New Banking System: एटीएम की दिनों-दिन कम हो रही संख्या, बैंकिंग सिस्टम में आए ये बदलाव
New Banking System : नोटबंदी के बाद से बैंकिंग में आया बड़ा बदलाव, अब UPI बन गई ऑलटाइम टेलर मशीन 2019 से लगातार कम हो रही ATM की संख्या, जानें क्या कह रहे बैंक।
New Banking System : बैंकों में नकदी निकालने के लिए लगने वाली लंबी कतार से मुक्ति दिलाने वाली ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) अब कम होती जा रही है। 2020 में बैंकों के विलय होने से जहां एटीएम की संख्या घट गई। वहीं, 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद लोगों ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) को हाथों-हाथ लिया।
इसकी बढ़ती लोकप्रियता से भी एटीएम तक लोगों की पहुंच घटने लगी। आलम यह है कि महज 9 साल में प्रदेश में 274 एटीएम कम हो गए। सब्जी, फल, किराना, बिजली व गैस बिल समेत बड़े-छोटे शोरूम में भी यूपीआइ से पेमेंट करने की सुविधा मिली तो लोग ने एटीएम से दूरी बनानी शुरू कर दी। इससे एटीएम पर ट्रांजेक्शन घटे तो बैंकों का मुनाफा कम हुआ और मशीन के मेंटेनेंस का खर्च बढ़ गया।
बैंकों ने बंद करना शुरू किए ATM
नतीजा, बैंकों ने एटीएम बंद करना शुरू कर दिया। यूपीआइ के बढ़ते चलन से जहां नकदी की सुरक्षा संबंधी चिंता बैंकों की कम हो गई, वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नकदी लेन-देन के दौरान करेंसी के खराब होने पर दोबारा छापने का खर्च भी कम हो गया। हालांकि कोरोनाकाल में एटीएम की संख्या जरूर बढ़ी, लेकिन 2019 से इसके कम होने का दौर जारी है। बैंकों का कहना है, एटीएम बंद नहीं कर रहे, नई तकनीक आने पर इसकी शिफ्टिंग कर रहे हैं।
हर एटीएम पर इतना खर्च
एक एटीएम लगाने में करीब 6-9 लाख रुपए का खर्च आता है। एक मशीन की कीमत 4-8 लाख रुपए और कुछ आंतरिक सज्जा पर खर्च होते हैं। साथ ही हर एटीएम के मेंटेनेंस पर हर माह बैंक को 50 हजार रुपए खर्च होते हैं। इसमें साफ-सफाई, बिजली, एसी और सुरक्षा गार्ड का खर्च शामिल है। बताते हैं, एक लेनदेन पर करीब 18 से 20 रुपए खर्च होता है।
इसलिए घटे एटीएम
बैंकों के विलय होने के कारण उनके एटीएम एक हो गए। कम्प्यूटरीकृत सिस्टम में किसी भी बैंक के एटीएम से रुपए निकालने की सुविधा। जिन मशीनों से ट्रांजेक्शन घटे, उन्हें बंद या शिफ्ट कर दिया। यूपीआइ के इस्तेमाल से लोगों की पहुंच एटीएम तक कम हो गई।
देश में इस तरह बढ़ रहे यूपीआइ
- ट्रांजेक्शन 2022-23 में 83,453.79 मिलियन
- ट्रांजेक्शन 2023-24 में 130831.45 मिलियन
- ट्रांजेक्शन 2024-25 में 117507.31 मिलियन ट्रांजेक्शन (नवंबर तक)
इतिहास के झरोखे से
पहले रुपए निकालने वालों की बैंकों में लंबी कतार लगती थी। इससे छुटकारा दिलाने के लिए एचएसबीसी बैंक ने 1987 में पहली बार मुंबई में एटीएम लगाई तो बैंकिंग में बड़ी क्रांति आई। महज 10 साल में देश में 1500 एटीएम हो गए। अभी देश में 2.50 लाख एटीएम हैं।
राजधानी का दायरा बढ़ा, बढ़े एटीएम
मध्यप्रदेश में इकलौते भोपाल जिले में एटीएम की संख्या बढ़ी है। राजधानी का दायरा बढऩे से ग्रामीण क्षेत्र जुड़े और एटीएम की संख्या बढ़ गई। अभी भोपाल जिले में 1079 एटीएम हैं। इनमें 42 ग्रामीण, 15 कस्बों और 1022 एटीएम शहरों में हैं।
प्रदेश में एटीएम
साल | संख्या |
2016 | 9266 |
2017 | 9263 |
2018 | 9579 |
2019 | 9345 |
2020 | 9201 |
2021 | 9322 |
2022 | 8812 |
2023 | 9328 |
2024 | 8992 |
यह सख्या साल 2024 सितंबर तक है ।
यूपीआइ की ओर रुझान बढ़ा
आलोक चक्रवर्ती एलडीएम बैंक ऑफ इंडिया ने बताया की लोगों का यूपीआइ की तरफ रुझान बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में निकासी एटीएम से ही हो रही है। कम ट्रांजेशन होने पर नुकसान होता है।
एक्सपर्ट व्यू
ओपी बुधोलिया, रिटायर्ड एजीएम, केनरा बैंक ने बताया की जहां नुकसान होता है, वहां बैंक एटीएम बंद या शिट कर देते हैं। एटीएम कम होने का एक कारण बैंकों का मर्जर भी है। पहले सभी बैंकों के एटीएम थे। कह्रश्वयूटरीकृत होने से अब सभी के एटीएम से पैसे निकाले जाने लगे हैं।