Income Tax: क्या पति पत्नी के ज्वाइंट से इनकम टैक्स रिटर्न में होगी बचत, पढ़िए क्या कहता है नियम
Income tax update : वर्तमान में हर व्यक्ति को अपनी आय पर इनकम टैक्स सलैब के अनुसार टैक्स देना होता है, लेकिन लोग इससे बचने के नए-नए उपाय खोजते रहते हैं। इनमें से एक है पति-पत्नी का एक साथ इनकम टैक्स फाइल करना, यानी ज्वाइंट इनकम टैक्स रिटर्न (Joint Taxation)। कुछ लोगों का विचार है कि इससे वह इनकम टैक्स छूट पा सकता है। आइए जानें नियम इसके बारे में क्या कहता है।

The Chopal, Income tax update : आजकल लोग टैक्स बचाने के नए तरीके खोज रहे हैं। पति और पत्नी मिलकर आय टैक्स रिटर्न (Income Tax Returns) भरते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इससे उन्हें टैक्स में कुछ राहत मिल सकती है। यह तरीका, हालांकि, कई कानूनी और आर्थिक मुद्दों का सही तरीके से पालन करना चाहिए, इसलिए हर किसी के लिए अच्छा नहीं होता।
यह सुझाव दिया गया है:
सरकार को इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने सुझाव दिया है कि शादीशुदा जोड़े मिलकर टैक्स रिटर्न फाइल कर सकें। यह परिवारों पर बढ़े हुए टैक्स के बोझ को कम करना चाहता है। ICAI के तहत उनका टैक्स छूट दोगुना होकर 6 लाख रुपये हो जाएगा और इससे टैक्स चोरी पर भी नियंत्रण होगा। इसके अलावा, इस योजना ने टैक्स दरों का भी निर्धारण (Joint Taxation for Married Couples) किया है ताकि टैक्स भरने की प्रक्रिया और भी आसान हो सके।
यह व्यवस्था पहले से ही कई देशों में लागू है—
ICAI के सुझावों के अनुसार, पति-पत्नी की टैक्स लायबिलिटी (Tax Liability) दोनों की औसत आय के आधार पर कम होगी। विवाहित जोड़ों के लिए ज्वाइंट टैक्सेशन स्कीम कारगर (Joint Taxation Scheme) हो सकती है। कुछ देशों, जैसे अमेरिका और इंग्लैंड, ऐसा सिस्टम पहले से ही अपना रहे हैं। फिर भी, लोग सामान्य या विशेष टैक्स नियमों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।
Standard Discussion को लेकर प्रस्तुत किया गया नवीनतम नियम—
ICAI के अनुसार, सालाना 6 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर (tax rules on annual income) नहीं लगना चाहिए। यदि आय 6 लाख रुपये से 14 लाख रुपये के बीच है, तो केवल 5% टैक्स देय होगा। यदि आय 14 लाख से 20 लाख रुपये के बीच है, तो 10 प्रतिशत टैक्स लगेगा (tax rules in india)। 20 लाख से 24 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत कर लगाना चाहिए, 24 लाख से 30 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 30 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगाना चाहिए। इसके अलावा, यदि पति-पत्नी दोनों एक जगह काम करते हैं, तो उन दोनों को सामान्य छूट का फायदा उठाने का अवसर (Exemption from standard deduction) मिलना चाहिए।
क्या व्यक्तिगत छूट सीमा है?
टैक्सपेयर्स के पास इस समय दो विकल्प हैं: वे सेक्शन 115BAC के तहत डिफॉल्ट टैक्स योजना का चयन कर (Normal Provision) सकते हैं या सामान्य प्रावधान, या सामान्य प्रावधान, का पालन कर सकते हैं। इसके अलावा, आयकर के लिए व्यक्तिगत छूट सीमा—बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट—2.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये (Basic Exemption Limit) तक बढ़ सकती है, जो करदाताओं को कुछ राहत देती है अगर कोई व्यक्ति नवीनतम या डिफॉल्ट रिजीम का पालन करता है।
मौजूदा टैक्स व्यवस्था पर्याप्त नहीं है—
बढ़ती कीमतों और महंगाई के चलते भारत में कई परिवारों में सिर्फ एक व्यक्ति कमाता है, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ रहा है। इसलिए टैक्स व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। वर्तमान में चार सदस्यीय परिवारों को टैक्स छूट (joint texation discount) बहुत कम मिल रही है। ऐसे में लोग टैक्स बचाने (टैक्स बचाने के टिप्स) के लिए अपनी कमाई को परिवार के बाकी सदस्यों के नाम पर देते हैं।
1 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर इनकम टैक्स सलाहकार
इसके अलावा, ICAI ने सरचार्ज लिमिट को बढ़ाने की सिफारिश की है, जिसमें कहा गया है कि खास दरें लागू होनी चाहिए अगर किसी व्यक्ति की आय एक करोड़ रुपये (Income Tax slab) से अधिक है। जैसे, अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 1 करोड़ रुपये से 2 करोड़ रुपये के बीच है, तो उस पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगेगा (Tax surcharges rules)। यदि आय 2 करोड़ से 4 करोड़ रुपये है, तो 15 प्रतिशत सरचार्ज लगेगा। यदि आय चार करोड़ रुपये से अधिक है, तो बाइस प्रतिशत सरचार्ज लगाया जाएगा।
क्या ज्वाइंट टैक्सेशन के फायदे हैं?
जिन लोगों के बीच आय में बड़ा अंतर है, उनके लिए संयुक्त टैक्स रिटर्न फाइल करना फायदेमंद हो सकता है। दोनों को टैक्स कम देना पड़ सकता है जब वे अपनी आय को मिलाकर टैक्स रिटर्न (ITR) भरते हैं। इसका कारण यह है कि टैक्स उनकी कुल आय से कम हो सकता है, जिससे उन्हें अलग-अलग रिटर्न भरने से फायदा होगा। अब देखना है कि इस सुझाव को 2025 के बजट में स्वीकार किया जा सकता है या नहीं।