The Chopal

property knowledge : शत्रु संपत्ति क्या होती है, क्यों सरकार करती है इसपर कब्जा

शत्रु संपत्ति में सिर्फ शत्रु शब्द जोड़ने से अधिकांश लोगों को लगता है कि इस तरह की संपत्ति विवादित है। आइये शत्रु संपत्ति क्या है?आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

   Follow Us On   follow Us on
property knowledge : शत्रु संपत्ति क्या होती है, क्यों सरकार करती है इसपर कब्जा 

The Chopal, property knowledge : शत्रु संपत्ति अक्सर नीलाम होने वाली कई संपत्ति में होती है। शत्रु की खबर सुनकर बहुत से लोग इस तरह की संपत्ति खरीदने लगते हैं। शत्रु शब्द जुड़ने से संपत्ति विवादित नहीं होती। आइये हम शत्रु संपत्ति के बारे में विस्तार से बताते हैं।

केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले देश भर में कई शत्रु संपत्ति की पहचान की थी। मार्च में गृह मंत्रालय ने कहा कि 20 राज्यों में 12,611 संपत्ति, जिनकी अनुमानित कीमत 1,00000 करोड़ से अधिक थी, को शत्रु संपत्ति के तौर पर चिन्हित किया गया था। इन संपत्ति की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

मकानों और दुकानों के अलावा सोना-चांदी भी शत्रुओं की संपत्ति हैं

शत्रु संपत्ति में सिर्फ घर या मकान नहीं आते। इसके अलावा, शेयर और सोना-चांदी जैसे चल संपत्ति भी शत्रु संपत्ति में आते हैं। भारत सरकार ने चल शत्रु संपत्ति बेचकर अब तक 3400 करोड़ रुपये कमाए हैं। सरकार ने अब अचल शत्रु संपत्ति भी बेच दी है।

उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक शत्रु संपत्ति है। यहां 6255 अचल संपत्ति हैं। पश्चिम बंगाल में 4,088 लोग हैं, दिल्ली में 659 लोग हैं, गोवा में 295 लोग हैं और महाराष्ट्र में 208 लोग हैं। इसके अलावा, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भी शत्रु संपत्ति है।

शत्रु संपत्ति का क्या अर्थ है?

यह सब जानने के बाद आप सोचेंगे कि ये शत्रु संपत्ति है क्या? तो शत्रु संपत्ति का अर्थ है दुश्मन या शत्रु की संपत्ति, लेकिन किसका दुश्मन? इसका उत्तर है देशद्रोही।भारत-पाकिस्तान के बंटवारे और दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के बाद बहुत से लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए और अपनी संपत्ति छोड़ दी। ऐसी संपत्ति को सरकार ने अपने पास ले लिया और इन्हें शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया। 1962 के युद्ध के बाद चीन में रहने वाले भारतीयों की संपत्ति को पाकिस्तान के अलावा भी शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था। भारतीय रक्षा अधिनियम 1962 के तहत केंद्र सरकार ने इन संपत्ति को अपने पास कर लिया है।

युद्ध के दौरान, सरकार दुश्मन देश के लोगों की अपने देश में मौजूद संपत्ति को कब्जे में लेती है ताकि वे इसका फायदा नहीं उठा सके।

गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार, शत्रु संपत्ति की नीलामी या बिक्री होती है। इस तरह की संपत्ति को बेचने से पहले, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या आयुक्त की मदद से बेदखली प्रक्रिया शुरू की जाती है।

ये पढ़ें - Indian Railways : रेलवे ने तैयार किया वेटिंग लिस्ट खत्म करने महाप्लान, 40000 हजार किलोमीटर ट्रैक और 11 लाख करोड़ का खर्च