलिखित नियम हैं:
अब तक, प्रत्येक कैटेगरी के टैक् सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (टैक्स सलाहकार) दाखिल करने की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इनकम टैक्स रिटर्न को तय समयसीमा के दौरान भरने का नियम अभी भी वैसा ही है जैसा पहले था। इसके अलावा, आईटीआर को पेनल् टी के साथ फाइल करने पर भी आपको रिफंड नहीं मिलेगा, जो एक नई शर्त है। नए इनकम टैक् स बिल में एक महत्वपूर्ण बदलाव के कारण प्रत्येक वर्ष को "टैक्स ईयर" घोषित किया गया है।
इन प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं हुआ—
विलंबित, संशोधित और अपडेट रिटर्न के प्रावधानों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है, इसलिए वे अभी भी आयकर अधिनियम, 1961 (वित्त अधिनियम, 2025 के माध्यम से प्रस्तावित संशोधनों सहित) के अनुसार टैक्स भर सकते हैं।