Personal Loan : फ्लैट या रिड्यूसिंग कौनसा लोन होगा फायदे का सौदा, एक बार पढ़ ले ये टिप्स
Personal Loan Tips : महंगाई के इस दौर में नौकरी और व्यवसाय होने के बावजूद भी लोगों को लोन की जरूरत है। पर्सनल लोन अक्सर लोगों की पहली प्राथमिकता होती है अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए। Personal loan rule अन्य लोन की तुलना में सस्ता और आसान है। ऐसे में व्यक्तिगत लोन का क्या प्रकार चाहिए?

The Chopal, Personal Loan Tips : भारत में लोगों की इच्छाशक्ति पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया (loan rule) के आगमन से बढ़ी है। लोगों को सोशल मीडिया पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए अधिक धन खर्च करना पड़ रहा है। ऐसे में लोग अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न संस्थाओं से लोन लेते हैं। परोपर्टी गहनों को गिरवी रखते हैं और लोन लेते हैं। पर्सनल लोन इसलिए सबसे किफायती है। इस लोन में अन्य लोनों की तुलना में कम चुनौती है।
पर्सनल लोन क्या है?
बैंक लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई प्रकार के लोन प्रदान करता है। भारत में पर्सनल लोन सबसे अधिक खर्च होते हैं। अन्य लोन की तुलना में व्यक्तिगत लोन की प्रक्रिया छोटी है। लोन कोलैटरल मुक्त है। बैंक पसर्नल लोन देने में बहुत कम समय लेता है। पर्सनल लोन दो प्रकार का है:
पर्सनल लोन के चार प्रकार हैं
भारत में व्यक्तिगत लोन दो प्रकार का है। पहला फ्लैट इंटरेस्ट रेट (flat interest rate) और दूसरा रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट (reducing balance interest rate)। पर्सनल लोन लेने वाले व्यक्ति को इन दोनों प्रकार के लोन की जानकारी होनी चाहिए। दोनों में बहुत फर्क है। फ्लैट इंटरेस्ट रेट हमारे देश में आम है। पर्सनल लोन के इन प्रकार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
फ्लैट इन्टरेस्ट दर
Personal Loans में फ्लैट इंटरेस्ट रेट सबसे अधिक है। इसके लोन पर हर महीने ब्याज की किश्ते देनी होती हैं। फ्लैट रेट में कस्टमर को लोन अवधि के दौरान पूरे लोन पर ब्याज देना होगा। मान लीजिए आपने पांच साल के लिए 5 लाख रुपए का लोन 16 फीसदी फ्लैट रेट पर लिया है. इस मामले में, आपकी ईएमआई फिक् स 12,159 रुपए प्रति महीना होगी, जो आपको पूरे पांच साल तक चुकानी होगी।
रिडक्शन बैलेंस इंटरेस्ट दर
जबकि रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इसमें ग्राहक को केवल बकाया लोन राशि पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। मतलब, हर महीने चुकाए जाने वाले ब्याज की गणना बचे हुए लोन पर नहीं होती है। उदाहरण के लिए, अगर आपने पांच साल के लिए 5 लाख रुपए का लोन 16 फीसदी की दर पर लिया है, तो महीने गुजरते जाने पर आपकी ईएमआई भी घटने लगेगी। रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट पर लोन लेना फ्लैट इंटरेस्ट रेट से अधिक महंगा है।
एनबीएफसी पर्सनल लोन में बदलाव
नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) अक्सर पर्सनल लोन पर फ्लैट इंटरेस्ट रेट (कम ब्याज दर) देते हैं। पर्सनल लोन की ब्याज दरें बैंकों में थोड़ी अधिक हो सकती हैं, लेकिन वे अधिकतर रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट पर निर्भर करती हैं। कस्टमर को इसका फर्क नहीं पता होता, इसलिए वह सस्ते के जाल में फंस जाता है और फ्लैट इंटरेस्ट रेट पर लोन लेता है, जिससे वह अपना नुकसान करा बैठता है।