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Mike Rate: आम आदमी की जेब पर महंगाई का डाका, फिर बढ़े दूध के दाम, जानें ताजा रेट

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आम आदमी के लिए महगाई की मार, दूध के मूल्यों में फिर से बढ़ोतरी

THE CHOPAL: भारत देश के लोगों के लिए इस वक्त महंगाई के झटके बदस्तूर जारी भी हैं। जहां रोजमर्रा के खाने-पीने के सामान लगातार महंगे भी होते जा रहे हैं वहीं इनके भाव आगे चलकर कम होंगे-ऐसे आसार भी कम नजर आ रहे हैं। अब दूध की मूल्यों को लेकर ऐसी रिपोर्ट आई है जो आपकी चिंता और बढ़ा सकती है.

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट में बताई गई बड़ी बात

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 6 महीनों में दूध की मूल्यों में काफी तेजी देखी गई है और पीक डिमांड सीजन में दूध की कमी की वजह से मूल्यों का बढ़ना जारी भी रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार कि दूध और दुग्ध उत्पादों में पिछले 12 महीनों में सालाना आधार पर 6.5 % की औसत महंगाई दर देखी गई है.

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पिछले 5 महीनों में दूध की कीमतें 8.1 % बढ़ीं

अगर हम पिछले 5 महीनों को देखें तो यह बढ़कर 8.1 % हो जाती है. पिछले वर्ष की तुलना में मासिक गति 0.8 % रही है. 0.3 % के पूर्व-महामारी के 5 साल के औसत से दोगुने से भी ज्यादा, जबकि समग्र हेडलाइन महंगाई दर में इसका योगदान 6 % तक महामारी के बाद टिक भी गया है. इसके अतिरिक्त, घरेलू कमी को जोड़ते हुए, पिछले 3 सालों में भारत के डेयरी उत्पादों के निर्यात में भी काफी वृद्धि भी हुई है। 

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दूध के भाव क्यों बढ़ रहे हैं -

दूध की मूल्यों में जारी तेजी के कई कारक हैं, जो बढ़ती लागत लागत, महामारी के कारण व्यवधान और अंतरराष्ट्रीय मूल्यों से जुड़े हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे बड़े कारकों में से पशु चारे की मूल्यों में तेज वृद्धि रही है. FEB 2022 से चारे की मूल्य दो अंकों की दर से बढ़ रही हैं, और वास्तव में मई के बाद से साल-दर-साल मूल्यों में बदलाव 20 % से नीचे भी नहीं आया है। पिछले 3 महीनों में पशु चारे की मूल्यों में कुछ कमी आई है, लेकिन पिछले साल से औसतन 6 % से अधिक रही है. 

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कोविडकाल -

सबसे महत्वपूर्ण कारक कोविड के बाद उत्पादन में गिरावट रही है. महामारी के दौरान रेस्तरां, होटल, मिठाई की दुकानों, शादियों आदि की मांग कम होने से मूल्यों में गिरावट आई, जिसके कारण डेयरी ने किसानों से दूध की खरीद में कटौती की. इस दौरान स्किम मिल्क पाउडर (एसएमपी), मक्खन और घी के भाव भी गिरे. रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों को लागत को नियंत्रित करने के लिए अपने पशुओं के आकार को कम करना पड़ा, साथ ही उन्होंने उन्हें कम खाना भी देना शुरू कर दिया.

दूध की पैदावार गिर गई

रिपोर्ट के मुताबिक कोविड काल के कुपोषित बच्चे आज की दुग्ध उत्पादक गाय हैं. दूध की पैदावार गिर गई है, और डेयरियां साल भर कम दूध खरीद की रिपोर्ट कर रही हैं. यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारतीय मवेशी वैश्विक औसत की तुलना में कम दूध देते हैं। सितंबर के बाद से 'फ्लश' सीजन होता है, जब जानवर बेहतर चारे की उपलब्धता और कम तापमान के साथ आम तौर पर अधिक दूध का उत्पादन करते हैं. यह सर्दियों में चरम पर होता है और मार्च-अप्रैल तक जारी रहता है. डेयरी भी इस वक्त उत्पादित अतिरिक्त दूध का उपयोग एसएमपी और वसा का उत्पादन करने के लिए करती हैं, जो गर्मियों के महीनों के दौरान दही, आइसक्रीम आदि की मांग में वृद्धि के लिए पुनर्गठन के लिए उपयोग किया जाता है.

दीवाली तक बढ़े रहेंगे दूध के भाव

इसलिए, वर्तमान परिदृश्य गर्मी के महीनों में जारी रह सकता है क्योंकि दूध की कमी है, विशेष रूप से वसा, ऐसे वक्त में जब डेयरियां स्टॉक का निर्माण कर रही होंगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिवाली तक दूध के भाव बढ़े रहेंगे.

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